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8 माह बाद मणिशंकर अय्यर का निलंबन रद्द, क्या हैं मायने

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के करीबी रहे मणिशंकर अय्यर की कांग्रेस में 8 महीने के बाद वापसी हुई है. मोदी पर टिप्पणी करने के चलते अय्यर को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था.

मणिशंकर अय्यर मणिशंकर अय्यर
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST

पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर का कांग्रेस से निलंबन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 8 महीने के बाद अय्यर की सदस्यता को बहाल किया है, जिसके बाद दोबारा से उनकी पार्टी में वापसी हुई है. अय्यर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सबसे करीबी दोस्तों में रहे हैं.

बता दें कि मणिशंकर अय्यर ने पिछले साल दिसंबर में गुजरात में चुनाव से चंद दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में विवादित टिप्पणी की थी. इसमें उन्होंने मोदी को 'नीच आदमी' कहा था. अय्यर के इस टिप्पणी को खुद मोदी और बीजेपी ने चुनावी सभाओं में जोर-शोर से उठाया था.

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अय्यर के इस बयान से कांग्रेस और राहुल गांधी दोनों बैकफुट पर आ गए थे. इसके बाद ही कांग्रेस ने अय्यर की टिप्पणी को खारिज करते हुए उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया था.

गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से ठीक पहले मणिशंकर अय्यर के इस विवादित बयान को लेकर कांग्रेस को नुकसान का डर था, जिसके चलते उनके खिलाफ निलंबित की कार्रवाई की गई थी.

पीएम मोदी के लिए नीच शब्द इस्तेमाल करने पर जब विवाद बढ़ा, तो मणिशंकर अय्यर ने सफाई दी थी. उन्होंने कहा था, 'हां मैंने नीच शब्द इस्तेमाल किया. मैं हिंदी भाषी नहीं हूं और अंग्रेजी से ट्रांसलेट करता हूं. मेरी हिंदी बेहद कमजोर है. मेरे दिमाग में अंग्रेजी थी और मैंने Low शब्द का हिंदी में अनुवाद करके 'नीच' कह दिया. अगर इसका कोई और अर्थ निकलता हो, तो माफी चाहूंगा.'

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 उन्होंने कहा, 'पीएम को नीच कहने का मेरा कोई इरादा नहीं था. पीएम हमारे नेता के लिए गंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं. मैं कांग्रेस का औपचारिक नेता भी नहीं हूं.'

2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भी मणिशंकर अय्यर ने मोदी के खिलाफ विवादित बयान देते हुए उनको चायवाला कहा था. इस चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था.

गौरतलब है कि मणिशंकर अय्यर को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी राजनीति में लाए थे. अय्यर को विदेश सेवा से इस्तीफा दिलाकर 1989-91 में अय्यर को सक्रिय राजनीति में लाए थे. इसके बाद से वे गांधी परिवार के करीबी हैं.  

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