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दिल्ली में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच केजरीवाल सरकार ने दिल्ली कोविड रिस्पांस प्लान तैयार किया है. डॉ वी के पॉल समिति की सिफारिशों के मद्देनजर दिल्ली सरकार के डायरेक्टरेट जनरल हेल्थ सर्विसेज ने प्लान जारी किया है. राजधानी में 6 जुलाई तक हर घर की स्क्रीनिंग होगी.
दिल्ली कोविड रिस्पांस प्लान के मुताबिक, यह तय किया गया है कि समयबद्ध तरीके से दिल्ली अपनी कंटेनमेंट रणनीति को आगे बढ़ाएगी. 26 जून तक कंटेनमेंट जोन की समीक्षा और उनका रीडिजाइन करना होगा. 30 जून तक कंटेनमेंट जोन में हर घर की स्क्रीनिंग होगी. वहीं, 6 जुलाई तक सभी घरों की स्क्रीनिंग की जाएगी. प्लान के मुताबिक, 27 जून से दिल्ली में सीरो सर्वे शुरू होगा जिसके नतीजे 10 जुलाई तक आएंगे. यह सर्वे NCDC के सहयोग से होगा.
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रिवाइज्ड कोविड रिस्पांस प्लान-
- जिला स्तर पर सर्विलांस टीम और ओवरसाइट सिस्टम को मजबूत करना
- मौजूदा समय में कंटेनमेंट को DM की अध्यक्षता वाली डिस्ट्रिक्ट टास्क फोर्स मॉनिटर करती है. समिति की सिफारिशों के मुताबिक इस टीम को मजबूत करने के लिए अब इसमें ये लोग भी शामिल होंगे-
-दिल्ली पुलिस के डीसीपी
-नगर निगम के DC
- MCD में वर्तमान में मौजूद epidemiologists
- डिस्ट्रिक्ट सर्विलांस ऑफिसर (DSO)
- आरोग्य सेतु- ITIHAS सॉल्यूशन के लिए IT प्रोफेशनल
कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें...
-सहयोगी मेडिकल कॉलेज के फैकल्टी मेम्बर जो P&SM, प्री-क्लीनिकल डिपार्टमेंट और फार्माकोलॉजी विभागों से जुड़े हों
-शिक्षा/ युवा विभाग (NCC, NSS आदि)
-अन्य
वहीं, राज्य स्तर पर स्टेट टास्क फोर्स का नेतृत्व मुख्यमंत्री करेंगे. मौजूदा कंटेनमेंट जोनिंग प्लान का मूल्यांकन और एक संशोधित कंटनमेंट जोनिंग प्लान तैयार करना, जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइंस के मुताबिक पर्याप्त संख्या में बफर जोन हों.
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एक इलाके को जब एक बार कंटेनमेंट ज़ोन घोषित कर दिया जायेगा तो वहां कड़ाई से नियमों का पालन करना होगा और कंटेनमेंट जोन के अंदर एक्टिव केस सर्च किया जायेगा. कंटेनमेंट ज़ोन के आस पास पर्याप्त संख्या में बफर जोन होंगे.
घनी आबादी वाले इलाकों में कोविड पॉजिटिव मरीP और क्लस्टर केसेज को कोविड केयर सेंटर भेजा जायेगा. डेली केस सर्च, टेस्टिंग और आइसोलेशन के लिए पर्याप्त टीम तैयार किया जाएगा. कंटेंड इलाके की सीमा में अंदर और बाहर आने जाने वाले लोगों के मूवमेंट को पुलिस के द्वारा नियंत्रित करना.
प्रशासन द्वारा कंटेनमेंट ज़ोन में आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति कराना. CCTV और ड्रोन मॉनिटरिंग के ज़रिए कंटेनमेंटट ज़ोन के अंदर मूवमेंट पर प्रतिबंध लगाना. नियम का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाना.
ICMR की गाइडलाइंस के मुताबिक कंटेनमेंट ज़ोन के अंदर रैपिड एंटीजन टेस्ट कराना. रैपिड एंटीजन टेस्ट में निगेटिव पाये जाने वाले बेहद संदिग्ध मामलों का RT-PCR टेस्ट कराना.
हाई रिस्क और लो रिस्क कांटेक्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइंस के आधार पर परिभाषित किये जायेंगे. कांटेक्ट ट्रेसिंग को प्रभावशाली बनाने के लिए DM ऑफिस में एक डेडिकेटेड टीम को तैनात किया जायेगा. जिसमें कॉन्टेक्ट्स को मैप करने के लिए टेली-कॉलर्स और कॉन्टेक्ट्स को विजिट करने और हाई रिस्क कॉन्टेक्ट्स को क्वारनटीन करने के लिए फील्ड टीम शामिल होंगी.