
लोकसभा चुनाव, 2019 से पहले देश के पांच राज्यों के चुनावी नतीजों ने बीजेपी को तगड़ा झटका दिया है. वहीं, कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सत्ता में वापसी की है, लेकिन पार्टी नेताओं के बीच मुख्यमंत्री बनने को लेकर शह-मात का खेल जारी है. ऐसे में सत्ता की कमान किसे मिलेगी, अब यह फैसला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को करना है. ये राहुल के सियासी करियर का सबसे बड़ा फैसला है, जो कांग्रेस का भविष्य तय करेगा.
कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी के पार्टी की कमान संभालने के बाद पार्टी ने पहली बार तीन राज्यों में जीत दर्ज कर सत्ता में लौटी है. राजस्थान में मुख्यमंत्री की दौड़ में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और पार्टी संगठन महासचिव अशोक गहलोत हैं. वहीं, मध्य प्रदेश में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच रस्साकशी जारी है. जबकि छत्तीसगढ़ में तीन नेता सीएम पद के दावेदार माने जा रहे हैं.
राजस्थान के पायलट और गहलोत- दोनों नेता राहुल के करीबी माने जाते हैं. पायलट ने जहां पांच साल सूबे में रहकर संघर्ष किया और पार्टी की सत्ता में वापसी के लिए माहौल तैयार किया. वहीं, गहलोत दो बार राज्य के सीएम रह चुके हैं और सूबे में काफी लोकप्रिय भी हैं. ऐसे में राहुल को इन दोनों नेताओं के बीच एक नाम तय करना है. देश में चार महीने के बाद लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष का फैसला बहुत अहम होगा.
मध्य प्रदेश में सीएम की रेस में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच एक नाम पर मुहर लगनी है. प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने के बाद कमलनाथ एक नए तेवर में नजर आए हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने पिछले 6 महीनों में सूबे में डेरा जमाए रखा और अपनी लोकप्रियता को बढ़ाया. वहीं, सिंधिया दिल्ली तक सीमित रहे और ग्वालियर-चंबल इलाके से बाहर नहीं निकल सके. लेकिन उन्होंने अपने इलाके में कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा सीटें जिताने में अहम भूमिका अदा की है. ऐसे में राहुल के लिए सूबे में सीएम का फैसला करना किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है. कांग्रेस 15 साल के बाद सत्ता में लौटी है. पार्टी के तीन नेता सीएम की रेस में है. इनमें प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव और डॉ. चरणदास महंत के नाम शामिल है. ऐसे में राहुल को इन तीनों में से एक नाम पर मुहर लगानी है. हालांकि, मध्य प्रदेश और राजस्थान की तरह यहां राहुल को बहुत ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी है.