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कोरोना काल में बदले PF के नियम, समझें- कंट्रीब्‍यूशन का कैलकुलेशन

कोरोना संकट में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के तहत आने वाले लोगों का पीएफ कंट्रीब्‍यूशन 12 फीसदी से घटकर 10 फीसदी हो गया है. यह नियम तीन महीने के लिए लागू है.

पीएफ कंट्रीब्‍यूशन 12 फीसदी से घटकर 10 फीसदी हो गया है पीएफ कंट्रीब्‍यूशन 12 फीसदी से घटकर 10 फीसदी हो गया है
दीपक कुमार
  • नई दिल्‍ली,
  • 14 मई 2020,
  • अपडेटेड 8:43 AM IST

  • कोरोना संकट काल में सरकार ने पीएफ को लेकर अहम बदलाव किया
  • कंपनियों को 12 फीसदी की बजाए 10 फीसदी का सहयोग देना होगा
  • कर्मचारी भी मूल वेतन का 12 फीसदी की बजाए 10 फीसदी कंट्रीब्‍यूशन देंगे

किसी भी नौकरी पेशा शख्‍स के लिए उसके प्रोविडेंट फंड यानी पीएफ की रकम सबसे अहम होती है. यह रकम भविष्‍य को सुरक्षित रखने का सबसे अहम फंड है. इसमें पैसा तो जमा होता ही है, साथ ही सरकार की ओर से ब्याज भी मिलता है. लेकिन कोरोना संकट काल में सरकार ने पीएफ को लेकर एक अहम बदलाव किया है.

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क्‍या हुआ है बदलाव

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के तहत आने वाले सभी नियोक्ताओं और कर्मचारियों के पीएफ कंट्रीब्‍यूशन को क्रमश: 2-2 फीसदी कम कर दिया गया है. अब अगले तीन माह तक कर्मचारी अपने मूल वेतन का 12 फीसदी की बजाए सिर्फ 10 फीसदी कंट्रीब्‍यूशन देंगे. इसी तरह, कंपनियों को भी 12 फीसदी की बजाए 10 फीसदी का सहयोग देना होगा.

अब तक क्‍या थी स्थिति

किसी भी कर्मचारी के मूल वेतन का 12 प्रतिशत योगदान कर्मचारी करता है, और इतना ही अंशदान नियोक्ता या कंपनी की ओर से भी पीएफ में किया जाता है. यहां यह भी स्पष्ट कर दें कि किसी भी कंपनी या नियोक्‍ता के हिस्से के 12 फीसदी योगदान में से 8.33 फीसदी या 1250 रुपये, जो भी कम हो, का योगदान कर्मचारी पेंशन योजना यानी ईपीएस में होता है. जबकि, शेष 3.67 फीसदी रकम का योगदान कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में होता है. इसके उलट, कर्मचारी के हिस्से का पूरा 12 फीसदी ईपीएफ यानी आपके पीएफ फंड में जाता है.

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फायदा या नुकसान ?

सरकार का कहना है कि इस फैसले से कर्मचारियों और नियोक्‍ता को कुल 6,750 करोड़ रुपये की नकदी मिलेगी. इस निर्णय से ,ऐसे 4.3 करोड़ कर्मचारियों और 6.5 लाख नियोक्ताओं को लाभ होगा जो कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये जारी लॉकडाउन के कारण नकदी समस्या से जूझ रहे हैं. हालांकि, एक सच ये भी है कि इस बदलाव में सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं दी जा रही है.

ये पढ़ें- आपके PF के पैसे पर आ सकता है संकट, EPFO ने खाताधारकों को किया अलर्ट

यह आपके ही पीएफ कंट्रीब्‍यूशन को कम किया गया है. हालांकि, इस फैसले से लोगों की सैलरी में इजाफा होगा और कोरोना संकट काल में जेब में अधिक पैसे बचेंगे. लेकिन नुकसान की तरफ देखें तो ये आपकी बचत पर झटका है. मतलब ये कि आप भविष्‍य सिक्‍योर करने के लिए जो रकम पीएफ के तौर पर जमा कर रहे थे, वो अगले तीन महीने तक के लिए कम हो गया है. जाहिर सी बात है कि पीएफ की रकम कम होने पर सरकार की ओर से ब्‍याज के तौर पर मिलने वाला मुनाफा भी कम हो जाएगा.

टैक्‍स पर भी स्थिति साफ नहीं

अगर टैक्‍स के लिहाज से देखें तो भी स्थिति साफ नहीं है. दरअसल, पीएफ कंट्रीब्‍यूशन कम होने की स्थिति में आपकी टेक होम सैलरी बढ़ेगी. ऐसे में ये संभव है कि जिनकी कमाई कल तक इनकम टैक्‍स स्‍लैब के दायरे में नहीं आ रही थी, वो अब आने लगे. इसके अलावा जो लोग कल तक न्‍यूनतम टैक्‍स स्‍लैब में आते थे उनके लिए भी मुसीबत बन सकती है. यहां बता दें कि ईपीएफ कंट्रीब्‍यूशन पर सेक्‍शन 80सी के तहत टैक्‍स बेनिफिट मिलता है. यही वजह है कि कई लोग टैक्‍स सेविंग के लिए पीएफ कंट्रीब्‍यूशन को बढ़ा देते हैं.

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15 हजार तक सैलरी वालों को राहत

इसके अलावा, सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत दी गयी राहत को तीन महीने यानी अगस्त तक के लिए और बढ़ाने की घोषणा की है. इसके तहत शामिल कर्मचारियों और कंपनियों के पीएफ का कुल 24 प्रतिशत (12 प्रतिशत कर्मचारियों का और 12 प्रतिशत नियोक्ताओं का) भुगतान सरकार करेगी. इससे 3.67 लाख नियोक्ताओं और 72.22 लाख कर्मचारियों को राहत मिलेगी. बता दें कि बीते मार्च से सरकार ये राहत दे रही है. ये राहत सिर्फ 100 कर्मचारियों वाले संस्थान और 15 हजार रुपये तक वेतन वाले कर्मचारियों को दी गई है.

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