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उत्तराखंड में अपनों से ही लड़ रही है कांग्रेस, टिकट बंटवारे पर घमासान

किशोर हर बार अपने बयानों से हरीश रावत पर हमला करते रहे और रावत हर समय उनके बयानों को हंसी में उड़ाते रहे. हरीश रावत को शायद समय का इंतजार था उन्हें पता था कि किशोर उनके चंगुल में जरूर फंसेंगे.

टिकट बंटबारे को लेकर पार्टी में घमासान टिकट बंटबारे को लेकर पार्टी में घमासान
अनुग्रह मिश्र
  • देहरादून,
  • 24 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 9:02 PM IST

उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और आर्येन्द्र शर्मा को लेकर प्रदेश में नयी सियासत शुरू हो गयी है. कहीं कांग्रेस के समर्थक किशोर उपाध्याय को देहरादुन के सहसपुर से टिकट देने का विरोध कर रहे हैं, तो कहीं टिहरी के कांग्रेस कार्यकर्ता उन्हें अपने यंहा बुला रहे हैं. दोनों ही जगह के कांग्रेसियों ने राजधानी के कार्यालय में प्रदर्शन शुरू कर दिया हैं. सहसपुर से अपने आपको उम्मीदवार घोषित करने को लेकर आर्येन्द्र शर्मा गुट का हंगामा इतना जबरदस्त है की पिछले तीन दिन से उत्तराखंड के कांग्रेस प्रदेश कार्यालय पर आर्येन्द्र समर्थक कब्ज़ा किये बैठे हैं. हालात इस कदर बेकाबू हैं की हर तरफ सिर्फ हंगामा और तोड़फोड़ के निशान ही बाकी रह गए हैं. आर्येन्द्र समर्थक एक कार्यकर्ता ने आत्मदाह की भी कोशिश की. आर्येन्द्र इस बात को लेकर भी खासे उग्र हैं कि अपनी टिहरी विधानसभा सीट को छोड़कर किशोर उपाध्याय आखिर क्यों सहसपुर से चुनाव लड़ना चाहते हैं.

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किशोर उपाध्याय का सहसपुर कनेक्शन

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पूर्व में टिहरी से विधायक चुने गए थे. लेकिन 2012 के विधान सभा चुनाव में किशोर निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश धने से चुनाव में परास्त हो गए तब से लेकर आज तक दिनेश धने और किशोर में 36 का आंकड़ा है और ऐसे में हरीश रावत ने दिनेश को न केवल पूरा समर्थन किया बल्कि हरकदम पर दिनेश को ऊपर का दर्जा देकर किशोर से अदावत में कोई कसर नहीं छोड़ी. विश्वसनीय सूत्र की माने तो ये हरीश की राजनीति का ही एक नया पैंतरा है कि किशोर को सहसपुर से टिकट थमा दिया गया. हरीश रावत के इस दांव से चारों खाने चित हो चुके किशोर इतने विवादित हो गए हैं कि आज कांग्रेसी ही उनके मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं. हरीश रावत की सोची समझी रणनीति काम आयी और जब कांग्रेस की लिस्ट जारी हुई तो किशोर को ऐसी सीट से टिकट दे दिया गया जहां विद्रोह की आग खुद कांग्रेसी ही लगा रहे हैं. जैसे ही ये घोषणा हुई इस सीट पर कांग्रेस के लिए छह साल से भी ज्यादा से तैयारी कर रहे आर्येन्द्र शर्मा के समर्थक विरोध प्रदर्शन पर उतारू हो गए शर्मा के समर्थक अब सहसपुर से किशोर को उलटे पांव वापस भेजने के लिए कांग्रेस मुख्यालय पर डट गए हैं.

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हरीश रावत ने अपनों पर ही चला दांव!

प्रदेश कांग्रेस में फिलहाल हरीश रावत से ज्यादा तिकड़मबाज कोई नहीं है. अब तक जो भी उनके सामने खड़ा हुआ उस को हरीश रावत ने न केवल हाशिये पर लाकर रख दिया बल्कि उसके राजनीतिक भविष्य को ही किनारे लगा दिया. पिछले कई दिनों से चली आ रही हरीश रावत और किशोर उपाध्याय की जंग पूरे प्रदेश ने देखी, किशोर हर बार अपने बयानों से हरीश रावत पर हमला करते रहे और रावत हर समय उनके बयानों को हंसी में उड़ाते रहे. हरीश रावत को शायद समय का इंतजार था उन्हें पता था कि किशोर उनके चंगुल में जरूर फंसेंगे. क्योंकि हरीश रावत जानते थे की जल्द वो समय आएगा जब प्रदेश की सत्ता पर हरीश रावत के बाद बैठने का सपना देख रहे किशोर को वो अपनी ताकत और रणनीति का दांव दिखा पाएंगे. आखिर हरीश रावत ने वही किया, किशोर उपाध्याय को उन्होंने इस कदर लाचार कर दिया है कि खुद किशोर भी नहीं समझ पा रहे हैं.

आखिर क्यों है हरीश और किशोर में तल्खी

किशोर और हरीश रावत के बीच तल्खी को दोनों ही नेताओं ने जग जाहिर भी किया है. उपाध्याय ने रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके कामों पर न केवल सवाल खड़े किये बल्कि पार्टी लाइन से हटकर किशोर ने सरकार को खूब चिट्टियां भी लिखीं. किशोर उपाध्याय इस बात को लेकर सरकार के खिलाफ थे कि हरीश रावत की जो किचन केबिनेट है उसके मंत्री ठीक से काम ही नहीं कर रहे हैं. इसको लेकर उपाधयाय हमेशा से ही सवाल खड़े करते रहे हैं.

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आलम ये रहा कि किशोर उपाध्याय ने पिछले दिनों परिवारवाद और टिकट बंटवारे को लेकर भी ऐसा बयान दिया जो सीधे हरीश रावत के सीने पर जा लगा. किशोर ने कहा कि वो पार्टी से मांग करेंगे की एक परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट मिले. ये बात जग जाहिर है कि रावत अपने बेटे और बेटी अनुपमा के लिए टिकट की मांग कर रहे थे और जनता के बीच जा कर उनके लिए प्रचार करना तक शुरू कर चुके हैं. किशोर की ये बात हरीश रावत को इतनी नागवार गुजरी कि रावत ने अपने बयान में ये तक कह दिया की हर कोई चाहता है कि उसका बेटा-बेटी उसकी विरासत संभाले और पार्टी में ऐसे बयानों की कोई जगह नहीं है. हालांकि पार्टी ने उनके परिवार में से किसी को टिकट नहीं दिया.

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