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...इस वजह से भी हो सकती है नपुंसकता

सनस्क्रीन लगाने वाले मर्दों के नपुंसक होने की आशंका बढ़ जाती है. यूवी किरणों के प्रभाव को कम करने के जिन रसायनिक तत्वों का इस्तेमाल सनस्क्रीन में किया जाता है वे शुक्राणुओं को नष्ट कर सकते हैं या फिर इसके चलते उनकी क्रियाशीलता प्रभवित हो सकती है. 

सनस्क्रीन लगाना हो सकता है खतरनाक सनस्क्रीन लगाना हो सकता है खतरनाक
भूमिका राय
  • नई दिल्ली,
  • 02 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 1:44 PM IST

गर्मियां आ गई हैं और ऐसे में घर से बाहर निकलने से पहले ज्यादातर लोग सनस्क्रीन लगाकर ही कदम बढ़ाते हैं. सनस्क्रीन का इस्तेमाल सालों से किया जाता रहा है. ऐसा माना जाता है कि सनस्क्रीन लगाकर निकलने से त्वचा, यूवी किरणों के सीधे संपर्क में नहीं आती है और सुरक्षित रहती है. लेकिन ये खबर आपको चौंका सकती है.

हाल में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि सनस्क्रीन लगाने वाले मर्दों के नपुंसक होने की आशंका बढ़ जाती है. यूवी किरणों के प्रभाव को कम करने के जिन रसायनिक तत्वों का इस्तेमाल सनस्क्रीन में किया जाता है वे शुक्राणुओं को नष्ट कर सकते हैं या फिर इसके चलते उनकी क्रियाशीलता को प्रभावित कर सकते हैं. 

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इसके साथ ही इसमें प्रयुक्त कई सामान्य उत्पाद महिलाओं के हॉर्मोन प्रोजेस्टेरॉन भी प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं. जिससे शुक्राणुओं की क्रियाशीलता प्रभावित होती है.ये तत्व स्पर्म सेल्स के सामान्य फंक्शन को भी रोक देते हैं.

जब हम सनस्क्रीन लगाते हैं तो हमारी त्वचा उस लोशन को सोख लेती है. जिससे ये ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश कर जाता है. यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन के नील्स शाक्केबीक के अनुसार, ये स्टडी वाकई हैरान करने वाली है. नील्स के मुताबिक, ये परिणाम वाकई चिंता में डालने वाले हैं और संभव है कि इससे नपुंसकता और उसके कारणों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिले.

नील्स और उनकी टीम ने स्वस्थ सीमन पर सनस्क्रीन के प्रभाव की जांच की. उन्होंने कई तरह के सनस्क्रीन का परीक्षण किया. ज्यादातर रिजल्ट में स्पर्म की सामान्य प्रक्रिया प्रभावित नजर आई. शोधकर्ताओं का कहना है कि शुक्राणुओं का सही फंक्शन बहुत जरूरी है लेकिन सनस्क्रीन में मौजूद तत्व इसे प्रभावित कर सकते हैं.

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