
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बढ़ती असहिष्णुता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है. इस मुद्दे पर उनकी खामोशी पर सवाल उठाए हैं. सोनिया के नेतृत्व में कांग्रेस ने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने के बाद सियासी वार किया.
सोनिया ने कहा कि जो भी दुखद घटनाएं हो रही हैं, वे सोची-समझी साजिश का हिस्सा हैं. असहिष्णुता बढ़ती जा रही है. राष्ट्रपति इस पर बोल चुके, लेकिन पीएम खामोश हैं. उनकी खामोशी इस बात को दर्शाती है कि इन गतिविधियों से उनकी सहमति है.
कांग्रेस का आरोप- असहिष्णुता को बढ़ावा दिया जा रहा है
सोनिया ने आरोप लगाया कि असहिष्णुता को बढ़ावा दिया जा रहा है. समाज को बांटने के लिए साजिश रची गई है. कांग्रेस इसका मुकाबला करेगी. वहीं, राहुल ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस के लोग माहौल बिगाड़ रहे हैं. इससे पहले सोनिया के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं ने संसद से राष्ट्रपति भवन तक मार्च किया. पार्टी ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को ज्ञापन सौंपकर अपील की है कि वे असहिष्णुता का माहौल खत्म करने के लिए अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करें.
बीजेपी ने कहा- ये कुंठा है
कांग्रेस के इस मार्च पर बीजेपी ने निशाना साधा है. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि एक तरफ तो भारत आगे बढ़ रहा है, लेकिन सोनिया गांधी कुंठा में मार्च कर रहीं हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का विरोध मार्च कुंठा का मार्च है. जब भी वे सत्ता से बाहर होते हैं, कुंठित हो जाते हैं.
कांग्रेस का जवाब
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि यह विरोध नहीं, देश की आत्मा की पीड़ा है. लेकिन यह अंधी, बहरी और गूंगी है. इस सरकार को भूख, आंसू, पीड़ा समझ नहीं आती. सोनिया, राहुल, गुलाम नबी आजाद समेत 11 नेता राष्ट्रपति से मिले.
बढ़ रहा है विरोध
विपक्षी दल कांग्रेस का यह कदम कलाकारों, लेखकों और वैज्ञानिकों की ओर से बढ़ती असहिष्णुता को लेकर विरोधों की पृष्ठभूमि में आया है. दो दिन पहले सोनिया ने कहा था कि विभाजनकारी ताकतें शैतानी षड्यंत्र फैला रही हैं. इससे देश की एकता को खतरा उत्पन्न होता है.
मोदी ने कहा था कांग्रेस न दे सीख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए कहा था कि कांग्रेस को एनडीए को असहिष्णुता पर सीख देने का नैतिक अधिकार नहीं है. कांग्रेस को 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के लिए अपना सिर शर्म से झुका लेना चाहिए, जिसमें हजारों लोगों का कत्लेआम हुआ था.