
महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विधायकों का असंतोष खुलकर लोगों के सामने आ रहा है. पुणे के विधायक संग्राम थोपटे के समर्थकों ने कांग्रेस कार्यालय में तोड़फोड़ की, क्योंकि उन्हें मंत्री पद नहीं दिया गया. थोपटे ही नहीं, पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे की बेटी प्रणीति शिंदे को भी मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया. थोपटे के समर्थकों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पत्र लिखा है, जबकि कुछ ने पार्टी के प्रति विद्रोही रवैया दिखाया है.
मंत्री नहीं बनाए जाने से कांग्रेस के अलावा एनसीपी और शिवसेना के विधायक भी नाराज हैं. कांग्रेस के नाराज विधायकों को मनाने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र के पार्टी प्रभारी मलिकार्जुन खड़गे के पास है तो वहीं शिवसेना के नाराज विधायकों को मनाने के लिए उद्धव ठाकरे खुद ही मैदान में हैं.
आइए एक नजर डालते हैं सभी पार्टियों के नाराज विधायकों पर.
कांग्रेस के नाराज विधायक
1. संग्राम थोपटे- संग्राम थोपटे, तीसरी बार कांग्रेस के विधायक बने हैं. ऐसे में उन्हें उम्मीद थी कि 30 दिसंबर को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में जगह मिलेगी. बताया जा रहा है कि मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से थोपटे नाराज हैं. समर्थकों ने पुणे पार्टी ऑफिस में तोड़फोड़ भी की है. जिसके बाद कांग्रेस के नेता उन्हें मनाने में जुटे हैं. कांग्रेस ने संग्राम थोपटे को उचित सम्मान देने का वादा किया है.
2. अमीन पटेल- महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल में कांग्रेस विधायक अमीन पटेल को जगह नहीं मिल सकी है, जिसके चलते वो नाराज हैं. अमीन पटेल की जगह मुंबई से विधायक असलम शेख को मंत्री बनाया गया है. विधायक ने शिवसेना के साथ गाठबंधन का भी विरोध किया था. अमीन पटेल पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा के करीबी बताए जाते हैं.
3. प्रणीति शिंदे- प्रणीति सोलापुर से विधायक हैं. वो पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे की बेटी हैं और तीन बार विधायक रही हैं. नाराज समर्थकों ने हाईकमान को चिट्ठी लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की है.
शिवसेना के नाराज विधायक
1. भास्कर जाधव- इन्होंने हाल ही में NCP (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) छोड़कर शिवसेना ज्वाइन की थी. ये कोंकण क्षेत्र के बड़े नेताओं में शुमार हैं. सूत्रों की माने तो उद्धव ठाकरे ने इन्हें कैबिनेट में जगह देने का वादा किया था लेकिन ऐसा हो नहीं सका.
2. प्रताप सरनाईक- सरनाइक ठाणे से विधायक चुने गए हैं. पार्टी में उनको लेकर क्या राय है, इस बात का अंदाजा ऐसे भी लगाया जा सकता है कि राज्य में सरकार गठन से पहले, विधायको को होटल में संभालकर रखने की बड़ी जिम्मेदारी इनके ही कंधे पर थी, लेकिन इन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली.
3. तानाजी सावंत- शिवसेना के पूर्व मंत्री व उस्मानाबाद के विधायक तानाजी सावंत पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं. उन्होंने चिट्ठी लिखकर पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे से जवाब मांगा है कि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल क्यों नहीं किया गया?
4. रामदास कदम- वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रामदास कदम ने पार्टी पर पुरानी पीढ़ी को साइडलाइन करने का आरोप लगाया है. इसी नाराजगी की वजह से वो शपथग्रहण समारोह में भी अनुपस्थित रहे थे.
5. दीपक केसरकर- पूर्व गृह राज्यमंत्री दीपक केसरकर को इसबार मौका नहीं मिला. ये केसरकर ही थे जिन्होंने नारायण राणे के खिलाफ लड़ाई की अगुवाई की थी. इनका आरोप है कि कोंकण क्षेत्र को मंत्रिमंडल में उचित जगह नहीं मिली है.
6. संजय राउत- महाराष्ट्र में महाअगाड़ी की सरकार बनने में संजय राउत की भूमिका सबसे बड़ी मानी जा रही है. इतना ही नहीं ये राउत ही थे जो बीजेपी के सामने ढाई साल के मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़े रहे. एनसीपी-कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए बातचीत की पहल से लेकर सरकार गठन तक में ये पार्टी के लिए चाणक्य की भूमिका में रहे.
इतना ही नहीं पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के सबसे नजदीकी होने की वजह से भी इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करने के कयास लगाए जा रहे थे. हालांकि संजय राउत खुद के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने से नाराज नहीं हैं. उन्हें उम्मीद थी कि छोटे भाई सुनील को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के नाराज विधायक
प्रकाश सोलंके- प्रकाश सोलंके महाराष्ट्र के बीड़ से विधायक हैं. वे मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से इतने नाराज हुए कि उन्होंने इस्तीफा देने की धमकी दे दी थी. हालांकि बाद में अजित पवार और जयंत पाटिल के मनाने के बाद वो मान गए हैं.
विभाग को लेकर नाराजगी
दिलीप वलसे पाटिल- कई विधायक मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं, वहीं दिलीप वलसे मनपसंद विभाग नहीं पाने की वजह से नाराज हैं. वो राज्य के गृह मंत्री बनने की ख्वाहिश रखते थे. वहीं नवाब मलिक, धार्मिक कारणों से आबकारी मंत्री नहीं बनना चाहते हैं. जबकि छगन भुजबल किसी बेहतर मंत्रालय की तलाश में थे.
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इनके अलावा, सुनील प्रभु जो मुंबई के दिंडोशी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं वो तीसरी बार MLA चुने गए हैं. इनके अलावा रवींद्र वायकर (जो पहले मंत्री भी रह चुके हैं) भी पार्टी से नाराज बताए जा रहे हैं.