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स्पीकर पद पर कांग्रेस ही नहीं, अटल-आडवाणी की भी पसंद थे कॉमरेड सोमनाथ

सोमनाथ चटर्जी देश के उन लोकसभा स्पीकर्स में हैं जिन्हे सभी पार्टियों कासमर्थन मिला. 2004 में कांग्रेस से सोनिया गांधी ने उनके नाम की पेशकश की तो कांग्रेस नेता प्रणव मुखर्जी ने उसका समर्थन किया. वहीं बीजेपी से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दूसरा प्रस्ताव दिया जिसका समर्थन बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने किया.

के आर नारायणन और सोमनाथ चटर्जी के आर नारायणन और सोमनाथ चटर्जी
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 13 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 2:11 PM IST

कॉमरेड सोमनाथ चटर्जी का 89 साल की उम्र में कोलकाता के एक अस्पताल में निधन हो गया. कॉमरेड चटर्जी पश्चिम बंगाल से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीएम) के टिकट पर 10 बार लोकसभा के लिए चुने गए. बतौर लोकसभा सदस्य कॉमरेड चटर्जी की राजनीति में अहम वक्त तब आया जब 2004 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार ने उन्हें लोकसभा स्पीकर चुना.

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यूपीए-1 सरकार को सीपीएम बाहर से समर्थन दे रही थी. 2004 में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने कॉमरेड सोमनाथ चटर्जी को स्पीकर बनाए जाने का प्रस्ताव दिया. उनके इस प्रस्ताव का समर्थन पश्चिम बंगाल से ही वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रणव मुखर्जी ने किया.

खास बात यह भी रही कि सोमनाथ चटर्जी देश के उन लोकसभा स्पीकर्स में हैं जिन्हें सभी पार्टियों का समर्थन मिला. 2004 में कांग्रेस से आए पहले प्रस्ताव के बाद लोकसभा में कॉमरेड चटर्जी को स्पीकर बनाने के लिए दूसरा प्रस्ताव पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी का आया जिसका बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने समर्थन किया. इनके अलावा अन्य बड़े-छोटे क्षेत्रीय दलों ने भी कॉमरेड चटर्जी को स्पीकर बनाए जानें का समर्थन किया और वह सर्वसम्मति से चौदहवीं लोकसभा के स्पीकर बनें.

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बतौर लोकसभा स्पीकर, कॉमरेड चटर्जी सदन के संचालन, सदन में सदस्यों से संवाद के लिए हमेशा सुर्खियों में रहे. वह संसद में बतौर अध्यक्ष अपनी राय बेबाकी से रखते. सभी छोटी-बड़ी पार्टीयों के सदस्यों की बात को बारीकी से सुनते अक्सर वह लोकसभा टीवी पर देखे जाते. इसके अलवा कई बार ऐसा मौका भी आया जब सदन में जारी हंगामे से झुंझलाकर इस्तीफा देने की बात कॉमरेड चटर्जी ने की. हालांकि सदन की गरिमा को बनाए रखने में खास योगदान देते हुए कॉमरेड चटर्जी अपने आचरण में पूरी तरह से दलगत राजनीति से ऊपर दिखे.

कॉमरेड चटर्जी के इस आचरण का सीधा साक्ष्य तब मिला जब 2008 में भारत और अमेरिका के बीच न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में हुए 123 एग्रीमेंट के बाद सीपीएम ने मनमोहन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया. हालांकि कॉमरेड चटर्जी ने सीपीएम के इस फैसले को नहीं मानते हुए स्पीकर के पद से इस्तीफा देने से मना कर दिया. नतीजा उन्हें सीपीएम ने पार्टी से निष्कासित कर दिया.

कॉमरेड सोमनाथ चटर्जी 4 साल 361 दिन तक लोकसभा के स्पीकर रहे. कॉमरेड चटर्जी ने देश को अपना संदेश साफ-साफ दिया. वह कॉमरेड हैं. लोकसभा स्पीकर की जिम्मेदारी उन्हें दलगत राजनीति से ऊपर उठाती है लिहाजा, राजनीतिक फैसले के चलते वह अपने पद को नहीं छोड़ सकते.

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