
कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने 2014 में कांग्रेस की हार के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के रोल को लेकर कई सवाल उठाए हैं. मनीष तिवारी ने शुक्रवार को ट्वीट करके चार सवाल पूछे. उन्होंने कहा कि क्या 2014 में कांग्रेस की हार के लिए यूपीए जिम्मेदार है, यह उचित सवाल है और इसका जवाब मिलना चाहिए?
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि अगर सभी समान रूप से जिम्मेदार हैं, तो UPA को अलग क्यों रखा जा रहा है? 2019 की हार पर भी मंथन होना चाहिए. सरकार से बाहर हुए 6 साल हो गए, लेकिन यूपीए पर कोई सवाल नहीं उठाए गए. यूपीए पर भी सवाल उठना चाहिए.
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क्यों उठ रहा है सवाल
यूपीए की चेयरपर्सन और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कल कांग्रेस के सभी राज्यसभा सांसदों की वर्चुअल मीटिंग ली थी. इस दौरान वर्तमान राजनीतिक हालत और कोरोना समेत कई मसलों पर चर्चा की गई. सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के कुछ सांसदों ने 2014 और 2019 की हार को लेकर भी कई बातें कहीं.
सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी की बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि हमें हार पर आत्ममंथन करने की जरूरत है. वहीं, नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद राजीव सातव ने कहा कि आत्ममंथन की शुरुआत हमें पहले अपने घर से करनी चाहिए.
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राजीव सातव ने कहा कि हर तरह से आत्मनिरीक्षण करें, लेकिन हम 44 पर कैसे आए? इस पर भी गौर किया जाना चाहिए. हम 2009 में 200 से अधिक थे. आप आत्ममंथन करने को कह रहे हैं. आप सभी मंत्री थे. सच कहूं, तो यह भी देखा जाना चाहिए कि आप कहां असफल रहे. खासतौर पर यूपीए-2 के दौरान.
क्या है यूपीए
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) कई राजनीतिक पार्टियों का गठबंधन है, जिसकी अगुवाई कांग्रेस करती है. 2004 से 2014 तक यूपीए की ही सरकार केंद्र में थी. इस समय यूपीए में कांग्रेस के अलावा शिवसेना, डीएमके, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस शामिल है.
इसके अलावा यूपीए का हिस्सा झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), जनता दल सेक्युलर (जेडीएस), केरल कांग्रेस, एमडीएमके, आरएसपी, एआईयूडीएफ, वीसीके और कुछ निर्दलीय राजनेता शामिल हैं. 2014 तक सोशल जनता (डेमोक्रेटिक), 2012 तक तृणमूल कांग्रेस और एआईएमआईएम भी यूपीए का हिस्सा थीं.