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मोदी राज में राहुल गांधी पहली बार नहीं, दूसरी बार आधी रात को सड़क पर उतरे

मोदी राज में राहुल पहली बार दिल्ली की सड़कों पर आधी रात को नहीं उतरे हैं बल्कि इससे पहले भी वो सरकार के खिलाफ रात में सड़क पर उतरकर अपने गुस्से का इजहार कर चुके हैं.

इंडिया गेट पर कैंडल मार्च करते राहुल गांधी इंडिया गेट पर कैंडल मार्च करते राहुल गांधी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 13 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 12:28 PM IST

उन्नाव और कठुआ रेप मामलों पर देश गुस्से में है. गुनहगारों को बचाने की बेशर्म कोशिशों ने जहां एक तरफ लोगों को गुस्से में भर दिया है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हजारों लोगों के साथ आधी रात को इंडिया गेट पर कैंडिल मार्च करके अपने आक्रोश का इजहार किया. मोदी राज में राहुल पहली बार दिल्ली की सड़कों पर आधी रात को नहीं उतरे हैं बल्कि इससे पहले भी वो सरकार के खिलाफ रात में सड़क पर उतरकर अपने गुस्से का इजहार कर चुके हैं.

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इंडिया गेट पर राहुल

राहुल गांधी ने उन्नाव और कठुआ रेप मामलों को लेकर गुरुवार को देर शाम ट्वीट करते हुए कहा कि इन घटनाओं पर लाखों भारतीयों की तरह मेरा दिल भी दुखी है. हम महिलाओं को इस हाल में नहीं छोड़ सकते. आइए शांति और इंसाफ के लिए इंडिया गेट पर कैंडल मार्च में हिस्सा लें.

राहुल के एक ट्वीट की अपील पर आधी रात को इंडिया गेट पर हजारों युवाओं का हुजूम उमड़ पड़ा. राहुल के साथ उनकी बहन प्रियंका गांधी भी पति रॉबर्ट वाड्रा और बेटी के साथ इंडिया गेट पर पहुंचीं. राहुल ने विरोध प्रदर्शन करते हुए आपराधिक मामलों पर सख्त कार्रवाई की मांग की और महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सिस्टम की असंवेदनशीलता पर जमकर निशाना साधा.

पूर्व सैनिक की आत्महत्या

ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी ने ऐसा पहली बार किया है. वन रैंक-वन पेंशन की मांग को लिए पूर्व सैनिक राममकिशन ग्रेवाल ने आवाज बुलंद की थी. हालांकि जब उनकी सुनवाई नहीं हुई तो आखिरकार नवबंर 2016 में उन्होंने दिल्ली में जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी.

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जंतर-मंतर पर राहुल गांधी

रामकिशन की याद में कांग्रेस की ओर 3 नवंबर 2016 को शाम को जंतर-मंतर पर कैंडल मार्च निकाला. राहुल गांधी शामिल हुए. मोदी राज में दिल्ली की सड़कों पर वो पहली बार रात में कैंडिल मार्च के लिए उतरे थे. राहुल के साथ कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता हाथ में मोमबत्ती लेकर संसद मार्ग से अमर जवान ज्योति की तरफ जाने लगे तो पुलिस ने धारा 144 का हवाला देते हुए उन्हें हिरासत में ले ली थी. राहुल और ज्योतिरादित्य सिंधिया को संसद मार्ग थाने के बाहर करीब एक घंटा तक पीसीआर वैन में बिठाए रखा गया था.

राहुल कब-कब सड़क पर

बता दें कि राहुल गांधी मोदी राज से पहले भी सड़क पर उतरकर राज्य सरकारों की नींद हराम कर चुके हैं. मई 2011 में यूपी में बसपा की सरकार थी और ग्रेटर नोएडा के भट्टा पारसौल गांव में एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे थे. यूपी पुलिस ने किसानों पर फायरिंग कर दी. इससे किसानों का गुस्सा और भी बढ़ गया. राहुल गांधी ने ऐतिहासिक कदम उठाया. प्रशासन की रोक के बावजूद राहुल गांधी उन्हें चकमा देकर बाइक से भट्टा पारसौल पहुंचे और किसानों के संघर्ष में शामिल हुए. इसी तरह से राहुल मध्य प्रदेश के मनसौर भी किसानों के बीच पहुंचे थे. इसके अलावा सहारनपुर सहित कई जगह पहुंचकर आंदोलन में शामिल हुए.

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