
संसद भवन में राष्ट्रपति चुनाव के लिए नॉमिनेशन की प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो गई. अब तक क़रीब एक दर्जन लोगों ने प्रेसिडेंट इलेक्शन के लिए नॉमिनेशन फ़ाइल किया है और आधा दर्जन से ज़्यादा लोग नॉमिनेशन फ़ॉर्म ले चुके हैं. दिलचस्प यह है कि इन लोगों में से कोई भी राजनेता या ऐसी पहुंच वाला नहीं है, जो इस चुनाव में वोट हासिल कर सके.
बस दिल में बदलाव की चाह है, जो इन्हें संसद तक ले आई है. हालांकि जितने भी नॉमिनेशन फाइल किए गए हैं, उनका रिजेक्ट होना तय माना जा रहा है. इसकी वजह यह है कि किसी भी नॉमिनेशन में 100 इलेक्टर्स, 50 प्रपोजर्स और जरूरी अप्रूवल्स नहीं हैं, जोकि प्रेसिडेंट इलेक्शन के लिए ज़रूरी हैं. नामांकन भरने वालों में मुंबई के पति पत्नी सायरा बानो मोहम्मद पटेल और मोहम्मद पटेल अब्दुल हमीद भी शामिल हैं. इन दोनों ने इस पद के लिए अलग-अलग नामांकन भरे हैं.
इसके अलावा नामांकन भरने वालों में कानपुर के पुलिस विभाग में काम कर चुके महेश चंद शर्मा भी शामिल है, जो इससे पहले लोकसभा से लेकर राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ चुके हैं. वह हर बार हारे लेकिन इच्छा अब भी जीतने की है. लिहाजा झोला लिए संसद भवन के चक्कर काट रहे हैं. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से आए किशन लाल की भी ऐसी ही कहानी है. पेशे से वैद्य किशन लाल को उम्मीद है कि उन्हें यूपी के नेताओं से समर्थन मिलेगा, तो पंजाब लुधियाना से आए बोधराज सिंह पूर्व प्रोफ़ेसर होने के नाते देश के युवाओं में बदलाव लाने के लिए मैदान में आ गए हैं.
बोधराज भगवान राम के भक्त हैं और इन्हें आस है कि राम ही इनकी नैया पार लगाएंगे. तमिलनाडु के कृष्णा रेड्डी से दिल्ली आए इलियास ने फॉर्म तो लिया है, लेकिन उनको चुनाव की मौजूदा प्रक्रिया से ही शिकायत है. क्योंकि इस चुनाव में किसी आम आदमी के जीतने की उम्मीद नहीं होती है. इससे भी ज़्यादा शिकायत इस बात की है कि चुनाव नामांकन का फॉर्म काफी पेचीदा है. इससे नाराज इलियास चुनाव फॉर्म के मुद्दे को लेकर जंतर-मंतर पर धरने की भी तैयारी कर रहे हैं. नामांकन की यह प्रक्रिया 28 जून तक चलेगी और छटनी 29 जून को होगी. अगर जरूरी हुआ तो 17 जुलाई को प्रेसिडेंट इलेक्श न के लिए वोटिंग होगी और फिर 20 जुलाई को काउंटिंग की जाएगी.