
घरों में क़ैद लोग. सूनसान सड़कें, लोगों की आवाजाही रोकने के लिए तैनात पुलिस. सुपरमार्केट से तेज़ी से ख़त्म होते रोज़मर्रा की ज़रूरत के सामान. तेज़ी से फ़ैल रहे अदृश्य ख़ौफ़नाक कोरोना वायरस ने चीन के बाद अब समूचे यूरोप, अमरीका, ईरान और दुनिया के कई देशों को अपने ख़ौफ़ में जकड़ लिया है. सबसे ज़्यादा प्रभावित इटली है जहां कल ही 475 लोगों की मौत इस वायरस से हुई है.
बिज़नेस वीज़ा पर इटली गए और इस समय मिलान में फंसे एक भारतीय ने फ़ोन पर वहां के हालात बताते हुए कहा, “मैं यहां मिलान में हूं. मैं तीस जनवरी को यहां पहुंचा था तब हालात ठीक थे. उस समय इतालवी सरकार ने लोगों से एहतियात बरतने के लिए कहा था. तब लोग आराम से घूम फिर रहे थे. लेकिन आठ मार्च को लॉम्बार्डी में और उसके एक-दो दिन बाद पूरे देश में पूरी तरह लॉकडाउन का आदेश आ गया. अभी मिलान में पूरी तरह लॉकडाउन है. सिर्फ़ ज़रूरी सामान की दुकानें ही खुली हैं.” वो बताते हैं, “दुकान के बाहर भी लोगों के एक दूसरे से एक मीटर दूर खड़ा रहना पड़ता है. हाथ सेनेटाइज़ करने के बाद ही अंदर जाने दिया जाता है जहां कैशियर भी दूर से ही पैसे लेता है.”
भारत सरकार इटली में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश कर रही है. लेकिन इटली में फंसी इस भारतीय का ये कहना है कि उन्हें पूरी जानकारी नहीं दी जा रही है. अपना नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर वो कहते हैं, “मेरे हिसाब से मौजूदा परिस्थितियों में भारत सरकार अच्छा काम कर रही है, बस एक ही गुज़ारिश है कि हमें पूरी जानकारी दी जाए. ग़लत या आधी जानकारी हमारे लिए हालात और मुश्किल ही करेगी.” इटली में रह रहे भारतीय के लिए भारत आने के लिए कोरोना नेगेटिव सर्टिफ़िकेट हासिल करना ज़रूरी है. लेकिन ये सर्टिफ़िकेट हासिल करना आसान नहीं है.
मास्क लगाना अनिवार्य
इटली में कोरोना वायरस पहले उत्तरी इलाक़े में फैला था. दक्षिण इटली में शुरुआती दिनों में हालात बेहतर थे. पूर्वी इटली के बहुत से लोग यहां पहुंच गए और अब यहां भी हालात गंभीर हैं. सिसली के पलेरमो में रहने वाले भारतीय छात्र अनिमेष सुभाश शल्य ने फ़ोन पर बताया, “हमें घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है. सिर्फ़ बेहद ज़रूरी काम जैसे खाने-पीने का सामान ख़रीदने के लिए ही हम बाहर जा सकते हैं. मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है लेकिन मेडिकल स्टोर पर मास्क आसानी से उपलब्ध नहीं है.” सुभाष शल्य और उनके साथ रह रहे बाक़ी भारतीय छात्रों को अभी हॉस्टल में खाने का सामान मिल रहा है. वो कहते हैं कि प्रशासन हर बात का ध्यान रख रहा है और बार-बार कैंपस को साफ़ किया जा रहा है.
इतालवी सरकार ने शहरों के बीच में यातायात को पूरी तरह रोक दिया है. सुभाष ने बताया कि जिस शहर में वो रह रहे हैं वहां से किसी को बाहर जानें या शहर में आने की इजाज़त नहीं है. बेहद ज़रूरी काम होने पर ही अनुमति लेकर बाहर जाया जा सकता है. जो लोग बिना वजह घर से बाहर निकल रहे हैं उन पर भारी जुर्माना लगाया जा रहा है. यहां तक कि जेल तक भेजने के प्रावधान भी हैं. पोलेरमे में ही रह रहे मुंबई के छात्र परेश ने बताया, “हम एक सप्ताह से कमरे से बाहर नहीं निकल सके हैं. बहुत ही मायूसी का माहौल है. पलेरमो पहले रेड ज़ोन नहीं था. बाकी पूरा देश रेड ज़ोन था. लेकिन जब देश के बाकी हिस्सों में लोगों को पता चला कि पलेरमो में हालात ठीक हैं तो उन्होंने बड़ी तादाद में इस ओर यात्रा की और अब यहां भी हालात ख़राब हो गए हैं. ”
कई उड़ानें रद्द, आना-जाना मुश्किल
परेश बताते हैं कि हर बीतते दिन के साथ मरने वालों की तादाद बढ़ रही है जिससे लोगों में खौफ़ बढ़ता जा रहा है. हालांकि इटली के इस हिस्से में अभी खाने-पीने की चीज़ों की दिक्कत नहीं है. परेश और उनके बाकी साथी भारत लौटना चाहते थे लेकिन अंतिम समय में उनकी उड़ान रद्द हो गई. उनका कहना है कि इससे उनकी परेशानी और बढ़ गई है. परेश कहते हैं, “हमें तेरह मार्च को पलेरमो से मुंबई जाना था. लेकिन ये टिकट दस घंटे पहले ही रद्द कर दिया गया. हम सब छात्र हैं और पार्ट टाइम जॉब करके ख़र्च चलते हैं. हम कोशिश कर रहे हैं कि रद्द उड़ान का रिफंड हमें मिल जाए. हमारे घर पर भी अभी हालात तनावपूर्ण हैं. हम रोज घर पर बात करते हैं. सब बहुत चिंतित हैं. परिवार चाहता है कि हम जल्द से जल्द लौट जाएं.” वो बताते हैं, “भारतीय टीमें इटली पहुंच रही हैं. लेकिन वो रोम या मिलान ही आई हैं. हम यहां से रोम नहीं जा सकते क्योंकि सभी तरह का यातायात बंद है. हमारी गुज़ारिश है कि सरकार की कोई टीम पलेरमो पहुंचे और हमारी मदद करे. हमें नहीं पता है कि कोरोने नेगेटिव सर्टिफ़िकेट कैसे हासिल करना है.”
