
शुक्रवार को हुई बैठक में अलग-अलग सदस्यों ने अलग-अलग हार के कारण बताए, लेकिन सबसे प्रमुख कारण कांग्रेस की दुर्गति को माना गया है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी में किसी को भी ऐसा नहीं लगा था कि दिल्ली में 15 साल शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी, इतना कमजोर प्रदर्शन करेगी.
2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 10 फीसदी और लोकसभा चुनाव में 22 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन 2020 के दिल्ली चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 10 प्रतिशत से गिरकर 4 फीसदी पर आ गया. चुनाव बाई पोलर हो गया, यानी मुकाबला बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच रहा. इसी वजह से पार्टी को नुकसान हुआ.
अगर कांग्रेस अपने हिस्से का वोट वापस पाने में कामयाब होती तो तस्वीर ही कुछ और होती. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी इस बात का समर्थन किया.
कुछ नेताओ ने कहा, प्रचार के दौरान बीजेपी को आम आदमी पार्टी के साथ साथ कांग्रेस पर भी हमला करना चाहिए था. लेकिन हमला सिर्फ आम आदमी पार्टी पर किया गया. इसलिए मुकाबला दो दलों तक सीमित रह गया.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, केजरीवाल के सस्ते बिजली, पानी और महिलाओं के लिए मुफ्त सफर जैसी योजनाओं का काट भी नहीं मिला जिसका बीजेपी को नुकसान हुआ.
वहीं कुछ नेताओ का मानना है कि शाहीन बाग के शोर में बीजेपी के मैनीफेस्टो के वादे दब गए और वो आम मतदाताओं से कनेक्ट ही नहीं हो पाए.
हालांकि कुछ नेताओ का मानना है कि केजरीवाल के खिलाफ जरूरत से ज्यादा विवादित बयान देने की वजह से उन्हें नुकसान हुआ. बता दें, चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल को आतंकवादी बताया गया था.
कुछ नेताओ ने संगठनात्मक कमजोरी, चुनाव संबधित कमियों पर भी इशारा किया हैं. बैठक में जमीनी कार्यकर्ताओं की कमी, उम्मीदवारों के चयन, स्टार प्रचारकों की भीड़ जैसे अन्य मुद्दे भी उठाए गए.
सूत्रों ने बताया , जामिया और जेएनयू जैसे विवाद की वजह से 18 से 25 साल के बच्चों ने बीजेपी को वोट नहीं दिया, साथ ही ज्यादातर महिलाओं ने बीजेपी के खिलाफ वोट किया.
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अभी हार की समीक्षा के लिए कई स्तर पर बैठक होना बाकी है. जिसमें शनिवार को निगम पार्षद के साथ बैठक, उसके बाद दिल्ली चुनाव प्रबंधन समिति की बैठक, साथ ही हारे हुआ प्रत्याशियों की राय आदि भी शामिल है.