
शुक्रवार को राज्य सरकार ने कहा कि कोरोना संकट काल में प्रदेश लौटे मजदूरों को उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार दिलवाने, उनके परिवार के कल्याण और विकास के लिये 'मध्यप्रदेश राज्य प्रवासी श्रमिक आयोग' का गठन किया गया है.
एमपी में ही आजीविका देने की कोशिश
इस आयोग का उद्देश्य रहेगा कि मजदूरों को मध्य प्रदेश में ही आजीविका मुहैया कराई जाए, जिससे रोजी-रोटी के लिए दोबारा उन्हें दूसरे राज्यों में जाने की जरूरत नहीं पड़े.
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मजदूरों को मिलेगा सरकारी योजनाओं का लाभ
श्रम विभाग द्वारा शुक्रवार को बकायदा 'मध्यप्रदेश राज्य श्रमिक आयोग' के गठन का आदेश भी जारी कर दिया गया है. श्रम विभाग द्वारा जारी आदेश में बताया गया है कि ऐसे प्रवासी श्रमिक, जो मध्यप्रदेश के मूल निवासी हैं और अन्य राज्यों में श्रमिक के रूप में काम कर रहे थे और एक मार्च, 2020 या उसके बाद मध्यप्रदेश वापस लौटे हैं, ऐसे श्रमिकों को सरकार की अलग-अलग योजनाओं का लाभ दिया जाएगा. इसके अलावा यदि भविष्य में कोई प्रवासी मजदूर वापस मध्यप्रदेश आता है तो वो भी इसके तहत लाभ ले सकेगा.
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राज्य सरकार को सिफारिश पेश करेगा
प्रवासी श्रमिक आयोग का कार्यकाल दो साल का होगा. सरकार ने 'प्रवासी श्रमिक आयोग' के कर्तव्य और उद्देश्य निर्धारित कर दिए हैं. इस आयोग को राज्य में वापस आए प्रवासी श्रमिकों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक सिफारिशें देनी होंगी. इसमें प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराना, मजदूरों और उनके परिवार का कल्याण, उनका कौशल विकास करना शामिल है.