
देश में कोरोना वायरस से निपटने के लिए लॉकडाउन लागू है. हालांकि इस लॉकडाउन के बाद भी देश के कई इलाकों से अपराध की घटनाएं देखने को मिली हैं. इस बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने पालघर की घटना पर सवाल खड़े किए.
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कोरोना वायरस को लेकर कहा कि सभी लोगों को घर में रहकर ही जंग जीतनी है. लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. इसके साथ ही मोहन भागवत ने पालघर की घटना पर भी सवाल खड़े किए.
साधुओं की हत्या पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख ने कहा कि पालघर की घटना को लेकर बयानबाजी हो रही है. ये कृत्य होना चाहिए क्या? कानून व्यवस्था को हाथ में लेना चाहिए क्या? ऐसा जब होता है तो पुलिस को क्या करना चाहिए? ये सारी बातें सोचने की बातें हैं. पुलिस उस दौरान क्या कर रही थी?
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क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 16-17 अप्रैल की रात को महाराष्ट्र में पालघर से करीब 100 किलोमीटर दूर मॉब लिंचिंग की वारदात हुई. पालघर के गड़चिनचले गांव में मुंबई से सूरत जा रहे दो साधुओं और ड्राइवर की गाड़ी रोक कर भीड़ ने जान ले ली थी. वायरल वीडियो में एक साधु पुलिसकर्मी के पीछे छिपकर जान बचाने की कोशिश करता भी नजर आया था. लेकिन पुलिसकर्मी ने उसकी मदद नहीं की.
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तमाशबीन बनी रही पुलिस के पास से भीड़ साधुओं को खींचकर ले गई और पीट-पीटकर मार डाला. भीड़ के हत्थे चढ़े साधु मुंबई के जोगेश्वरी स्थित हनुमान मंदिर के थे. दोनों साधु मुंबई से सूरत अपने गुरु के अंतिम संस्कार में जा रहे थे. इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं.