
कॉर्पोरेट ट्रेलब्लेजर
विजेता: हिंदुस्तान यूनिलीवर
जीत की वजह: स्वास्थ्य और स्वच्छता के क्षेत्र में जागरूकता और बुनियादी ढांचा खड़ा करने के लिए
एक ऐसे देश में जहां पांच साल से कम उम्र के नौ लाख से अधिक बच्चे हर साल विभिन्न रोगों से मर जाते हैं, वहां साबुन से अच्छी तरह हाथ धोना शिशु मृत्यु दर नीचे लाने का सबसे सस्ता तरीका बताया जाता है. हिंदुस्तान यूनिलीवर ने इस बात को एक अवसर के तौर पर लिया और काम पर लग गया. इसने 2010 में हाथ धोने का तरीका बदलवाने का कार्यक्रम शुरू किया और यह अब तक उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र के 6.8 करोड़ लोगों तक पहुंचा है.
हिंदुस्तान यूनिलीवर की डॉमेक्स टॉयलेट एकेडमी ने निम्न आय वाले घरों में शौचालय की मांग पूरी करने के लिए अब तक 600 अतिलघु उद्यमियों और राज मिस्तरियों को प्रशिक्षित किया है, जिससे 10 साख से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ा है. 2015 में इसने अपनी 'स्वच्छ आदत, स्वच्छ भारत' पहल के तहत 'स्वच्छता दूत' के नाम से स्वयंसेवी प्रयास शुरू किए, जिसमें बीते साल उसके 3,000 कर्मचारियों ने हिस्सा लिया था.
संस्था का 'स्टार्ट अ लिटिल गुड' अभियान जल संरक्षण और प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन को लक्ष्य करता है जबकि नवंबर 2016 में शुरू किए गए इसके सुविधा केंद्र ने मुंबई के घाटकोपर इलाके में आजादनगर झोंपड़पट्टी इलाके में कम कीमत पर स्वच्छता, स्नान और कपड़ों की धुलाई की सुविधा उपलब्ध कराई है. तब से अब तक चार और ऐसे केंद्र स्थापित हुए हैं. कंपनी ने प्रतिज्ञा की है कि 2025 तक वह अपने कुल प्लास्टिक उपयोग में 25 प्रतिशत रिसाइकिल्ड प्लास्टिक का उपयोग करने लगेगी.
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