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कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में 29 अप्रैल को दिल्ली में होने वाली महारैली में उत्तराखंड से 10 हजार कांग्रेसी कार्यकर्ता शामिल होंगे. दअरसल देहरादून में कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय पर इस संबंध में गढ़वाल मंडल के तमाम पदाधिकारियों की बैठक में यह फैसला लिया गया.
बैठक के बाद पीसीसी चीफ प्रीतम सिंह ने बताया कि उत्तराखंड में आम जनता केंद्र और राज्य सरकार के रवैए से त्रस्त हो चुकी है, राज्य सरकार के 1 साल के कार्यकाल में जनता में असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो रही है और इसी आक्रोश को दिखाने के लिए दिल्ली में उत्तराखंड से 10 हजार कांग्रेसी कार्यकर्ता रैली में शामिल होने जा रहे हैं.
कांग्रेस के अलग-अलग रहने वाले चेहरे एक साथ
इस बैठक में हरीश रावत और प्रीतम सिंह को एक साथ देखकर भी कार्यकर्ता उत्साहित थे. गौरतलब है कि पिछले काफी समय से कांग्रेस में तीन अलग-अलग गुट दिखने लगे थे जो आमतौर पर साथ नहीं बैठ रहे थे.
आज की इस बैठक में जिस तरह से इंदिरा हृदेश, हरीश रावत, प्रीतम सिंह को साथ देखकर ये जरूर प्रतीत हो रहा है कि आने वाले लोकसभा चुनाव के नतीजे बेहद रोमांचक हो सकते हैं. वैसे भी पिछले काफी समय कांग्रेस के अंदर बिखराव देखने को मिल रहा था.
ऐसे में एक साथ एक ही मंच पर दिग्गजों को रणनीति बनाते हुए देखकर उत्साही कांग्रेसी भी अब ये मानने लगे हैं कि 2019 में होने वाले लोकसभा के चुनाव अब भाजपा के लिए आसान नहीं होंगे.
फिर सक्रिय हरीश रावत
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के दोनों सीटों से हारने के बाद यह माना जा रहा था कि अब उनका राजनीतिक भविष्य खत्म सा हो गया है. ऐसे में कांग्रेस में ही हरीश विरोधी गुट सक्रिय हो गया था, लेकिन जिस तरह से हरीश रावत ने अपनी उत्तराखंड प्रदेश के अंदर हलचल की है, उससे उनके विरोधी बेहद सकते में थे, उनके एकदम से सक्रिय होने से भाजपा के अंदर भी चिंता की लकीरें उभर कर सामने जरूर आई हैं.
सत्तारुढ़ उत्तराखंड भाजपा के भीतर भी कई गुट एक साथ सक्रिय हैं जिन्हें सीधे तौर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का विरोधी माना जाता है, हालांकि खुलकर तो नहीं मगर भाजपा हाईकमान के पास लगातार अपनी शिकायतों को लेकर दिल्ली के चक्कर जरूर लगाए. ऐसे में इस तरह के विरोध का फ़ायदा कांग्रेस आने वाले लोकसभा चुनावों में जरूर उठाने की कोशिश करेगी क्योंकि भले ही हरीश रावत ने पिछले विधानसभा पर चुनाव में हार का सामना जरूर किया लेकिन इस समय हरीश रावत किस तरह की राजनीतिक खिचड़ी पका रहे हैं ये तो खुद कांग्रेस और उनके करीबियों को भी नहीं मालूम.
बहरहाल कांग्रेस का एकजुट होना भले ही आलाकमान के इशारों के बाद हो मगर कांग्रेस ये अच्छा संकेत जरूर है.