
मार्केट में त्वचा को गोरा करने वाली क्रीमों में स्टेरॉयड और हानिकारक केमिकलों का प्रयोग को रोकने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट मे एक जनहित याचिका लगाई गई है. कोर्ट ने मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता ने मांग की है कि क्रीम में इस्तेमाल किए जाने वाले इन स्टेरॉयड की बिक्री पर रोक लगाई जाए. साथ ही इसे शेड्यूल ड्रग श्रेणी में शामिल किया जाए, ताकि बगैर डॉक्टर के पर्ची के कोई इस क्रीम को खरीद न सके.
दिल्ली हाइकोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय के अलावा केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को भी अगली सुनवाई में जबाव दाखिल करने का आदेश दिया है. भारतीय त्वचा, कुष्ठ और यौन रोग विशेषज्ञ संघ (आईएडीवीएल) ने ये याचिका दायर की है.
याचिका मे दावा किया गया है कि गोरा करने वाली इस क्रीम का कंपनियों का देश में करोड़ों रुपये का कारोबार है. इसके इस्तेमाल से सोरियासिस, एग्जिमा जैसे गंभीर त्वचा रोगों के निदान के लिए यह क्रीम होती है. इन क्रीमों में मोमेटासोंन, क्लोबीटासोल , बेकलोमेथसोंन जैसे स्टेरॉयड होते हैं. फौरी तौर पर क्रीम से कील-मुहांसे खत्म हो जाते हैं, लेकिन इसका दुरुपयोग किया जा रहा है. हालांकि इसकी कीमतें कम होने की वजह से इसकी काफी मांग है. साथ ही नियमों में ढील का लाभ फेयरनेस क्रीम निर्माता कंपनिया उठा रहीं हैं.
कुछ समय बाद यह क्रीम त्वचा को पतला करने लगती हैं. इससे त्वचा धूल, मिंट्टी, साबुन से संवेदनशील हो जाती हैं. जरा सी धूप या गर्मी से चेहरा लाल और जलन होने लगती है. फिर चेहरे पर बाल और बाद में धीरे-धीरे झुर्रियां पडने लगती हैं. याचिका के मुताबिक, देश में स्टेरॉयड युक्त क्रीम का बाजार बहुत तेजी के साथ बढ़ रहा है. हर साल करीब 250 करोड़ रुपये का कारोबार इन क्रीम के माध्यम से किया जा रहा है.