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क्या है ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी, Corona Virus को लेकर WHO ने किया लागू

WHO की तय परिभाषा के अनुसार जब कोई खास इलाका किसी गंभीर स्वास्थ्य खतरों से जूझ रहा होता है तब उस शहर, राजधानी, राज्य या पूरे देश में हेल्थ इमरजेंसी लागू की जाती है. जब ये समस्या ग्लोबल स्तर पर फैलने का खतरा होता है तो पब्ल‍िक या ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी लागू होती है. जानें- ये ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी क्या होती है? कैसे काम करती है? कब ऐलान होता है?

चीन में कोरोना वायरस का कहर चीन में कोरोना वायरस का कहर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 3:12 PM IST

ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी को Public Health Emergency of International Concern (PHEIC) टर्म से जाना जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन World Health Organization (WHO) की ओर से ऐसी इमरजेंसी किसी ऐसे आपातकाल पर की जाती है जब दुनिया में स्वास्थ्य जोख‍िम का माहौल होता है.  WHO की तय परिभाषा के अनुसार जब कोई खास इलाका किसी गंभीर स्वास्थ्य खतरों से जूझ रहा होता है तब उस शहर, राजधानी, राज्य या देश में हेल्थ इमरजेंसी लागू की जाती है. लेकिन, जब ये समस्या ग्लोबल स्तर पर फैलने का खतरा होता है तो PHEIC का मुद्दा बन जाता है.

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राष्ट्रीय स्तर पर हेल्थ इमरजेंसी तमाम तरह के कारणों जैसे कोई बीमारी फैलने प्राकृतिक आपदा जैसे भू स्खलन, भूकंप आदि के आने से स्वास्थ्य के बदतर हालातों का अंदाजा लगाते हुए लागू की जाती है. वहीं ग्लोबल हेल्थ एमरजेंसी WHO किसी वायरस के संक्रमण को लेकर ही घोषित कर सकती है. जब उस बीमारी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलने का खतरा पैदा हो जाता है, तभी पब्ल‍िक हेल्थ इमरजेंसी या ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी लागू की जाती है.

हाल ही में दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के खतरनाक स्तर का लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव को देखते हुए हेल्थ इमरजेंसी लागू की गई थी. इस इमरजेंसी के दौरान आम लोगों को कई प्रोटोकॉल फॉलो करने होते हैं.  फिलहाल WHO ने कोरोना वायरस (Corona virus) के बढ़ते मामलों के देखकर ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी है. कोरोना वायरस की वजह से चीन में अब तक दो सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. कई अन्य देशों में करोना वायरस से संक्रमित मरीज मिले हैं.

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इसलिए है जरूरी, ये हैं प्रोटोकॉल

ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी के हालात में दुनियाभर के देशों को उस बीमारी से बचाव और उसे फैलने से रोकने के उपाय करने होते हैं. फिलहाल भारत में भी कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज की पहचान की गई है. केरल और दिल्ली में भी इस वायरस से संक्रमित संदिग्ध मरीज मिले हैं. Corona Virus को लेकर चीन के कई शहर लॉकडाउन हैं.  बता दें कि कोराना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए WHO ने आपात बैठक बुलाई थी. बैठक में कोरोना वायरस को लेकर ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने का फैसला लिया गया.  WHO के सभी 196 सदस्य देश इस प्रोटोकॉल और गाइडलाइन को फॉलो करते हैं.

इतने फंड से WHO कोरोना वायरस से करेगी मुकाबला

ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी के लिए WHO के पास आकस्मिक फंड होता है, जिसका इस्तेमाल वायरस प्रभावित इलाकों में किया जाता है. फिलहाल WHO के पास कोरोना वायरस से निपटने के लिए 1.8 मिलियन डॉलर का फंड है. ये पैसा दुनिया के कई देशों से आया है. UK ने पिछले साल सबसे ज्यादा 11 मिलियन यूएस डॉलर की रकम WHO को दी थी.कोराना वायरस के बढ़ते हुए मामलों को देखकर WHO को इससे निपटने के लिए और भी फंड दिया जा सकता है.

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WHO के गाइडलाइन में कई तरह के निर्देश जारी किए जा सकते हैं. इसमें ट्रैवल को लेकर नियम कायदे भी शामिल हैं. प्रभावित इलाकों में सफर को लेकर WHO विशेष गाइडलाइन जारी करती है. प्रभावित इलाकों के बॉर्डर एरिया और इंटरनेशनल एयरपोर्ट्स पर लोगों को स्क्रीनिंग की जाती है, ताकि वायरस के असर वाले लोगों की पहचान करके उनके अलग रहने की व्यवस्था की जाए. WHO आमतौर पर ट्रैवल पर पूरी तरह से पाबंदी नहीं लगाती. संस्था की कोशिश होती है कि इंटरनेशनल ट्रैवल में हालात सामान्य ही रहें.

बीते हफ्ते 25 जनवरी को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि अभी यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है कि नोवेल कोरोना वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान के शरीर में फैल रहा है या नहीं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन, जापान, सिंगापुर, थाईलैंड व कोरिया स्थित अपने विभिन्न केंद्रो को और अधिक सर्तकता बरतने के निर्देश दिए हैं. साथ ही इन केंद्रों को वहां की सरकारों व स्वास्थ्य विभाग के साथ बेहतर तालमेल स्थापित करने को भी कहा गया है. डब्लूएचओ का कहना है कि सभी प्रभावित क्षेत्रों में पर्याप्त सहायता पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है.

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