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1984 सिख दंगे: कोर्ट से बरी सज्‍जन कुमार पर भीड़ ने फेंका जूता

दिल्ली कैंट में हुए सिख विरोधी दंगा मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने मंगलवार को कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्‍जन कुमार को सभी आरोपों से बरी कर दिया, जबकि बाकी पांच लोगों को दोषी करार दिया है. फैसले के वक्‍त गुस्‍साए लोगों ने सज्‍जन कुमार पर जूता फेंका.

सज्‍जन कुमार सज्‍जन कुमार
दिल्‍ली आज तक ब्‍यूरो
  • नई दिल्‍ली,
  • 30 अप्रैल 2013,
  • अपडेटेड 7:33 PM IST

दिल्ली कैंट में हुए सिख विरोधी दंगा मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट में मंगलवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश जे आर आर्यन ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया, जबकि पांच अन्य पूर्व पाषर्द बलवान खोकर, पूर्व विधायक महेन्द्र यादव, किशन खोकर, गिरधारी लाल एवं कैप्टन भागमल को दोषी ठहराया है. फैसले के वक्‍त कोर्ट रूम में झड़प भी हो गई थी. यही नहीं गुस्‍साई भीड़ ने सज्‍जन कुमार पर जूता भी फेंका. हालांकि पुलिस ने जूता फेंकने वाले व्‍यक्ति को हिरासत में ले लिया. फैसला आने के बाद लोगों ने कोर्ट के बाहर हंगामा शुरू कर दिया. समर्थको का मानना है कि यह फैसला उनके हक में नहीं हुआ, वो न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे.

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क्‍या है पूरा मामला
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में सिख विरोधी दंगे फैले थे. इस दौरान दिल्ली कैंट के राजनगर में 5 सिख केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. इस दंगे की भेंट चढ़े केहर सिंह इस मामले की शिकायतकर्ता जगदीश कौर के पति थे, जबकि गुरप्रीत सिंह उनके बेटे थे. इस घटना में मारे गए अन्य सिख दूसरे गवाह जगशेर सिंह के भाई थे.

सीबीआई ने 2005 में जगदीश कौर की शिकायत और न्यायमूर्ति जीटी नानावटी आयोग की सिफारिश पर दिल्ली कैंट मामले में सज्जन कुमार, कैप्टन भागमल, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, गिरधारी लाल, कृष्ण खोखर और पूर्व पार्षद बलवंत खोखर के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

इसके बाद सीबीआई ने सभी आरोपियों के खिलाफ 13 जनवरी 2010 को अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था. इनमें से सज्जन कुमार को कोर्ट ने बरी किया जबकि बाकी पांचों लोगों को दोषी करार दिया गया है.
बेकाबू हुआ सिख समुदाय

कड़कड़दूमा जिला अदालत परिसर में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी एकत्र थे. फैसला आने बाद सिख समुदाय के लोग बेकाबू हो गए और कोर्ट के बाहर जबरदस्‍त हंगामा किया. पुलिस को स्थिति को काबू करने के लिए बहुत मशक्‍कत करनी पड़ी. फैसला आते ही शिकायतकर्ता जगदीश कौर अदालत कक्ष के अंदर ही यह कहते हुए धरने पर बैठ गयी कि न्याय होने तक वह नहीं उठेंगी.कोर्ट में सुबह से ही सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. कोर्ट परिसर में रैपिड फोर्स की तैनाती भी की गई थी. लोगों ने न्‍याय व्‍यवस्‍था और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. दंगा पीड़‍ित पक्ष हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है.

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दंगों का दर्द नहीं भरा अभी
दिल्ली कैंट में पालम कॉलोनी के राज नगर इलाके में 1 नवंबर 1984 को कई बेगुनाह लोग दंगाइयों के शिकार हो गए थे और यहां के गुरुदारे में भी आग लगा दी गई थी. दंगे में अपने तीन बड़े भाइयों को खो चुके जंगशेर उन तीन गवाहों में से एक हैं, जिन्होंने सज्जन कुमार के खिलाफ गवाही दी है.

जंगशेर सिंह कहते हैं, ‘मेरे तीन भाई मरे हैं, मै भूल नहीं सकता. इसीलिए आखिर तक गवाही पर डटा रहा.’

चौरासी के दंगे ने निरप्रीत कौर को भी जिंदगी भर का जख्म दे दिया. निरप्रीत के सामने ही उनके पिता को जिंदा जला दिया गया. सालों से वो कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रही हैं. हमेशा धमकी मिलती रहती है इसलिए सुरक्षा मिली हुई है. डर तो लगता है, लेकिन गवाही दी है क्योंकि इंसाफ चाहिए.

निरप्रीत कौर ने कहा, ‘गोधरा से तुलना करे तो लगता है कि इंसाफ नहीं मिला. लेकिन फिलहाल व्यवस्था को देखें तो लगाता है कि इंसाफ होगा.’

हो सकती थी सजा-ए-मौत
नानावटी कमीशन के आदेश पर दिल्ली कैट में 5 सिखों की हत्या का मुकदमा कोर्ट में सज्जन कुमार पर चलाया गया. अगर अदालत सज्जन कुमार समेत बाकी पांच आरोपियों को धारा 302 के तहत दोषी करार देती तो उन्हें उम्र कैद से लेकर सजा-ए-मौत तक हो सकती थी. 84 दंगो के मामले में यह पहला मौका है जब अदालत किसी नेता पर फैसला सुनाया.

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