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अयोध्या मामला: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ कल करेगी मुद्दों पर चर्चा

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब मामले की सुनवाई करने वाली संविधान पीठ मुद्दों पर विचार करने के लिए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के चैंबर में बैठेगी.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 16 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 12:21 AM IST

  • गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के चैंबर में पीठ की होगी बैठक
  • 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट हुई मामले की आखिरी सुनवाई

सदियों पुराने अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है. 40 दिन तक चली मैराथन सुनवाई के बाद अब अयोध्या केस का फैसला सुरक्षित रख लिया गया है. मामले की सुनवाई करने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ मुद्दों पर विचार करने के लिए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट चैंबर में बैठेगी और मामले पर विचार करेगी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट नवंबर में अपना फैसला सुनाएगा.

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हालांकि अभी तक मामले के फैसले की तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन बीजेपी के सांसद साक्षी महाराज की मानो तो पहले ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला पता चल गया है. इसलिए उन्होंने ऐलान कर दिया है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण 6 दिसंबर को शुरू हो जाएगा यानी उसी दिन जिस दिन 1992 में विवादित ढांचे को ध्वस्त कर दिया गया था.

बुधवार को अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनी. इस सुनवाई के आखिरी दिन कोर्ट के भीतर कुछ हैरतअंगेज मंजर भी सामने आए. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने हिंदू पक्षकारों की ओर से पेश किए गए नक्शे को फाड़कर फेंक दिया. इस पर  सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने नाराजगी भी जाहिर की. वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने बिना नाम लिए राजीव धवन पर निशाना साधा. साथ ही कहा कि आज भी देश के अंदर बाबर की मानसिकता वाले मौजूद हैं.

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वहीं,  बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में आखिरी दिन सुनवाई के दौरान तमाम पक्षकारों के वकीलों ने अपनी-अपनी राय दी. कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनी और फैसला सुरक्षित रख लिया है. आपको बता दें कि अयोध्या में विवादित ज़मीन पर मालिकाना हक की कानूनी लड़ाई साल 1885 से चल रही है. आज़ादी के बाद भी ये मामला कानून के गलियारों में चक्कर काटता रहा.

करीब 134 साल बाद अब वो वक्त आया है, जब देश की सबसे बड़ी अदालत आने वाले 30 दिनों के अंदर देश के सबसे बड़े मुकदमे का आखिरी फैसला सुनाने वाली है. सुप्रीम कोर्ट 17 नवंबर से पहले पहले कभी भी फैसला सुना सकता है.

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