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अल्पसंख्यकों का विकासः नजमा और नकवी में पब्लिसिटी की होड़

अल्पसंख्यक मामलों की कैबिनेट मंत्री नजमा हेपतुल्ला और राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के बीच अब भी सब कुछ ठीक नहीं लगता. पिछले दिनों राज्यसभा में दोनों के बीच हुआ टकराव किसी से छिपा नहीं है. अब हालत यह है कि सरकार के दो साल की उपलब्धियों का बखान करने के लिए एक ही मंत्रालय के दो मंत्रियों ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस की.

पहले एक साथ दिखते थे अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय और राज्य मंत्री पहले एक साथ दिखते थे अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय और राज्य मंत्री
केशव कुमार/रीमा पाराशर/अहमद अजीम
  • नई दिल्ली,
  • 24 मई 2016,
  • अपडेटेड 5:11 PM IST

अल्पसंख्यक मामलों की कैबिनेट मंत्री नजमा हेपतुल्ला और राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के बीच अब भी सब कुछ ठीक नहीं लगता. पिछले दिनों राज्यसभा में दोनों के बीच हुआ टकराव किसी से छिपा नहीं है.

अब हालत यह है कि सरकार के दो साल की उपलब्धियों का बखान करने के लिए एक ही मंत्रालय के दो मंत्रियों ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस की. नजमा ने शास्त्री भवन में तो नकवी ने बीजेपी मुख्यालय में वही बातें दोहराई.

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एक-दूसरे की प्रेस कांफ्रेंस की जानकारी से इनकार
दिलचस्प यह कि दोनों ही मंत्रियों ने एक-दूसरे की अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस के बारे में जानकारी होने से ही इनकार कर दिया. नकवी तो कह गए कि उनकी पीसी पार्टी ने तय की है मंत्रालय ने नहीं. वहीं नजमा का जवाब था कि उन्हें नकवी की पीसी का इल्म नहीं.

दोनों मंत्रियों ने लिया अल्पसंख्यकों के विकास का क्रेडिट
नजमा ने कहा कि मोदी सरकार पर अल्पसंख्यकों का बढ़ता विश्वास असम में बीजेपी की जीतने की अहम वजह रही. वहीं नकवी ने प्रशासनिक सेवा में अल्पसंख्यक समुदाय के उम्मीदवार चुने जाने का पूरा क्रेडिट सरकार की नीतियों को दे डाला. उन्होंने कहा कि 25 साल बाद ऐसा सिर्फ इसलिए हुआ कि अल्पसंख्यकों में हमने डर खत्म कर विश्वास पैदा किया है.

अल्पसंख्यक नीतियों पर अमल की निगरानी करते हैं पीएम
खुद पर लगे असहिष्णुता के आरोपों पर सफाई देते हुए नकवी ने कहा कि मोदी सरकार आने के बाद दो सालों में सांप्रदायिक हिंसा के मामलो में 82 फीसदी की कमी आई है. दोनों मंत्रियों ने बार-बार दोहराया कि अल्पसंख्यकों को लेकर उनकी सरकार सिर्फ कागजी नीतियां ही नहीं बना रही, बल्कि उन पर अमल हो इसकी निगरानी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं.

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मंत्रियों के कोल्ड वार पर पीएम मोदी शांत
ऐसे में सवाल यह भी है कि अपने अनुशासन और कड़े फैसलो के लिए मशहूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी टीम के दो मंत्रियों के बीच चल रही इस कोल्ड वार पर इतने शांत क्यों हैं? दोनों मंत्री एक ही मुद्दे पर अलग-अलग प्रेस कांफ्रेस करने के बजाय एक साथ क्यों सामने नहीं आए?

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