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वाराणसी: कोरोना मरीज के शव के साथ लापरवाही, बगैर कवर के छोड़कर भागे स्वास्थ्यकर्मी

परिजनों ने भी लापरवाही का परिचय देते हुए पीपीई किट को उतारकर मृतक के शव को खुद ही छूकर बांस की सीढ़ियों में बांधकर शवदाह गृह के अंदर घसीटते हुए ले जाने लगे. वहीं, मामला बढ़ता देख स्वास्थ विभाग ने कमान तो संभाली, लेकिन वे एक दूसरे के ऊपर दोष मढ़ने लगे.

वाराणसी में स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही आई सामने वाराणसी में स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही आई सामने
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 01 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 9:43 PM IST

  • वाराणसी में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई
  • अंतिम संस्कार में मृतक के परिजनों ने भी दिखाई लापरवाही

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में कोरोना के बढ़ते मामले और हो रही मौतों के बीच उस वक्त हड़कंप मच गया जब स्वास्थ विभाग की लापरवाही सामने आई. बगैर कवर के शवदाह के लिए लाए गए शव को स्वास्थकर्मियों द्वारा प्राकृतिक शवदाह गृह के बाहर ही छोड़कर भाग जाने से इलाके में हड़कंप मच गया.

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परिजनों ने भी लापरवाही का परिचय देते हुए पीपीई किट को उतारकर मृतक के शव को खुद ही छूकर बांस की सीढ़ियों में बांधकर शवदाह गृह के अंदर घसीटते हुए ले जाने लगे. वहीं, मामला बढ़ता देख स्वास्थ विभाग ने कमान तो संभाली, लेकिन वे एक दूसरे के ऊपर दोष मढ़ने लगे.

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कोरोना मरीजों की संख्या 500 के भी पार हो चुकी है, जिसमें से 20 की मौत भी हो चुकी है. वहीं, 300 से ज्यादा लोग इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं. लेकिन लापरवाही की सारी हदें तब पार हो गईं जब हरिश्चंद्र श्मशान घाट पर ही बने प्राकृतिक शवदाह गृह के प्लांट के बाहर बीएचयू के कोविड अस्पताल से शव वाहिनी में लाए गए शव को बगैर बैग के ही स्वास्थकर्मी परिजनों के हवाले छोड़कर भाग निकले. जिसके बाद परिजन भी मनमानी करते हुए अपना पीपीई किट उतारकर शव को छूने और बांस की सीढ़ियों में बांधकर प्राकृतिक शवदाह गृह में ले जाने लगे.

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इस बारे में मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया कि बीएचयू अस्पताल से शव को बगैर कवर किए ही शव वाहन से लाकर प्राकृतिक शवदाह गृह के बाहर लोग छोड़कर चले गए. जिसके बाद शव को अपने हाथ से बांस की साढ़ियों से बांधना पड़ा. उन्होंने बताया कि ये प्रशासन की लापरवाही है. उन्हें शव को पूरी तरह पैक करके देना चाहिए था.

वहीं एक अन्य परिजन राजेंद्र त्रिवेदी ने बताया कि मृतक न केवल पेशे से वकील थे, बल्कि पूर्व छात्र नेता भी रह चुके हैं. जब एक जाने-माने व्यक्ति के साथ ऐसा बर्ताव हो रहा है तो आम लोगों के शवों के साथ प्रशासन के व्यवहार का अंदाजा लगाया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि मरीज को कुछ दिनों पहले वाराणसी के डीडीयू अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया था. फिर वहां से 21 जून को उनको बीएचयू के कोविड अस्पताल रेफर कर दिया गया. उनको वेंटीलेटर पर रख दिया गया. अब मौत हो जाने के बाद शव को श्मशान पर फेंककर शव वाहन का ड्राइवर चला गया, जबकि शव पूरी तरह से खुला हुआ था.

वहीं, आम शवों का दाह संस्कार करने वाले पवन चौधरी ने बताया कि पहले भी जो कोरोना शव आया करते थे, उनके कवर भी फट जाया करते थे. लेकिन अब तो बगैर कवर के ही शवों को भेज दे रहे हैं. उन्होंने आगे बताया कि ऐसे ही लापरवाही होती रही तो पूरे इलाके में कोरोना फैल जाएगा. उन्होंने बताया कि शव वाहन में लाने वाले जब भाग गए तो मृतक के परिवार के दो बुजुर्ग ही शव को बांस की सीढ़ियों में बांधकर खुद से घसीटकर मजबूरी में शवदाह गृह तक ले जाने लगे.

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स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी पकड़ी लापरवाही

वहीं शिकायत होने पर पहुंचे स्वास्थ विभाग के आलाधिकारी ने भी लापरवाही पकड़ी. सहायक मलेरिया अधिकारी केके राय ने बताया कि कोरोना शवों के साथ प्रोटोकॉल के मुताबिक पूरी तरह से कवर और रैप करके ही भेजा जाता है और यह शव भी बीएचयू अस्पताल से आया है. शव के साथ परिवार वाले भी होते हैं जो पीपीई किट से प्रोटेक्ट होते हैं.

उन्होंने बताया कि देखा गया कि कोरोना शव की रैपिंग पूरी खुली हुई थी, जिसके बाद शव को फिर सैनिटाइज करके बॉडी प्रोटेक्टर पहनाया गया है. उन्होंने बताया कि लापरवाही देखने में आई है, क्योंकि शव की रैपिंग खुलनी नहीं चाहिए थी और पीपीई किट भी फेंकी पाई गई. इन सारी बातों को उच्चाधिकारियों से अवगत कराया जाएगा.

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