
कर्जमाफी के वादे ने कांग्रेस को तीन राज्यों की सत्ता में वापसी करा दी. सोमवार को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने शपथ लेने के चंद घंटे के अंदर ही कर्जमाफी का ऐलान कर दिया. किसानों के सहारे सियासी जमीन तलाश रहे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए कर्जमाफी संजीवनी की तरह है. ऐसे में अब कांग्रेस इस मुद्दे के सहारे 2019 की सियासी बिसात बिछा रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत के नारे के साथ देश की राजनीति में ऐसी लकीर खींची थी, जिसमें केंद्र से लेकर देश के राज्यों तक बीजेपी ही बीजेपी नजर आ रही थी. ऐसे कठिन दौर में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी देश की सियासत में अपनी जगह बनाने के लिए किसानों के कर्जमाफी मुद्दे को लेकर आगे बढ़े.
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ घंटे के अंदर ही कमलनाथ ने कर्जमाफी की फाइल पर दस्तखत कर दिए. इस आदेश के साथ ही किसानों को सरकारी और सहकारी बैकों द्वारा दिया गया 2 लाख रुपए तक का अल्पकालीन फसल ऋण माफ हो जाएगा.
एमपी के बाद छत्तीसगढ़ में भी किसानों का कर्ज माफ कर दिया गया. भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के बाद कैबिनेट की बैठक की और कमलनाथ की राह पर चलते हुए किसानों का कर्ज माफ करने का ऐलान किया. सूबे के किसानों का 6100 करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया जाएगा.
इन तीन राज्यों से पहले कांग्रेस ने पंजाब और कर्नाटक में भी किसानों के कर्जमाफी के वादे पर अमल कर चुकी है. जबकि कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस के साथ मिलकर सरकार चला रही है. बावजूद इसके कांग्रेस ने किसानों की कर्जमाफी के वादे को पूरा किया था. कांग्रेस के कर्जमाफी से बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई है. ऐसे में मोदी सरकार अब कर्जमाफी का कदम उठाती भी तो कांग्रेस इसका श्रेय लेने से नहीं चुकेगी.
बता दें कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार के दौरान किसानों की कर्जमाफी हुई थी. राहुल इसी आधार पर समय-समय पर मोदी सरकार से सामूहिक किसानों की कर्जमाफी की बात उठाते रहते हैं. वह कहते रहते हैं कि जब सरकार उद्योगपतियों के कर्ज माफ कर सकती है तो किसानों का कर्ज क्यों नहीं?
किसानों की कर्जमाफी के सहारे 2009 के लोकसभा चुनाव में जीत का स्वाद चख चुकी कांग्रेस एक बार फिर उसी मुद्दे के सहारे 2019 की सियासी जंग फतह करने में जुट गई है. कांग्रेस ने तीन राज्यों में वापसी के बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कर्जमाफी करके ट्रंप कार्ड चला है.
हाल के चुनावी अभियानों से पहले से राहुल गांधी किसानों के मुद्दे पर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार के दौरान भट्टा परसौल का मुद्दा उठा था. जहां जमीन अधिग्रहण के विरोध में किसानों का आंदोलन चल रहा था. वहां राहुल गांधी मोटरसाइकिल पर सवार होकर पहुंचे थे. जबकि पुलिस ने भट्टा परसौल गांव के चारों तरफ नाकाबंदी कर रखी थी. इसके बाद भी राहुल किसानों के बीच पहुंचने में कामयाब हो गए थे. उन्होंने अपनी चुनावी रैलियों में किसानों की मांग लगातार उठाई.
राहुल गांधी ने किसानों की लड़ाई को पूरी ताकत के साथ लड़ने के लिए कई राज्यों का दौरा किया था. उन्होंने देश भर में उत्तर से लेकर दक्षिण के राज्यों में पदयात्राएं चिलचिलाती धूप में की थी. राहुल ने पंजाब से पैदल यात्रा शुरू की और फिर महाराष्ट्र के विदर्भ और तेलंगाना में, केरल में मछुआरों की समस्या को लेकर पदयात्रा की थी.
राहुल बेमौसम बारिश, अतिवृष्टि और ओलाप्रभावित उन किसानों के घर गए, जिन्होंने प्राकृतिक आपदा आने के बाद किसी न किसी वजह से खुदकुशी कर ली थी. जंतर-मंतर पर बैठे तमिलनाडु के किसानों के बीच भी राहुल गांधी पहुंचे थे.
मोदी सरकार भूमि अधिग्रहण बिल में जब संशोधन करने जा रही थी, तो राहुल सड़क पर उतर आए थे. राहुल उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के टप्पल गांव में भी गए थे, जहां किसान जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे. इसके बाद मोदी सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे.
राहुल ने यूपी विधानसभा चुनाव से पहले 2500 किमी की किसान यात्रा की थी. किसानों के बीच जाकर वह खाट सभा करते थे. देश भर के किसानों पर एक रिपोर्ट भी राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी थी और कहा था कि किसानों के कर्ज माफ करें. तीन राज्यों में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस सरकारों ने तुरंत राहुल के वादे पर अमल किया और मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकारों ने शपथ ग्रहण के कुछ घंटों के अंदर ही कर्जमाफी पर फैसला कर लिया.