
कांग्रेस पार्टी या इसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी लगातार दूसरे साल किसी इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं करेंगी. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पिछली बार की तरह ईद के मौके पर इफ्तार पार्टी की जगह गरीबों के बीच राशन वितरण किया जाएगा. दरअसल 2016 से ही कांग्रेस ने इफ्तार पार्टी नहीं देने का फैसला किया. 2014 में लोकसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी की तरफ से 2014 और 2015 में इफ्तार का आयोजन किया गया था. उत्तर प्रदेश में इसी महीने होनेवाले इफ्तार के आयोजन को बिना कारण बताए रद्द कर दिया गया है.
इफ्तार पार्टी का आयोजन क्यों नहीं?
2014 लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस की हार के कारणों को जानने के लिए ए के एंटनी कमेटी का गठन किया गया था. एंटनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में हार के एक कारण के तौर पर कहा था कि मुस्लिम तुष्टिकरण की छवि की वजह से बहुसंख्यक मतदाता नाराज हुआ जिसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ा. हालांकि एंटनी कमेटी की रिपोर्ट के बावजूद कांग्रेस ने 2014 और 2015 में लोकसभा चुनाव के बाद भी इफ्तार पार्टी का आयोजन किया. लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद भी कांग्रेस को एक के बाद एक विधानसभा चुनाव में शिकस्त मिलती रही. संभवत: इसी के बाद पार्टी को एहसास हुआ कि मुस्लिम तुष्टिकरण की छवि तोड़ने के लिए कुछ प्रतीकात्मक संकेतों और संदेशों से नाता तोड़ना होगा. क्या इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं करना इसी छवि को तोड़ने का हिस्सा है.
हिंदू विरोधी छवि को भी तोड़ने की कोशिश!
मुस्लिम तुष्टिकरण का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट पार्टी के लिए ये हुआ कि कांग्रेस की छवि हिंदू विरोधी बन गई. हालांकि यूपीए शासन के दौरान हर साल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दशहरा के मौके पर रावण दहन कार्यक्रम में शामिल होते थे. लेकिन ऐसे कार्यक्रमों से कभी भी कांग्रेस की ओर से हिंदुओं को लेकर प्रतीकात्मक संदेश देने की कोशिस नहीं की गई. जबकि इफ्तार पार्टी को बड़े आयोजन के तौर पर प्रचारित प्रसारित किया जाता रहा ताकि मुस्लिम मतदाताओं में एक साफ संदेश जाता रहे. कांग्रेस को इसका बहुत नुकसान हुआ और यही वजह थी कि 2016 में कांग्रेस दफ्तर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ होली खेली.होली मिलन के पीछे मकसद था कि बहुसंख्यक समुदाय में पार्टी की छवि को सुधारा जा सके. हालांकि होली का सिलसिला भी जारी नहीं रह सका क्योंकि 2017 में कांग्रेस दफ्तर में होली मिलन का आयोजन नहीं किया गया.
कांग्रेस में भ्रम की स्थिति?
कांग्रेस में मुस्लिम तुष्टिकरण को लेकर फिलहाल कोई भ्रम नहीं है. पार्टी की तरफ से संदेश साफ है कि कोई ऐसा काम न किया जाए जिससे पार्टी की छवि अल्पसंख्यक समर्थक और बहुसंख्यक विरोध की बनती दिखे. पार्टी के सामने सबसे बड़ी मुश्किल और भ्रम की स्थिति बहुसंख्यक और बीजेपी के हिंदुत्व को लेकर है. कांग्रेस के सामने लगातार दुविधा की स्थिति बनी हुई है कि सॉफ्ट हिंदुत्व को अपनाए या नहीं.