
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में पिछले 15 दिन से लगातार बढ़ोतरी हो रही है और इनकी कीमतों को नियंत्रित करने में नाकाम रही मोदी सरकार ने बैठे-बिठाए विपक्षी कांग्रेस को एक बड़ा मुद्दा थमा दिया है. कांग्रेस तेल की बढ़ती कीमतों के मुद्दे को राजनीतिक तौर पर भुनाने की तैयारी में है.
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष और सांसद सुनील कुमार जाखड़ ने सोमवार को चंडीगढ़ में कहा कि मई 2012 में पेट्रोल की कीमत 73 रुपये प्रति लीटर पहुंच गई थी तो बीजेपी ने भारत बंद का आयोजन किया था. हालांकि उस समय कच्चे तेल की कीमत 104 डॉलर प्रति बैरल थी, लेकिन आज जब कच्चा तेल 67 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर उपलब्ध है तो डीजल 69 रुपये और पेट्रोल 78 रुपये प्रति लीटर क्यों बिक रहा है?
सुनील जाखड़ ने कहा, 'बीजेपी साहूकारों की सरकार है. उसने तेल पर टैक्स लगाकर आम आदमी से तीन लाख करोड़ रुपये वसूल कर लिए और हर आदमी को सड़क पर ला दिया. कांग्रेस बीजेपी को उसकी भाषा में याद दिलाना चाहती है कि तेल की कीमतें बढ़ने से किसान और आम आदमी किस तरह से प्रभावित हो रहा.'
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी के कई नेताओं द्वारा 31 मई 2012 को विपक्ष में रहते हुए तेल की बढ़ी कीमतों पर दिए उनके बयान याद दिलाए. उन्होंने कहा कि जिस वक्त डीजल 40 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल 73 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था तो यह नेता आसमान सिर पर उठा रहे थे, लेकिन अब जबकि कच्चे तेल की कीमतें 2012 के मुकाबले लगभग आधी रह गई हैं तो भी देश में डीजल और पेट्रोल की कीमतें आसमान छू रही हैं.
सुनील जाखड़ ने कहा कि केंद्र सरकार ने डीजल और पेट्रोल को लोगों के शोषण का जरिया बना लिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस 31 मई के दिन देशभर में धरने प्रदर्शन आयोजित करके तेल की बढ़ती कीमतों का विरोध करेगी.
पंजाब के किसानों के लिए मुआवजे की मांग करते हुए सुनील जाखड़ ने कहा कि देश में तेल की कीमतें बढ़ने से आम आदमी के अलावा किसान भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. जाखड़ ने कहा कि पंजाब में तेल की कीमतें बढ़ने से अब धान की खेती की लागत 1300 रुपये से लेकर 1500 रुपये प्रति एकड़ तक बढ़ गई है, जिससे किसानों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. जाखड़ ने कहा कि 31 मई के दिन कांग्रेस द्वारा आयोजित प्रदर्शन में किसान भी शामिल होंगे क्योंकि वह पहले ही केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य के फॉर्मूले से संतुष्ट नहीं हैं.