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इटली में लॉकडाउन
इटली में सरकार ने सख़्त लॉकडाउन लागू किया है. सब कुछ बंद हैं. ज़रूरी सामान ख़रीदना भी लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है. मोडेना में रहने वाली शिल्पी ने बताया, “जिस शहर में मैं रह रही हूं वहां पूरी तरह लॉकडाउन हैं. हम 23 फ़रवरी से घर में ही बंद हैं. खाने-पीने का सामान ख़रीदना भी संघर्ष हो गया है क्योंकि ग्रोसरी स्टोर के बाहर लंबी लाइन लगती है. रोज़मर्रा की ज़रूरतों का सामान मैंने पहले ही भारी मात्रा में जमा कर लिया था ताकि बाहर कम जाना पड़े और एक्सपोज़र कम से कम हो.” वो बताती हैं, “बाहर पुलिस तैनात है जो जांच करती रहती है. बेवजह बाहर निकल रहे लोगों को जेल तक हो सकती है.”
बच्चों को घर में रखना चुनौतीपूर्ण
शिल्पी दो बच्चों की मां हैं और उनके लिए घर में बच्चों को रखना काफ़ी चुनौतीपूर्ण हो गया है, वो कहती है, “दोनों बच्चों को घर में रखना काफ़ी मुश्किल है. बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं. वो बाहर नहीं निकल सकते हैं. हम रोज़ न्यूज़ में देखते हैं कि कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं और हम नहीं जानते की कब तक ऐसे हालात रहेंगे.” शिल्पी अपने परिवार के साथ भारत भी लौटना चाहती थीं लेकिन फिर उन्हें लगा कि कहीं वो भारत में अपने परिवार और आसपास के लोगों के लिए ही ख़तरा न बनाएं इसलिए उन्होंने इटली में ही सेल्फ़ क्वारंटीन में रहने का निर्णय लिया. इटली के तस्कनी में रह रहे अभिषेक बताते हैं कि पहले सिर्फ़ उत्तरी इटली में ही हालात चुनौतीपूर्ण थे लेकिन लोगों बड़ी तादाद में उत्तरी इटली से बाकी इलाक़ों में गए और अपने साथ कोरोना वायरस भी लेकर गए.
इटली में वुहान जैसे हालात
वो कहते हैं, “अभी हम सब घरों मैं क़ैद हैं. ये एक तरह से सही भी है क्योंकि वायरस को घर में रुककर ही रोका जा सकता है. यहां हालात बिलकुल चीन के वुहान जैसे हैं. सरकार ने सबको बंद कर दिया है ताकि ज़्यादा लोग संक्रमित न हों और स्वास्थ्य सेवाएं संक्रमित लोगों से निबट सकें.” अभिषेक बताते हैं कि लोग एक दूसरे को घर में रुकने के लिए प्रोत्साहित भी कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी घर में ही रुकने को बढ़ावा देने के लिए कई ट्रेंड चलाए जा रहे हैं. वो कहते हैं कि इटली ने जो क़दम उठाए हैं वो उन देशों को भी उठाने चाहिए जहां अभी हालात इतने चुनौतीपूर्ण नहीं है. अपने घरों में क़ैद इतालवी लोग एक दूसरे का हौसला बढ़ाने के लिए खिड़कियों से मोबाइल लाइट भी फ्लैश कर रहे हैं. अभिषेक कहते हैं कि भले ही हालात कितने भी ख़राब क्यों न हों लेकिन इतालवी लोग अपनी सरकार पर भरोसा कर रहे हैं और बहुत हद तक नियमों का पालन भी कर रहे हैं.