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ब्रांड मोदी के खिलाफ कांग्रेस की नई रणनीति! उठाएगी ये 5 कदम

कांग्रेस को अब सोनिया और वाजपेयी का दौर याद आ रहा है. तब भी वाजपेयी की लोकप्रियता चरम पर थी. बतौर वक्ता वो सभी से मीलों आगे थे. इंडिया शाइनिंग और मीडिया का माहौल बीजेपी मय था. कांग्रेस कहीं से सत्ता में आती नहीं दिख रही थी.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
कुमार विक्रांत
  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2017,
  • अपडेटेड 10:44 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बढ़ते कद और लगातार चुनावी हारों के बाद कांग्रेस अपनी चुनावी रणनीति नए सिरे से बना रही है. पंजाब में अमरिंदर सिंह के जरिए मिली चुनावी जीत और एमसीडी चुनाव में 10 साल की एंटी इनकंबेंसी के बावजूद बीजेपी की जीत ने पार्टी को नई रणनीति के साथ आगे के चुनावों में उतरने को मजबूर किया है.

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कांग्रेस को अब सोनिया और वाजपेयी का दौर याद आ रहा है. तब भी वाजपेयी की लोकप्रियता चरम पर थी. बतौर वक्ता वो सभी से मीलों आगे थे. इंडिया शाइनिंग और मीडिया का माहौल बीजेपी मय था. कांग्रेस कहीं से सत्ता में आती नहीं दिख रही थी. वहीं सोनिया गांधी भाषण तो दूर ठीक से हिंदी नहीं बोल पाती थीं. कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा रहे थे. पार्टी के रणनीतिकारों को लगता है कि आज भी कमोबेश वैसे ही हालात हैं. मोदी ब्रांड बीजेपी से भी बड़ा हो चला है और राहुल की छवि उसके आगे टिक नहीं पा रही.

ऐसे में पार्टी अब उसी रणनीति को दोहराना चाहती है. जिसके तहत सोनिया ने 2004 में वाजपेयी सरकार को बाहर करके कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार बनाई थी. यानी अब राहुल उसी रास्ते ब्रांड मोदी से टकराना चाहते हैं, जैसे सोनिया ब्रांड अटल से टकराई थीं.

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ये होंगे अगले 5 कदम...
1. यूपी की तरह राहुल छोटे या राज्यों के चुनाव में खुद फ्रंट पर आकर चेहरा नहीं बनेंगे.
2. केंद्र सरकार की नाकामियों के साथ ही राज्य के मुद्दों को प्रमुखता से उठाकर सियासी लड़ाई होगी. इसमें कांग्रेस राज्य के नेताओं के जरिए बीजेपी के राज्य के नेतृत्व से सीधे टकराएगी. पंजाब की तर्ज पर राहुल सीमित भूमिका में प्रचार अभियान में जुटेंगे.
3. इस बीच राहुल संगठन पर अपनी पकड़ मजबूत करेंगे. राज्यों में सफलता मिलने से उनकी छवि भी सुधरेगी. साथ ही 2019 आते-आते केंद्र के खिलाफ बढ़ने वाली एंटी इनकंबेंसी का फायदा भी राहुल की छवि बेहतर करेगा.
4. राहुल इस बीच रणनीति के तहत राज्यवार गठबंधन बनाने की दिशा में काम करेंगे. इसके अलावा भ्रष्टाचार को लेकर पार्टी की बेहतर छवि बनाने के लिए कदम उठाते दिखेंगे.
5. इस बीच राहुल की एक और बड़ी कोशिश पार्टी की और खुद की मुस्लिम तुष्टिकरण की छवि की तोड़ने की रहेगी. सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ कदम बढ़ते दिखेंगे.

इसी रणनीति के तहत कांग्रेस हिमाचल, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान के आने वाले विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है. दरअसल, उसको लगता है कि छोटे-छोटे चुनाव में बीजेपी ब्रांड मोदी बनाम ब्रांड राहुल की लड़ाई जीतने में सफल हो रही है. इससे ब्रांड राहुल को चोट पहुंचती है. साथ ही राज्य बीजेपी का नेतृत्व और राज्यों के मुद्दे पीछे छूट जाते हैं. बीजेपी एंटी इनकंबेंसी से भी बच जाती है. जैसा दिल्ली एमसीडी और यूपी के चुनावों में देखने को मिला.

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कुल मिलाकर 2019 के लिए कांग्रेस अब नई रणनीति के साथ उतरने की तैयारी में है. लेकिन, उसको याद रखना होगा कि अब तक सीधे वो मोदी से टकराकर कोई चुनाव नहीं जीत सकी है. इसलिए आगे की राह कांटों भरी है.

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