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पीएम मोदी के गढ़ से 2019 के चुनाव की हुंकार भरेंगे राहुल गांधी

राहुल गांधी अपने चुनावी अभियान का आगाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य यानी गुजरात से करने जा रहे हैं. राहुल गांधी का यह अभियान 11 और 15 जुलाई को राज्य के दौरे के साथ ही शुरू हो जाएगा.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो) कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो)
जावेद अख़्तर
  • नई दिल्ली,
  • 01 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 7:09 AM IST

2019 के लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने चुनावी अभियान का आगाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य यानी गुजरात से करने जा रहे हैं. राहुल गांधी का यह अभियान 11 और 15 जुलाई को राज्य के दौरे के साथ ही शुरू हो जाएगा.

राहुल गांधी ने पिछले साल 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में काफी यात्राएं की थीं और चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन में सुधार के साथ 77 सीटें हासिल होने का श्रेय उनकी इन्हीं यात्राओं को दिया गया था.

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राहुल गांधी सौराष्ट्र के जूनागढ़, राजकोट और भावनगर जिलों का दौरा करेंगे. इन इलाकों में कांग्रेस ने दो दशक बाद बेहतर प्रदर्शन किया और पिछले विधानसभा चुनाव में ज्यादातर सीटें कांग्रेस को इन्हीं इलाकों में मिलीं.

न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने पार्टी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि राहुल गांधी राज्य में पार्टी नेताओं के साथ लंबी बैठकें कर उनसे विचार-विमर्श करेंगे. राहुल गांधी दिसंबर तक राज्य के तीन से चार दौरे कर सकते हैं. वह यहां लोगों से दोबारा संपर्क स्थापित करेंगे.

बता दें कि कांग्रेस को 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में 2012 में सिर्फ 54 सीटें मिली थीं जो 2017 में बढ़कर 77 सीटें हो गईं. जबकि लोकसभा सीटों की बात की जाए तो 2014 में मोदी लहर ने कांग्रेस को शून्य पर ला दिया था और कुल 26 सीटों में से एक पर भी उसे जीत नहीं मिल पाई थी. राज्य की सभी 26 लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने परचम लहराया था. हालांकि, उससे पहले 2009 में कांग्रेस ने 11 और बीजेपी ने 15 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी.

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ऐसे में 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी चुनौती देने वाले राहुल गांधी यहां अपना खोया जनाधार वापस लाने की भरपूर कोशिश करेंगे. हालांकि, पीएम मोदी के गढ़ में पार्टी की स्थिति सुधारना उनके लिए चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है. लेकिन पाटीदार नेता हार्दिक पटेल का बीजेपी विरोध और अल्पेश ठाकोर जैसे ओबीसी चेहरे के कांग्रेस के साथ आने से राजनीतिक समीकरण काफी बदले हैं.

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