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कोविड महामारी के शिखर के बीच एयर इंडिया में यूनियन बनाम यूनियन

एयर इंडिया वैश्विक महामारी के समय वित्तीय संकट से गुजर रहा है, इसलिए उसे स्थिर कदम उठाने की जरूरत है. पायलट बॉडी ने राष्ट्रीय वाहक को अन्य एयरलाइन्स से संकेत लेने के लिए कहा कि कैसे अतिरिक्त मैनपावर से छुटकारा पाकर लागत में कटौती के तरीके अपनाए जाएं.

एयर इंडिया में हुआ यूनियन बनाम यूनियन एयर इंडिया में हुआ यूनियन बनाम यूनियन
पंकज उपाध्याय
  • मुंबई,
  • 14 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 5:22 PM IST

  • दो पायलट यूनियंस ने CMD को पत्र लिखकर कंपनी के वजूद को बनाए रखने के लिए सुझाव दिए
  • कर्मचारी की सेवा शर्तों में बिना नोटिस जारी किए बदलाव नहीं कर सकते- इंजीनियर्स एसोसिएशन

चंद दिन पहले एयर इंडिया की दो पायलट यूनियंस ने एयरलाइन के CMD को पत्र लिखकर एयर इंडिया के वजूद को बनाए रखने के लिए सुझाव दिए थे. इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन (ICPA) और इंडियन पायलट्स गिल्ड (IPG) ने पत्र में इस दिशा में कदम उठाए जाने का आग्रह किया था. पायलटों के मुताबिक, चूंकि एयर इंडिया वैश्विक महामारी के समय वित्तीय संकट से गुजर रहा है, इसलिए उसे स्थिर कदम उठाने की जरूरत है. पायलट बॉडी ने राष्ट्रीय वाहक को अन्य एयरलाइन्स से संकेत लेने के लिए कहा कि कैसे अतिरिक्त मैनपावर से छुटकारा पाकर लागत में कटौती के तरीके अपनाए जाएं.

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ICPA और IPG को अपने पत्र वापस लेने के लिए भी कहा

पत्र में कहा गया, 'एयर इंडिया को यह भी देखना चाहिए कि एविएशन सेक्टर के अन्य प्लेयर्स कोरोना वायरस महामारी की परिस्थितियों से कैसे जूझ रहे हैं? हम समझते हैं कि एक प्रमुख प्राइवेट कैरियर के पास फाइनेंस में 250 और HR में 130 की मैनपावर है, जो 255 विमानों के बेड़े को संभालती है. वहीं इसके विपरीत एयर इंडिया में देखा जाए तो HR और फाइनेंस में 1600 से अधिक कर्मचारी हैं.'

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लेकिन पायलटों के इन प्रस्तावों पर एविएशन इंडस्ट्री एम्प्लॉइज गिल्ड और ऑल इंडिया सर्विस इंजीनियर्स एसोसिएशन ने कड़ा ऐतराज जताया है. उन्होंने पायलटों के सुझावों को न सिर्फ 'विचारहीन' बताया है बल्कि ICPA और IPG को अपने पत्र वापस लेने के लिए भी कहा है.

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ICPA और IPG को लिखे पत्र में एम्प्लॉइज गिल्ड और इंजीनियर्स एसोसिएशन ने कहा, 'हम आप दोनों की ओर से लिखे गए पत्र को पढ़कर हैरान हैं. जिसमें आपने अपने भत्तों की रक्षा के लिए विभिन्न लागतों में कटौती करने के सुझाव दिए हैं. जैसे कि कर्मचारियों की संख्या में कटौती, बिना वेतन के अनिवार्य अवकाश और कर्मचारियों की सभी श्रेणियों में कुल आमदनी में कटौती आदि. इनमें से अधिकतर कर्मचारी आपकी यूनियन की ओर से कवर भी नहीं होते. ट्रेड यूनियन के रूप में आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आईडी अधिनियम, 1947 की धारा 9 ए के तहत कर्मचारी की सेवा शर्तों में बिना नोटिस जारी किए बदलाव नहीं किया जा सकता है. इसलिए आपका सुझाव अवैध है.'

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एम्पलॉइज गिल्ड और इंजीनियर्स एसोसिएशन के पत्र में पायलट बॉडी के रुख की आलोचना करते हुए आगे कहा गया, 'हम समझते हैं कि आपके उठाए गए मुद्दे केवल इसलिए थे क्योंकि प्रबंधन ने आपको अमेरिकी डॉलर में किए जाने वाले फ्लाइंग अलाउंस के भुगतान में कटौती के लिए नोटिस के तहत रखा है. और असल फ्लाइंग ऑवर्स के हिसाब से भुगतान की बात कही. क्योंकि ऑपरेशन्स महज न्यूनतम तक सिकुड़ गए हैं और कंपनी महामारी के कारण गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही है. भारत में कर्मचारियों के उच्चतम भुगतान वाली श्रेणी का प्रतिनिधित्व करने वाले संघ के रूप में, आपको अपने स्वयं के हितों की रक्षा करनी चाहिए. न कि आप हमारी श्रेणी/ यूनियनों से संबंधित कर्मचारियों को प्रभावित करने वाले अनुचित और गैरकानूनी लागत में कटौती के उपायों वाले सुझाव दें.'

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भत्तों पर मौजूदा विमर्श किया जा रहा है

पत्र में एक और तीखे हमले में पायलटों पर निशाना साधते हुए कहा गया, '... क्या हमें सुझाव देना चाहिए कि चूंकि बेड़े का केवल 10% ही चालू है, इसलिए 80-90% ऊंचे भुगतान वाले पायलटों को अनिवार्य अवैतनिक अवकाश पर भेजा जाना चाहिए और/या उन्हें एक्चुअल फ्लाइंग घंटों का ही भुगतान किया जाना चाहिए. एविएशन मार्केट में अतिरिक्त अनुभवी पायलट हैं जिन्हें रोजगार प्राप्त करने के अवसर की प्रतीक्षा है और वह भी बहुत कम भत्तों पर. यदि पायलटों के लिए नोटिस की अवधि माफ कर दी जाती है, तो हम यह देखना चाहेंगे कि वास्तव में उनके इस्तीफे कितने होंगे.'

इस बीच, एसोसिएशन ऑफ इंडियन पायलट्स ने ICPA और IPG को अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा है. 'हम एयर इंडिया एक्सप्रेस (AIP) के 312 सदस्य हैं. हम ICPA और IPG के उन प्रयासों को अपना पूर्ण समर्थन और एकजुटता दिखाते हुए खुश हैं जिनके तहत हमारे सदस्यों और कंपनी के हितों को देखते हुए भत्तों पर मौजूदा विमर्श किया जा रहा है.'

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