
दिल्ली की एक अदालत ने बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी को ट्वीट करने से रोकने की याचिका को खारिज कर दिया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, उनकी मां सोनिया गांधी और अन्य के खिलाफ दायर नेशनल हेराल्ड मामले के बारे में स्वामी को ट्वीट करने से रोकने की वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा ने कोर्ट में अर्जी दायर की थी.
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने इस मामले में आरोपी वोरा की अर्जी खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि यह दर्शाने के लिए ऐसा कुछ नहीं है कि ट्वीटों से इस मामले की सुनवाई को कोई नुकसान पहुंचा है या अदालत के लिए कोई पूर्वाग्रह पैदा किया है. वोरा ने अपनी अर्जी में आरोप लगाया था कि स्वामी अपने ट्वीटों के मार्फत अदालती कार्यवाही को प्रभावित करने का कोशिश कर रहे हैं.
अदालत ने कहा, ‘कोई भी अदालत किसी व्यक्ति को किसी मामले की कार्यवाही की रिपोर्टिंग करने से तब तक नहीं रोक सकती जबतक यह नहीं प्रदर्शित हो जाता कि रिपोर्टिंग साफतौर पर और दुभार्वनापूर्ण रूप से गलत है.’ अदालत ने कहा कि हो सकता है कि ट्वीट आवेदक या अन्य आरोपी की नजर में अच्छा लगने वाले न हों लेकिन वे कैसे न्याय प्रशासन में दखल देते हैं या आरोपियों के बचाव में पूर्वाग्रहपूर्ण हैं, साफ नहीं है.
अदालत ने कहा कि अगर आवेदक समझता है कि कुछ ट्वीट मानहानिकारक हैं तो उनके पास कानून के तहत, न कि अदालत की अवमानना के अंतर्गत उपयुक्त उपचार है. स्वामी ने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि उन्हें ट्वीट करने का पूरा हक है.
उन्होंने अपनी निजी आपराधिक शिकायत में गांधी और अन्य पर धोखाधड़ी और धन की हेराफेरी की साजिश रचने का आरोप लगाया और कहा कि महज 50 लाख रुपये का भुगतान कर यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के मार्फत कांग्रेस के स्वामित्व वाले ‘एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड’ की 90.25 करोड़ रुपये की वसूली का अधिकार हासिल कर लिया. वोरा ने पहले अदालत से कहा था कि स्वामी ट्वीटों के माध्यम से आरोपियों का चरित्र हनन करने में लगे हैं.
सभी आरोपियों सोनिया गांधी, राहुल गांधी, वोरा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता ऑस्कर फर्नांडीस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और यंग इंडियन ने अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार किया है. अदालत ने आरोपियों को 26 जून 2014 को तलब किया था. 19 दिसंबर, 2015 को अदालत ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, वोरा, फर्नांडीस और दुबे को जमानत दे दी, पित्रोदा को बाद में जमानत दी गई.