Advertisement

लिव-इन-रिलेशन में बनाए 'संबंध' रेप के दायरे से बाहर नहीं: कोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने लिव-इन-रिलेशन के रिश्तों को भारतीय दंड संहिता के तहत बलात्कार के दायरे से बाहर रखने से इंकार कर दिया है. हाईकोर्ट य ने कहा कि ऐसा करने का मतलब इस रिश्ते को वैवाहिक दर्जा प्राप्त करना होगा, जिसका विधायिका ने चयन नहीं किया है.

symbolic image symbolic image
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 मार्च 2015,
  • अपडेटेड 9:52 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने लिव-इन-रिलेशन के रिश्तों को भारतीय दंड संहिता के तहत बलात्कार के दायरे से बाहर रखने से इंकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा करने का मतलब इस रिश्ते को वैवाहिक दर्जा प्राप्त करना होगा, जिसका विधायिका ने चयन नहीं किया है.

चीफ जज रोहिणी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की खंडपीठ ने कहा कि जहां तक लिव-इन-रिलेशन के रिश्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) के दायरे से बाहर रखने का सवाल है तो ऐसा करने का मतलब लिव-इन-रिलेशन को वैवाहिक दर्जा प्राप्त करना होगा और विधायिका ने ऐसा नहीं करने का चयन किया है. कोर्ट ने कहा कि लिव-इन-रिलेशन के रिश्ते विवाह से इतर एक वर्ग है. ऐसा भी नहीं है कि ऐसे मामलों में आरोपी को सहमति के आधार पर बचाव उपलब्ध नहीं होगा. हमें याचिका में कोई मेरिट नजर नहीं आती और इसलिए इसे खारिज किया जाता है.

Advertisement

कोर्ट ने लिव-इन-रिलेशन के रिश्तों को भारतीय दंड संहिता के तहत बलात्कार के अपराध के दायरे से बाहर रखने का सरकार को निर्देश देने के लिये दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. याचिका में न्यायालय से यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि ऐसे रिश्तों में दूसरे साथी के खिलाफ धारा 376 (बलात्कार) के तहत नहीं बल्कि धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज करना चाहिए जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि वह ऐसा आदेश नहीं दे सकती है. अदालत अनिल दत्त शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में दलील दी गयी थी कि अनेक मामलों में यह पाया गया है कि अदालतों ने बलात्कार के आरोपियों को बरी कर दिया है क्योंकि महिलाओं ने झूठे मामले दर्ज किए थे.

Advertisement

-इनपुट भाषा

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement