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'हिंदू पाकिस्तान' वाले बयान पर शशि थरूर की मुश्किल बढ़ी, कोर्ट में तलब

थरूर ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा था कि यदि बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में जीतती है तो इससे देश 'हिंदू पाकिस्तान' बन जाएगा.

शशि थरूर (फाइल फोटो) शशि थरूर (फाइल फोटो)
वरुण शैलेश/मनोज्ञा लोइवाल
  • कोलकाता,
  • 14 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 12:31 PM IST

कलकत्ता हाईकोर्ट ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर को उनके 'हिंदू पाकिस्तान' वाले बयान पर समन भेजा है. वकील सुमित चौधरी ने  उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कांग्रेस नेता के इस बयान पर आपत्ति दर्ज कराई है.

दायर याचिका में कहा गया है कि थरूर के बयान से धार्मिक भावना आहत हुई है और इससे संविधान का अपमान हुआ है. कोर्ट ने कांग्रेस नेता से 14 अगस्त को पेश होने को कहा है. सुमित चौधरी ने 'आजतक' से कहा, 'शशि थरूर के बयान से मेरी भावना आहत हुई है. वह भारत जैसे लोकतांत्रिक देश की इस्लामिक देश पाकिस्तान से तुलना नहीं कर सकते हैं. उन्होंने संविधान का अपमान किया है. इसलिए मैंने कोर्ट में केस दायर किया है.'

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गौरतलब है कि थरूर ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा था कि यदि बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में जीतती है तो इससे देश 'हिंदू पाकिस्तान' बन जाएगा. तिरुअनंतपुरम में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अगर जीतती है तो वह नया संविधान लिखेगी, जिससे यह देश पाकिस्तान बनने की राह पर आगे बढ़ेगा जहां, अल्पसंख्यकों के अधिकारों का कोई सम्मान नहीं किया जाता है.

यह भी पढ़ें- थरूर के 'हिंदू-पाकिस्तान' को हामिद अंसारी का समर्थन, कहा- देश में डर का माहौल

शशि थरूर के इस बयान को लेकर गलियारे में काफी बवाल मचा हुआ है. बीजेपी के हमलावर होने के बाद थरूर के बयान से कांग्रेस ने भी पल्ला झाड़ लिया और अपने नेताओं से सोच समझकर बोलने की हिदायत दी थी. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि बीते चार सालों में मोदी सरकार ने विभाजन, कट्टरता, घृणा, असहिष्णुता और ध्रुवीकरण का माहौल बना दिया है. दूसरी तरफ़ कांग्रेस, भारत की बहुलता भरी सभ्यता, विविधता, विभिन्न धर्म एवं संप्रदायाओं में सद्भाव की हिमायती रही है.

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उन्होंने कहा, 'भारत के मूल्य और बुनियादी सिद्धांत, सभ्यता में हमारी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं और हमें विभाजनकारी विचार वाले पाकिस्तान से अलग रखते हैं. सभी कांग्रेसी नेताओं को अपनी ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी समझनी होगी और भारतीय जनता पार्टी की नफरत की राजनीति को खारिज़ करने के लिए सोच समझकर शब्दों और मुहावरों का चुनाव करना होगा.'

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