
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में पिछले महीने सीआरपीएफ जवानों पर नक्सलियों ने हमले की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश दिए गए हैं. सुकमा जिले के चिंतागुफा थाना क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले बुरकापाल गांव के पास नक्सलियों द्वारा 24 अप्रैल को घात लगाकर किए गए इस हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए थे.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, शुरुआती जांच में पता चला कि नक्सली हमले के दौरान पास ही मौजूद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की दूसरी कंपनी वक्त पर मदद के लिए नहीं पहुंची. इस मामले में सीआरपीएफ के कंपनी कमांडर जे. विश्वनाथ को गृह मंत्रालय के निर्देश पर पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है. वह सुकमा नक्सली हमले के दौरान टीम का नेतृत्व कर रहे थे. वहीं आगे की जांच में चूक के जिम्मेदार पाए जाने वाले अन्य अफसरों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है.
इस बीच यह भी पता चला कि पिछले महीने जिस दौरान यह भीषण हमला हुआ, उस वक्त सीआरपीएफ के 74वीं बटालियन के करीब 55 जवान अप्रत्याशित रूप से छुट्टी पर थे. एक ही बटालियन के इतने जवानों का एक साथ छुट्टी पर जाना सीआरपीएफ की कार्यप्रणाली में बड़ी खामी की तरफ इशारा करता है.
सुकमा हमले में शहीद हुए सभी 25 जवान सीआरपीएफ की इसी 74वीं बटालियन डेल्टा कंपनी के थे. उन्हें बुरकापाल और चिंतागुफा के बीच तैनात किया गया था. रोड ओपनिंग के लिए निकला यह दल जब बुरकापाल से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर था, तभी नक्सलियों ने पुलिस दल पर गोलीबारी शुरू कर दी. इसके बाद पुलिस दल ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू की और काफी समय तक दोनों तरफ से गोलीबारी होती रही.
नक्सलियों के इस हमले की जानकारी मिलने के बाद अतिरिक्त पुलिस दल रवाना किया गया और शवों और घायल जवानों को वहां से बाहर निकालने की कार्रवाई शुरू की गई. गौरतलब है कि वर्ष 2010 में इसी जगह हुए नक्सली हमले में 76 जवान शहीद हो गए थे.