
देश फिलहाल चीन से पूरी दुनिया में फैले कोरोना वायरस से निपटने की जद्दोजहद में लगा हुआ है. केंद्र सरकार ने देश में वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लागू कर रखा है. इस वजह से आर्थिक गतिविधियां तो रुकी हीं, तमाम उद्योग-धंधे भी रुक गए, क्योंकि मजदूरों की आवाजाही भी रुक चुकी थी. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बार फिर देश की आर्थिक हालात पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखी है.
सोनिया गांधी ने अपने पत्र में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की दुर्दशा की बात उठाई है. सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में एमएएसएमई सेक्टर की सुरक्षा के लिए पांच उपाय भी बताए हैं. सोनिया गांधी के मुताबिक एमएसएमई के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के मजदूरी संरक्षण पैकेज की घोषणा की जानी चाहिए. इसके साथ ही सोनिया ने MSME के लिए 1 लाख करोड़ रुपए की क्रेडिट गारंटी फंड की स्थापना का सुझाव भी दिया है.
सोनिया गांधी ने अपनी चिट्ठी में लिखा है, "माइक्रो, स्मॉल एवं मीडियम उद्योग (एमएसएमई) देश की जीडीपी में एक तिहाई का योगदान देते हैं एवं हमारे देश के कुल निर्यात में 50 प्रतिशत हिस्सा इस सेक्टर का है. एमएसएमई सेक्टर की 6.3 करोड़ इकाईयों में 11 करोड़ से अधिक लोग रोजगार पाते हैं. आर्थिक संकट के इस समय में बगैर मदद के यह सेक्टर बर्बादी की कगार पर आ खड़ा हुआ है."
सोनिया ने आगे लिखा है, "लॉकडाउन से इस सेक्टर को रोजाना 30,000 करोड़ रु. का नुकसान हो रहा है. लॉकडाउन के दौरान लगभग सभी एमएसएमई के सेल्स ऑर्डर रुक गए हैं, उनका काम पूरी तरह से बंद हो गया तथा उनकी आय पर गंभीर व प्रतिकूल असर हुआ है. सबसे चिंताजनक बात यह है कि इनमें काम करने वाले 11 करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरी छिन जाने का खतरा सर पर मंडरा रहा है, क्योंकि ये एमएसएमई उनका वेतन व मेहनताना देने की स्थिति में नहीं हैं."
इसके साथ ही सोनिया गांधी ने अपनी चिट्ठी में इस सेक्टर के लिए पांच उपाय लिखे हैं. उन्होंने लिखा है, "सरकार को सर पर मंडराते इस संकट से निपटने के लिए अनेक उपाय करने की जरूरत होगी अन्यथा भविष्य में आर्थिक संकट और ज्यादा गहरा जाएगा. इसलिए मैं आपको निम्नलिखित सुझाव देती हूं."
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ये हैं सोनिया गांधी के उपाय
पहला, 1 लाख करोड़ रु. के 'एमएसएमई सेक्टर वेज प्रोटेक्शन' पैकेज की घोषणा की जाए. इससे इन नौकरियों को बचाने, मनोबल बढ़ाने तथा सर पर मंडराते आर्थिक संकट को दूर करने में मदद मिलेगी.
दूसरा, 1 लाख करोड़ रु. के 'क्रेडिट गारंटी फंड' का गठन किया जाए. इससे इस सेक्टर में तत्काल लिक्विडिटी आएगी और एमएसएमई को जरूरत पड़ने पर पर्याप्त पूंजी उपलब्ध हो सकेगी.
तीसरा, आरबीआई द्वारा उठाए गए कदम कमर्शियल बैंकों के जमीनी क्रियान्वयन में भी दिखाई दें, जिससे एमएसएमई इकाईयों को पर्याप्त, आसान दरों पर व जल्द से जल्द कर्ज सुनिश्चित हो सके. इसके अलावा आरबीआई के मोनेटरी (मौद्रिक) निर्णयों को सरकार की संपूर्ण वित्तीय मदद मिले, जिससे इन इकाईयों को लाभ पहुंचे. मंत्रालय में एक 24/7 हेल्पलाईन बहुत उपयोगी होगी, जो इस अवधि में एमएसएमई को मार्गदर्शन देकर सहायता प्रदान करे.
चौथा, इन उपायों के अलावा लोन के भुगतान के लिए आरबीआई द्वारा घोषित लोन मोरेटोरियम का लाभ एमएसएमई इकाईयों के लिए 3 माह से आगे बढ़ाकर इसका विस्तार किया जाए. सरकार को एमएसएमई के लिए टैक्स में छूट/कटौती तथा अन्य सेक्टर विशेष समाधान भी तलाशने चाहिए.
पांचवां, अत्यधिक कोलेटरल सिक्योरिटी के चलते एमएसएमई इकाईयों को कर्ज नहीं मिल पाता. एमएसएमई इकाईयों के लिए 'मार्जिन मनी' की सीमा भी मौजूदा स्थिति में बहुत अधिक है. इन कारणों से एमएसएमई सेक्टर को कर्ज की उपलब्धता कम है. इस समस्या का फौरन समाधान करना भी अति आवश्यक है.
सीडब्लूसी की बैठक में भी सोनिया ने दी थी कुछ सलाह
सोनिया गांधी ने इससे पहले भी मोदी सरकार पर उंगलियां उठाई हैं. कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्लूसी) की बैठक में सोनिया गांधी ने पीपीई किट की खराब क्वालिटी पर चिंता जाहिर की थी और साथ ही कहा था कि देश में कोरोना टेस्टिंग अभी बहुत कम संख्या में हो रही है, यह काफी गंभीर बात है.
मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए सोनिया गांधी ने कहा था कि हमने बार-बार प्रधानमंत्री से कहा है कि टेस्टिंग का कोई विकल्प नहीं है. इसके बावजूद भी टेस्टिंग कम हो रही है और पीपीई भी अच्छी क्वालिटी के नहीं है. हमने काफी सुझाव दिए, लेकिन सरकार उनको अमल में लाने के लिए कोई सक्रियता नहीं दिखा रही है.
सोनिया गांधी ने मांग की थी कि गरीबों-मजूदरों-किसानों के खाते में तुरंत 7500 रुपये ट्रांसफर किए जाने चाहिए. मजदूरों को खाद सुरक्षा मुहैया कराने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं. सोनिया ने कहा था कि हमें कोरोना वॉरियर्स को सलाम करना चाहिए. तमाम हेल्थ वर्कर, जो बिना जरूरी मेडिकल उपकरण के भी फील्ड पर काम कर रहे हैं.
किसानों का मसला उठाते हुए सोनिया गांधी ने कहा था कि लॉकडाउन की वजह से देश के किसान सबसे अधिक परेशान हैं. कमजोर और अस्पष्ट खरीद नीतियों के अलावा सप्लाई चेन में आ रही दिक्कतों ने किसानों को बेहाल कर दिया है. उनकी समस्याओं का जल्द से जल्द निपटारा किया जाना चाहिए. खरीफ फसल के लिए भी किसानों को सुविधाएं मिले.
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सोनिया गांधी ने सीडब्लूसी की बैठक में कहा था कि प्रवासी मजदूर अब भी फंसे हुए हैं, बेरोजगार हैं और घर लौटने को बेताब हैं. वह सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं. संकट के इस दौर से बचे रहने के लिए उन्हें खाद्य सुरक्षा और वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध कराया जाना चाहिए. तीन हफ्तों में महामारी तेजी से बढ़ी है. चाहे वह कोरोना का फैलाव हो या फिर स्पीड.