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आवरण कथाः खाली समय में सृजन करते बच्चे

कोरोना की वजह से हुई छुट्टियों में अपने बच्चों को शैतानियों से दूर रखने के लिए ये कर रहे हैं उनके माता-पिता

खाली वक्त में सृजन का आनंद अपने जुड़वां बच्चों के साथ श्रुति महापात्रा खाली वक्त में सृजन का आनंद अपने जुड़वां बच्चों के साथ श्रुति महापात्रा
संध्या द्विवेदी
  • नई दिल्ली,
  • 30 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 3:53 PM IST

1 सुरक्षित और व्यस्त

फैशन डिजाइनर राहुल मिश्रा और उनकी पत्नी दिव्या की मुख्य प्राथमिकता है अपनी चार साल की बेटी आरना को घर के भीतर सुरक्षित और व्यस्त रखना. राहुल कहते हैं, ''हम कोशिश कर रहे हैं कि घर पर बीत रहा उसका समय उत्पादक, शैक्षिक और मनोरंजक हो.'' वे लोग घर की सफाई, रंगाई और बागबानी करने में लगे हैं. वह खाना बनाने में भी मदद करती है. एक कटोरी में सब्जियां लेकर अपने खिलौना चाकू से उन्हें काटेगी या फिर थोड़ा सा आटा लेकर उसे गूंथती है.

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उसके पिता जब योग कर रहे होते हैं तो वह भी साथ होती है और जब कोई स्केच बना रहे होते हैं तो उसके हाथ में भी पेंसिल होती है. राहुल का कहना है कि हम उसे सामान्य शारीरिक गतिविधियों में भी लगाए रखते हैं. घर में ही वे कभी-कभी नृत्य करते हैं या पकड़म-पकड़ाई भी खेलते हैं.

2 करीब से जुडऩे का मौका

मुंबई के वेडिंग फोटोग्राफर दंपती श्रुति और साकेतेश महापात्रा को लॉकडाउन ने अपने चार साल के जुड़वां बच्चों सिवान और अमायरा के साथ करीब से जुडऩे और मौज-मस्ती करने का मौका दिया है. श्रुति ने तो अपनी कहानियां साझा करने के लिए एक यू-ट्यूब चैनल भी शुरू किया है. ''मैं बाहर होने वाली गतिविधियों को घर के भीतर ला रही हूं.'' श्रुति कहती हैं, ''मैं उन्हें घर के भीतर स्कूटर चलाने देती हूं और फुलाए जा सकने वाले पूल में पानी से खेलने देती हूं. योग की एक किताब लाई हूं और उससे उन्हें सिखाती हूं. हम कपकेक और कुकीज भी बनाते हैं.''

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3 एक समय की बात है....

कोई बढिय़ा कहानी किसे नहीं अच्छी लगती? इसी फरवरी में शिक्षा उद्यमी रही दिव्या बावा ने बच्चों के लिए संगीतमय किस्सागोई क्लब की शुरुआत की थी, जिसमें बच्चे पर्यावरण, पशु कल्याण, परोपकार, दूसरों को परेशान करना आदि तमाम मुद्दों पर कहानियां सुन सकते हैं. उनके चैनल तक यूट्यूब के द स्टोरी बैंड चैनल या इंस्टाग्राम एकाउंट के माध्यम से पहुंचा जा सकता है. नई दिल्ली में रहने वाले शिक्षा उद्यमी शबदजीत और दिव्या को आजकल अपनी पांच साल की बेटी नानकी के साथ समय बिताने का मौका भी मिल रहा है. ''हम गणित और कला के काम करने या फिर पढऩे और लिखने के मजेदार तरीके ढूंढते हैं. किसी दिन हम मटर छीलते हैं तो किसी दिन अनोखी कलाकृतियां बनाते हैं.''

4 रचनात्मकता का विस्फोट

मुंबई की निधि गोयल मध्य मार्च से ही अपनी बेटियों नौ साल की प्रेरणा और बारह साल की अनिंदिता—के लिए दैनिक गतिविधि चार्ट तैयार कर रही हैं. वह कहती हैं, ''उनकी गतिविधियों में कई तरह के कामों का मिश्रण होना महत्वपूर्ण है, अन्यथा वे हर समय आईपैड पर लगी रहेंगी या ऊब जाएंगी.'' गोयल सुबह अपनी बेटियों के साथ रस्सी कूदना, साधारण स्ट्रेचिंग और योगासन करती हैं. फिर, तीन घंटे का समय पढ़ाई के लिए निर्धारित है. दोपहर को या शाम ढलते, वह उन्हें कुकीज बनाना या क्राफ्टवर्क सिखाती हैं. दिन का अंत मोनोपली, ट्वेंटी क्वेचन्स, एक्सप्लोडिंग किटेन्स या मानसिक गणित के सवालों के खेल से होता है.

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5 क्या पक रहा है?

