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मोदी को टक्‍कर देने के लिए कांग्रेस खेल सकती है जाट आरक्षण का दांव

चर्चा गर्म है कि नरेन्द्र मोदी को रोकने के लिए कांग्रेस जाट आरक्षण का दांव खेल सकती है. मोदी पिछड़ी जाति से हैं और कांग्रेस को डर है कि ऐसे में कहीं बीजेपी मोदी की इस पहचान को भी वोट के लिए जोर-शोर से भुनाने में न जुट जाए. इसलिए जाटों को आरक्षण दिये जाने की बात की जा रही है.

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 नवंबर 2013,
  • अपडेटेड 12:18 AM IST

चर्चा गर्म है कि नरेन्द्र मोदी को रोकने के लिए कांग्रेस जाट आरक्षण का दांव खेल सकती है. मोदी पिछड़ी जाति से हैं और कांग्रेस को डर है कि ऐसे में कहीं बीजेपी मोदी की इस पहचान को भी वोट के लिए जोर-शोर से भुनाने में न जुट जाए. इसलिए जाटों को आरक्षण दिये जाने की बात की जा रही है. लेकिन क्या सचमुच जाटों को आरक्षण का तोहफा मिलेगा? मामला चाहे मुसलमानों का हो या गुर्जरों का, चुनावी मौसम में किए गये आरक्षण के वायदे अक्सर खोखले ही निकलते हैं.

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इसके पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय सलमान खुर्शीद ने दावा किया था कि चुनाव आयोग चाहे उन्‍हें फांसी दे दे तब भी वे मुसलमानों को आरक्षण दिला कर रहेंगे.

चुनाव आचार संहिता लागू होने के बावजूद भी उस समय के कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने ऐलान कर दिया कि मुसलमानों को ओबीसी कोटे के भीतर अलग से 9 फीसदी आरक्षण दिला कर रहेंगे. चुनाव आयोग के ऐतराज जताने पर कानून मंत्री ने दो कदम आगे बढ़कर कहा कि फांसी दे दो तब भी बोलूंगा. दो साल बीत जाने के बाद पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण का कहीं अता-पता नहीं है.

अभी फिर चुनावों का समय है, पांच राज्यों में चुनावों की प्रक्रिया शुरू है और लोकसभा चुनाव भी सर पर हैं. इस बार आरक्षण का झुनझुना जाट वोटरों को लुभाने के लिए बजाया जा रहा है. जाटों की लंबे समय से मांग रही है कि उन्हें केन्द्र सरकार पिछड़ी जातियों की लिस्ट में शामिल करे. राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में जाट वोटर बहुत सारी सीटों पर नतीजे पलटने की ताकत रखते हैं लेकिन जाट नेता कह रहे हैं कि वे खोखले वायदों से पहले भी कई बार धोखा खा चुके हैं. इस बार वे कांग्रेस को सबक सिखा कर रहेंगे.

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अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा, ' इस बार हम वायदे से नहीं मानेंगे, 2009 और 2012 में हम धोखा खा चुके हैं. मुसलमानों के साथ हमें भी आरक्षण का वायदा किया गया था. इस बार नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ तो कांग्रेस को हराएंगे.'

जाट आरक्षण की राह आसान नहीं है. साल 2011 में नेशनल कमिशन फॉर बैकवार्ड क्‍लासेज (NCBC) ने जाटों को आरक्षण नहीं देने की सिफारिश की थी. केन्द्र सरकार की ओबीसी लिस्ट में पहले से ही 2353 जातियां शामिल हो चुकी हैं. यह बात भी लगभग पक्की है कि सरकार ने कदम बढ़ाया नहीं कि दूसरी जातियां अदालत का दरवाजा खटखटाएंगी. यह भी सवाल उठ रहा है कि हाल में ही मुजफ्फरनगर दंगों के बाद सरकार क्या जाटों को आरक्षण देकर मुस्लिम वोट बैंक को नाराज करना चाहेगी.

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