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सोशल मीडिया पर मजबूत होती कांग्रेस, क्या बदल रहा है लोगों का मूड?

कहते हैं कि इतिहास खुद को दोहराता है. क्या चार साल के भीतर ही धारा उलटा रुख लेते दिखाई दे रही है? ‘मीडिया फ्रेंडली’ और ‘सोशल मीडिया की बेताज बादशाह’ पार्टी बीजेपी को अब उसी के तीर से कांग्रेस हैरान कर रही है.

राहुल के ट्वीट का एक नमूना राहुल के ट्वीट का एक नमूना
मौसमी सिंह/खुशदीप सहगल
  • नई दिल्ली,
  • 17 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 9:00 PM IST

साल 2009 में कांग्रेस के एक शुभचिंतक ने जब नए युग के संवाद के तौर-तरीकों को लेकर प्रेजेंटेशन दिया तो किसी ने उसे गंभीरता से नहीं लिया. 2013 के आते-आते कांग्रेस का सोशल मीडिया पर ताबड़तोड़ हमलों का सामना शुरू हो गया. ताकतवर सियासी विरोधी भारतीय जनता पार्टी की ओर से हो रहे इन हमलों का कांग्रेस को जवाब देना भारी हो गया. आखिर यूपीए विरोधी अभियान के रथ पर सवार होकर बीजेपी ने न सिर्फ सोशल मीडिया बल्कि संसद में ग्रैंड ओल्ड पार्टी को ध्वस्त कर दिया.

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कहते हैं कि इतिहास खुद को दोहराता है. क्या चार साल के भीतर ही धारा उलटा रुख लेते दिखाई दे रही है? ‘मीडिया फ्रेंडली’ और ‘सोशल मीडिया की बेताज बादशाह’ पार्टी बीजेपी को अब उसी के तीर से कांग्रेस हैरान कर रही है. राहुल गांधी जो पत्ते फेंक रहे हैं वो सीधे पड़ते दिख रहे हैं. बीते कुछ महीनों से राहुल के बयान चुटीली हाजिरजवाबी के साथ राजनीतिक परिदृश्य से ताल बिठाते भी दिख रहे हैं.     

 इस नए बदलाव की गहराई को राहुल के ट्विटर हैंडल @OfficeOfRG के हालिया ट्वीट से समझा जा सकता है. ये किसी से छुपा नहीं है कि नरेंद्र मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव में अपने प्रचार अभियान के दौरान राहुल को शहजादा कहते हुए जमकर प्रहार किए थे. अब उसी ‘जैसे को तैसा’ वाली  शैली में राहुल का ट्वीट सामने आया है- ‘मोदी जी, जय शाह-जादा खा गया, आप चौकीदार थे या भागीदार, कुछ तो बोलिए.’ इस ट्वीट को पांच हजार से ज्यादा रीट्वीट और 23000 से अधिक लाइक मिले. सिर्फ ट्विटर ही नहीं फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी राहुल बीते कुछ महीनों से काफी सक्रियता दिखा रहे हैं. इन अकाउंट्स को कुछ ही महीने पहले वैरीफाई किया गया है.     

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दिव्या स्पंदना

कांग्रेस के वास्ते स्थिति में इस बदलाव के लिए कई लोग पार्टी की बदली हुई सोशल मीडिया टीम को श्रेय दे रहे हैं. इस साल मई में कांग्रेस की सोशल मीडिया की कमान एक्ट्रेस से राजनेता बनीं दिव्या स्पंदना को सौंपी गई. पांच महीने में ही सोशल मीडिया में कांग्रेस की मौजूदगी को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया.  

कर्नाटक के मांड्या से दिव्या 2013 में लोकसभा चुनाव जीती थीं लेकिन 2014 में हुए आम चुनाव मे वो हार गईं. दिव्या ने कांग्रेस की पूरी सोशल मीडिया टीम में आमूल-चूल परिवर्तन करते हुए नए खून को तरजीह दी. कांग्रेस पार्टी के पुराने वॉर रूम '15, GRG’  से सोशल मीडिया अभियान की कमान संभाले दिव्या ने लिंक्डइन पर विज्ञापन के जरिए पेशेवर लोगों की भर्ती की. कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम में फिलहाल 35 सदस्य हैं. इन सब की भर्ती कई दौर के इंटरव्यू के बाद की गई.    

दिव्या इस जिम्मेदारी के तहत बेंगलुरु से दिल्ली शिफ्ट हो गई हैं. दिव्या का कहना है, ‘ये डॉयनामिक प्लेटफॉर्म है. आपको तत्काल प्रतिक्रिया देनी होती है. हम टीम की तरह काम करते हैं और पूरी लोकतांत्रिक छूट है. मेरी उपस्थिति मुझे निर्धारित समय में नए-नए आइडिया के जन्म और विकास में मदद करती है.’   