पिछले रविवार को 10 वर्षीया अनुष्का ने मुंबई की दंत चिकित्सक मम्मी रेशम देशपांडे की मदद से सब्जियों के साथ मिनस्ट्रॉनी सूप बनाया. इसे बनाने की विधि घर की रसोई में पड़ी ढेरों पाककला पुस्तकों में से एक में मिली थी. दोपहर के भोजन के बाद उसने अपनी दादी से सिलाई और बुनाई के कुछ गुर सीखे. उन्हीं से सीखते हुए अनुष्का बखिया कर लेती है. इस दौरान वह स्कूल से मिला ऑनलाइन असाइनमेंट भी कर रही है, कथक का अभ्यास करती है, शास्त्रीय संगीत सीखती है. देशपांडे कहती हैं कि ये गतिविधियां बच्चों को महत्वपूर्ण जीवन कौशल सिखाती हैं, उनमें ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाती हैं और उन्हें स्वास्थ्यपूर्ण भोजन के बारे में सिखाती हैं. वे कहती हैं, ''जब बच्चे खुद कुछ पकाते हैं तो ज्यादा संभावना होती है कि वे सब्जियां और दूसरे स्वास्थ्यप्रद पदार्थ खाएंगे.''

6 पॉडकास्ट पर कहानियां

आठ साल की मुंबईकर अवनि पाटील को सोने के समय कहानी सुनने से ज्यादा कुछ नहीं भाता. लेकिन दादा-दादी के दूर पुणे में होने के कारण उनकी बाल रोग विशेषज्ञ मां प्रियंका पाटील कहानियां सुनाने के लिए स्पिन-ए-यार्न पॉडकास्ट लगा देती हैं. वे कहती हैं, ''ये किस्से बच्चों के लिए मनोरंजक और सुकूनदेह हैं.'' मुंबई की मधुरता देशमुख ने इसी साल मार्च में ऑनलाइन कहानी मंच पर 'अ स्टोरी अ वीक' कार्यक्रम शुरू किया है जिसमें विभिन्न देशों के कहानीकार बच्चों को ऐसी कहानियां सुनाते हैं जो सांस्कृतिक लोककथाओं का हिस्सा होते हुए भी आम तौर पर किसी किताब में नहीं मिलतीं. इस प्लेटफॉर्म पर भारत की कोंकणी लोककथा, उंदिरमामा अइलो (चूहा आया) और मराठी की चल रे भोपल्या (चल कद्दू) जैसी कहानियां मौजूद हैं.

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7 व्यंजनों का स्वाद

बच्चों के लिए स्वास्थ्यप्रद खाद्य पदार्थों के ब्रांड 'स्लर्प फार्म' की सह-संस्थापिकाएं गुरुग्राम की मेघना नारायण और शौरवी मलिक, अपने बच्चों—सात साल की नंदिता, और छह साल के रोशन—पर अपने स्वादिष्ट तथा स्वास्थ्यकर व्यंजनों का परीक्षण कर रही हैं.

मार्च के अंत तक इन व्यंजनों को एक रेसिपी बुक के रूप में संकलित करके स्लर्प फार्म की डायरेक्ट टु कस्टमर वेबसाइट पर पेश किया जाएगा. उनका लक्ष्य 30 दिनों में 100 से अधिक व्यंजनों का परीक्षण करना है. मेघना कहती हैं, ''जब हम घर पर होते हैं तो शौरवी और मैं अपने बच्चों के साथ कोई व्यंजन बनाने और अपनी दादी-नानी के व्यंजनों और उनसे जुड़ी कहानियों को साझा करते हैं.''

ये लोग पैनकेक बनाने और सजाने जैसे कामों में हाथ आजमा रहे हैं, डोसा का मिश्रण तैयार करने और घर पर बने आइसक्रीम में रोग प्रतिरोधकता बढ़ाने वाले पदार्थों जैसे गुड़ और पिसा हुआ बादाम मिलाने जैसे प्रयोग कर रहे हैं.

8 गतिविधियां ही गतिविधियां

दिल्ली की जूलरी डिजाइनर, जेमोलॉजिस्ट और एथव्लिया की फाउंडर प्रमिति गोयनका और उनका दो साल का बेटा अव्यांश पूरे दिन साथ रहते हैं. सुबह अव्यांश अपनी दादी से भारतीय शास्त्रीय संगीत सीखता है और अपने दादा जी के साथ क्रिकेट खेलता है. दोपहर में एक झपकी लेने के बाद वह अपने पिता के साथ बागीचे में खेलता है. प्रमिति उसके साथ विज्ञान, तकनीक, अंग्रेजी और गणित विषयों से जुड़ी विविध दिलचस्प गतिविधियों और कहानियों में हिस्सा लेती हैं. प्रमिति बताती हैं कि उन्होंने इन गतिविधियों के लिए मैजिक्रिकेट और लिंटोबॉक्स की सेवाएं ली हैं. इसके अलावा, वे घर पर किए जा सकने वाले खेलों के विचार पाने के लिए इंस्टाग्राम पर रिसायकलऐंडप्ले और मदरक्लाउड को भी फॉलो करती हैं.

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