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Delhi Election: जहां पार्टी मुख्यालय, जहां रहता है गांधी परिवार, जहां किया प्रचार, हर जगह मिली हार

दिल्ली में कांग्रेस का सफाया इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि मात्र 6 साल पहले तक दिल्ली में कांग्रेस ने 15 सालों तक शासन किया था. इसके अलावा दिल्ली न सिर्फ देश की बल्कि कांग्रेस की भी सत्ता का केंद्र है. यहां कांग्रेस का मुख्यालय है. दिल्ली आजादी से पहले ही कांग्रेस की राजनीति की धुरी रही है. गांधी-नेहरू से लेकर इंदिरा और राजीव तक दिल्ली से ही सत्ता का संचालन करते रहे हैं.

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (फोटो-पीटीआई) कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (फोटो-पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 4:57 PM IST

  • 2015 के मुकाबले कम हुआ कांग्रेस का वोट शेयर
  • राहुल-प्रियंका ने जहां किया प्रचार वहां जमानत हुई जब्त

दिल्ली के 2015 विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस को 0 सीटें मिली. 5 साल बाद फिर पार्टी ने फिर से इसी प्रदर्शन को दोहराया, और तमाम तैयारियों के बावजूद पार्टी एक सीट भी फतह नहीं कर सकी. इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 66 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, इनमें से 63 सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.

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दिल्ली में कांग्रेस 66 सीटों पर चुनाव लड़ी. इनमें से कांग्रेस के लिए 3 वो भाग्यशाली सीटें रहीं जहां पार्टी अपना जमानत बचाने में कामयाब रही. ये सीटें हैं गांधी नगर, बादली और कस्तूरबा नगर. बता दें कि यदि किसी प्रत्याशी को किसी निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल वैध मतों की संख्या के छठे भाग या 1/6 से कम वोट मिलते हैं तो उस कैंडिडेट की जमानत जब्त हो जाती है.

दिल्ली में गांधी परिवार का आभामंडल

दिल्ली में कांग्रेस का सफाया इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि मात्र 6 साल तक पहले दिल्ली में कांग्रेस ने 15 साल तक शासन किया था. इसके अलावा दिल्ली न सिर्फ देश की बल्कि कांग्रेस की भी सत्ता का केंद्र है. यहां कांग्रेस का मुख्यालय है. दिल्ली आजादी से पहले ही कांग्रेस की राजनीति की धुरी रही है. गांधी-नेहरू से लेकर इंदिरा और राजीव तक दिल्ली से ही सत्ता का संचालन करते रहे हैं.

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कांग्रेस की मौजूदा टॉप लीडरशिप भी दिल्ली में रहती है. यहां पर गांधी परिवार का अपना आभामंडल है. सोनिया-राहुल और प्रियंका से दिल्ली के हजारों लाखों लोग खुद को कांग्रेस की विरासत से जोड़ते हैं. इसके अलावा दिल्ली कांग्रेस का भी यहां अपना वजूद है. बावजूद इसके कांग्रेस का ये प्रदर्शन पार्टी के रणनीतिकारों के सामने बड़ा प्रश्न चिह्न बनकर खड़ा हो गया है.

प्रियंका-राहुल का प्रचार न आया काम

दिल्ली विधानसभा चुनाव में राहुल और प्रियंका गांधी ने प्रचार में लेट एंट्री की. राहुल-प्रियंका ने दिल्ली में चार चुनावी रैलियां की. राहुल ने जंगपुरा विधानसभा और संगम विहार विधानसभा में रैलियां की थी. संगम विहार में ही वे प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ कांग्रेस उम्मीदवार पूनम आजाद के समर्थन में हुई रैली में शामिल हुए थे.

इन सभी सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार को जोरदार शिकस्त मिली है. संगम विहार में कुल 1 लाख 16 हजार 666 वोट पड़े. इनमें से पूनम आजाद को मात्र 2604 वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई. जंगपुरा सीट पर कुल 88 हजार 703 वोट पड़े. यहां कांग्रेस कैंडिडेट को 13565 वोट ही मिले. यहां भी कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई. राहुल गांधी ने हौजकाजी इलाके में भी प्रचार किया था. इस इलाके में भी कांग्रेस छाप छोड़ पाने में नाकाम रही.

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तब भी जीरो, अब भी जीरो, लेकिन वोट शेयर गिरा

2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीरो सीटें मिली थी, लेकिन तब कांग्रेस का वोट प्रतिशत 9.7 था. इस बार भी कांग्रेस के खातें में सीटें नहीं आई है, लेकिन पार्टी का वोट प्रतिशत घट गया है. इस बार कांग्रेस के खाते में मात्र 4.26 प्रतिशत वोट आया है.

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