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कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम के तीन राष्ट्रीय समन्वयक हैं. ये अलग अलग शहरों में जाकर वर्कशॉप के आयोजन के साथ नए समन्वयक भर्ती करते हैं.

पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस अभियान का चेहरा रहीं हसीबा अमीन राष्ट्रीय सोशल मीडिया समन्वयकों में से एक हैं. दो और राष्ट्रीय समन्वयकों में रूचिर चतुर्वेदी और विपिन यादव हैं. विपिन यादव नई दिल्ली में इस जिम्मेदारी को संभालने से पहले राजस्थान में सचिन पायलट के करीब रह कर काम रहे थे.  

हालांकि दिव्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हालिया सफलता के लिए राहुल गांधी की सलाह को श्रेय देती हैं. दिव्या ने कहा, ‘बीते शुक्रवार को सोशल मीडिया टीम के साथ बैठक में राहुल जी ने जो भी कहा उससे टीम के सारे सदस्य मंत्रमुग्ध हो गए. उन्होंने सिर्फ एक सूत्री मंत्र दिया- सच बोलो. हमारी उनके साथ मंत्रणा दो घंटे तक चली और कोई नहीं चाहता था कि ये मंत्रणा खत्म हो. टीम के सभी सदस्य उत्साहित और खुद में नई ऊर्जा का संचार महसूस कर रहे थे. राहुल जी में गजब का सेंस ऑफ ह्यूमर है. हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास ऐसा नेता हो जो हमें सारे आइडिया देता है, हमें उन्हें बस अमल में लाना होता है.’

 पिछले कुछ महीनों में सोशल मीडिया सेल ने कम्युनिकेशन और रिसर्च डिपार्टमेंट के साथ नए आइडिया के लिए मिलकर काम किया है. इसके अच्छे नतीजे भी देखने को मिल रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक बीते तीन महीने में कांग्रेस के सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स की संख्या में 10 लाख का इजाफा हुआ है.   

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यहां पर राहुल ने नरेंद्र मोदी को पीछे छोड़ा...  

ट्विटर पर राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता का पैमाना है, जैसा कि अब उन्हें रिस्पॉन्स मिल रहा है. तटस्थ ट्रॉल्स अब कम हो रहे हैं. नए फॉलोअर्स बढ़ रहे हैं. एक सूत्र का कहना है कि हाल में @OfficeOfRG  को @narendramodi  ट्विटर हैंडल से ज्यादा रीट्वीट मिल रहे हैं. सूत्र के मुताबिक ‘हमें 5000 से ज्यादा रीट्वीट मिल रहे हैं जो काफी अच्छा बदलाव है. अधिकतर ये सीधे और फर्स्ट पर्सन में होते हैं जिससे हमें बड़े आधार से संपर्क करने में मदद मिलती है.’

रणनीति में एक बड़ा बदलाव ये है कि अब हिन्दी में भी ट्वीट किए जा रहे हैं. चीन की सेना पर किया गया ट्वीट सुर्खियों में रहा तो उसे हिन्दी में भी ट्वीट किया गया, जिससे दुगना रिस्पॉन्स मिला, गुजरात और हिमाचल में विधानसभा चुनाव सिर पर होने की वजह से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पूरी ताकत झोंकी जा रही है. इसका बढ़िया उदाहरण है प्रधानमंत्री की गुजरात में रैली से पहले @OfficeOfRG की ओर से किया गया ट्वीट-  ‘मौसम का हाल, चुनाव से पहले होगी जुमलों की बारिश’.  इस ट्वीट ने हैशटैग #jumlokibaarish के साथ ट्रैंड करना शुरू कर दिया.  

 कांग्रेस इस तरह सोशल मीडिया की चुनौती को लेकर ना सिर्फ जाग गई है बल्कि प्रमुख विरोधी BJP को भी कुछ हद तक हिला रही है. इसके लिए कुछ हद तक लोगों के कुछ वर्गों में मोदी सरकार की नीतियों को लेकर असंतोष और मोहभंग से भी मदद मिल रही है. वही मोदी सरकार जिसने उम्मीदों के पहाड़ के साथ सत्ता में भेजा  2019 चुनाव में सोशल मीडिया कितना अहम होने जा रहा है, ये इसी से पता चलता है कि तब तक फेसबुक के 24 करोड़ सदस्य होंगे. ट्विटर, इंस्टाग्राम और अन्य पोर्टल्स को भी जोड़ दिया जाए तो ये आंकड़ा कितना बड़ा होगा, खुद ही समझा जा सकता है. इस सच्चाई की कोई भी राजनीतिक दल अनदेखी नहीं कर सकता.  

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