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इन 5 बड़े मुद्दों के दम पर मानसून सत्र में मोदी सरकार को घेरेगी कांग्रेस

कांग्रेस ने मुद्दों की तलाश में इस बात का खास ख्याल रखा है कि उस पर गांधी परिवार के लिए ही सिर्फ लड़ाई लड़ने की तोहमत न लगे और विपक्षी छिटक न जाएं.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी
ब्रजेश मिश्र/कुमार विक्रांत
  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 8:30 AM IST

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मुलाकात के बाद उन मुद्दों की फेहरिस्त तैयार है जिसके जरिए मानसून सत्र में सरकार को घेरा जा सके. मानसून सत्र में पार्टी को लगता है कि इस बार तमाम ऐसे मुद्दे हैं जिन पर तमाम क्षेत्रीय दल भी सरकार के खिलाफ खड़े होंगे और सरकार को बैकफुट पर जाना पड़ेगा.

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कांग्रेस ने मुद्दों की तलाश में इस बात का खास ख्याल रखा है कि उस पर गांधी परिवार के लिए ही सिर्फ लड़ाई लड़ने की तोहमत न लगे और विपक्षी छिटक न जाएं. कांग्रेस उन मुद्दों के साथ उतरेगी जो जनता से जुड़े हों या फिर राज्य सरकारों के हक़ के हों, जिससे वो विपक्षी एकता को मजबूत कर सके.

कांग्रेस ने इस बार अपने मुद्दों का टॉप 5 बनाया है, जिसके जरिए वो सरकार को घेरेगी-
1. अरुणाचल और उत्तराखंड में केंद्र और राज्यपाल की भूमिका: कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगेगी. उसको लगता है कि तमाम राजनीतिक दल इस मुद्दे पर उसका साथ देंगे. यहां तक की सरकार की सहयोगी शिवसेना के रुख के बाद तो वो खासी उत्साहित है.

2. महंगाई: ये वो मुद्दा है जिस सरकार के खिलाफ आसानी से विपक्ष को लामबंद किया जा सकता है. लेकिन कांग्रेस का किरदार अहम रहे, इसीलिए 20 जुलाई को पार्टी जंतर-मंतर पर बड़ा विरोध-प्रदर्शन भी इसी मुद्दे पर करेगी. पार्टी की तैयारी यूपीए के कार्यकाल की आज की महंगाई से की जाए और उस वक़्त बीजेपी नेताओं के बयान याद दिलाए जाएं.

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3. कश्मीर मुद्दा: जम्मू कश्मीर के हालात चिंताजनक हैं, पार्टी इस मसले को भी संसद में उठाएगी और ठीकरा केंद्र और राज्य सरकार पर फोड़ेगी.

4. विदेश नीति: हाल में कश्मीर पर पाकिस्तान का बड़बोलापन, एनएसजी का मामला और चीन का रवैया, इस सबको मिलाकर सरकार को उसकी विदेश नीति पर घेरा जाएगा.

5. केंद्र और राज्य का मुद्दा: हाल में केंद्र और राज्य के बीच हुई बैठक के बाद ममता, केजरीवाल और अकालियों के रुख से कांग्रेस को बल मिला है. वो चाहती है कि केंद्र के रुख की क्षेत्रीय दल आलोचना करें और वो अगुवा बन इस मुद्दे पर विपक्षी एकता के साथ सरकार से भिड़े.

विपक्षी दलों के नेताओं से संपर्क में कांग्रेस
इन मुद्दों पर कांग्रेस जेडीयू, एनसीपी, आरजेडी, लेफ्ट सरीखी तमाम पार्टियों से संपर्क बनाए हुए है. यूपी चुनाव के लिहाज से वो बीएसपी और एसपी को लेकर जरूर सतर्क है.

GST बिल पर बैकफुट पर कांग्रेस
इस बिल पर तमाम दलों के हामी भरने के बाद कांग्रेस जरूर बैकफुट पर है. सरकार और पार्टी के बीच 18 फीसदी पर कैप को संविधान संशोधन में रखने पर विवाद है. हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने इस पर लचीला रुख अपनाते हुए इसको अब संविधान संशोधन में रखने की मांग पर नहीं अड़ेगी. सरकार से इसके लिए विकल्प के तौर पर किसी कानूनी सुरक्षा की मांग करेगी और सरकार के जवाब का इंतजार करेगी.

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रोजमर्रा के मुद्दों पर भी निगाहें
इसी बीच संसद सत्र के दौरान अगर कोई बड़ा मुद्दा सामने आता है तो पार्टी उसको भी लपकने में देरी नहीं करेगी.

राज्यसभा पर पहले की तरह रहेगा जोर
कांग्रेस को मालूम है कि लोकसभा में उसका अंकगणित कमजोर है. इसलिये उसका ज्यादा जोर राज्यसभा में ही रहेगा. दरअसल, राज्यसभा के ही चलते वो अपना प्लान यूपी तय करने में देरी तक कर रही है, क्योंकि यूपी के प्रभारी गुलाम नबी आजाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं, राजबब्बर , संजय सिंह, प्रमोद तिवारी, पी एल पूनिया भी राज्यसभा सांसद हैं. राज्यसभा में इनकी मौजूदगी बेहद अहम है, इसी चक्कर में लखनऊ में नई टीम के पदभार संभालने के लिए रविवार का दिन चुना गया और अगले दिन सोमवार को सभी को संसद में मौजूद रहने को कह दिया गया. कुल मिलाकर संसद का ये मानसून सत्र हंगामेदार रहेगा और विपक्ष की पूरी कोशिश होगी कि, वो बारिश के मौसम में सरकार के पसीने छुड़ा दे.

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