
चेन्नई में 19 जून से 12 दिन के लिए लॉकडाउन लगाया जा रहा है. विशेषज्ञों की समिति की ओर से चेन्नई के अलावा चेंगलपट्टू, तिरुवल्लुर और कांचीपुरम में भी सख्त लॉकडाउन की सिफारिश की गई है. समिति ने मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी को सलाह दी है कि कोरोना वायरस का और फैलाव रोकने के लिए बंदिशों में दी गई छूट को कम किए जाना जरूरी है.
दूसरी ओर, दिल्ली कुल केस और दैनिक केसों की संख्या में चेन्नई से आगे है. साथ ही राजधानी की मौतों का आकंड़ा भी चेन्नई की तुलना में तीन से चार गुना के बीच है. इसके अलावा दिल्ली में चेन्नई से रिकवरी भी कम है. लेकिन दिल्ली दोबारा लॉकडाउन लगाने को तैयार नहीं है. इससे भारत के सर्वाधिक प्रभावित शहरों में शामिल दिल्ली और चेन्नई में कर्फ्यू को लेकर विरोधी विचार सामने आए.
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सोमवार को तमिलनाडु ने अपने सबसे ज्यादा संक्रमित इलाकों को बंद करने का फैसला किया. वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया कि राजधानी के लिए ऐसा कोई प्लान नहीं है.
15 जून तक, चेन्नई में 33,244 पुष्ट केस, 379 मौतें और 17,406 रिकवरी दर्ज हुई. वहीं इसी तारीख तक दिल्ली में 41,182 पुष्ट केस , 1,327 मौतें और 15,823 रिकवरी दर्ज हुईं.
केस और मौतें
4 मई को, जब भारत में पूरी तरह से लॉकडाउन को आंशिक कर्फ्यू में बदला गया तो दिल्ली में 4,549 केस और चेन्नई में 1,729 थे. 15 जून तक, दिल्ली में 41,182 और चेन्नई में 33,244 केस हो चुके थे. इंडिया टुडे डेटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने पाया कि दिल्ली में दैनिक आधार पर चेन्नई से अधिक केस दर्ज हो रहे हैं. नए केसों का 7-दिन का रोलिंग औसत दिल्ली के लिए 233 और चेन्नई के लिए 190 है.
यह अंतर जून के पहले तीन दिनों में और चौड़ा हो गया, जब दिल्ली में औसत दैनिक केसों का बढ़ना 1,000 को पार कर गया, लेकिन चेन्नई के लिए यह 700 पर ही बना रहा. 15 जून तक, दिल्ली में औसत नए केसों की बढ़ोतरी 1,750 तक पहुंच गई, जबकि चेन्नई में यह आंकड़ा 1,400 था. दोनों शहरों में केस दोगुने होने की रफ्तार समान है. दोनों ही जगह हर 13 दिन में केस दोगुने हो रहे हैं.
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चेन्नई मृत्यु दर को दिल्ली की तुलना में कम रखने में सक्षम रहा है. 4 मई को, दिल्ली में 64 मौतें और चेन्नई में 17 मौतें रिपोर्ट हुईं. 15 जून को, दिल्ली में 1,327 मौतें और चेन्नई में 344 मौतें हुईं. दोनों दिनों में, दिल्ली में मौतों का आंकड़ा चेन्नई से लगभग चार गुने तक पहुंच रहा है.
पिछले हफ्ते दिल्ली नगर निगम (MCD) ने कोविड-19 दाह संस्कार को लेकर खुलासा किया, जिसने दिल्ली सरकार की ओर से मौतों की रिपोर्टिंग में भारी विसंगतियां दिखाईं.
11 जून तक, एमसीडी ने 2,098 कोविड-19 अंतिम संस्कार दर्ज किए थे. वहीं दिल्ली सरकार की ओर से मौतों का आंकड़ा सिर्फ 984 ही दिया गया था. इससे राज्य सकार की ओर से रिपोर्ट की जा रहीं मौतों पर सवाल उठे.
लॉकडाउन ढीला किया जाए या नहीं?
एम्स के नेतृत्व वाली एक स्टडी के मुताबिक, लॉकडाउन को ढीला करना तभी व्यावहारिक है जब भारत में दैनिक नए केसों की संख्या में गिरावट आना शुरू हो.
हालांकि, डेटा से पता चलता है कि भारत का शिखर अभी तक नहीं आया है क्योंकि दैनिक केस की संख्या हर दूसरे दिन एक नया रिकॉर्ड बना रही है. रिपोर्ट में लॉकडाउन बढ़ाने के फायदों को भी बताया गया है जो कि सरकार को क्षमताएं बढ़ाने के लिए और वक्त खरीदने जैसा है, जिससे कि लॉकडाउन बंदिशों में छूट के बाद केसों की संख्या बढ़ने की स्थिति में उससे निपटने के लिए तैयार रहा जा सके.
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रिसर्च में लॉकडाउन छूट के बाद आक्रामक टेस्टिंग के प्रभावों को भी बताया गया था. इसके मुताबिक, भारत अगर लॉकडाउन छूट के बाद आक्रामक रूप से टेस्टिंग बढ़ाता है तो कोविड-19 केसों को ट्रेस और आइसोलेट कर फैलाव को नियंत्रित रखा जा सकता है.
रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ बैठक की. शाह ने आश्वासन दिया कि दिल्ली में वायरस के और फैलाव को रोकने के लिए टेस्टिंग को तीन गुना किया जाएगा.