
सीपीएम नेता नीलोत्पल बसु ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर बीजेपी से सांठ-गांठ का आरोप लगाया है. सीपीएम नेता के मुताबिक दिल्ली में ममता क्या कर रही हैं इससे उनकी पार्टी को ज्यादा मतलब नहीं है. नीलोत्पल के मुताबिक पिछले दो-तीन दिनों से जो बंगाल में हो रहा है वो चिंता की बात है.
नीलोत्पल ने कहा कि बंगाल में पहले रामनवमी भी होती थी और दूसरे त्यौहार भी मनाए जाते थे, लेकिन धर्म और त्यौहार को लेकर इस तरह से आतंक और डर का माहौल कभी नहीं रहा. इस बार तृणमूल कांग्रेस ने भी रैली का ऐलान किया था और कई जगहों पर टीएमसी के नेता और विधायक, RSS, वीएचपी और बीजेपी के नेताओं के साथ इकट्ठा चले, जिसकी वजह से चार-पांच जगहों पर दंगे हो गए.
बीजेपी के साथ तृणमूल कांग्रेस का तालमेल
सीपीएम नेता ने कहा कि ममता दिल्ली में आकर कहती हैं कि वो बीजेपी के खिलाफ हैं और जमीन पर बीजेपी को खुली छूट दे दी है. नीलोत्पल ने कहा, 'यह सिर्फ दंगों का सवाल नहीं है. बंगाल में RSS, भाजपा के साथ तृणमूल कांग्रेस का तालमेल है. पिछले 2 दिनों की घटनाओं से ये साफ है. अगर यह तथाकथित तीसरा मोर्चा भारतीय जनता पार्टी या RSS के खिलाफ है, तो ममता ने अपने प्रदेश में इन्हें छूट क्यों दे रखी है.'
तीसरे मोर्चे का प्रचार सिर्फ बीजेपी कर रही
नीलोत्पल बसु ने कहा कि तीसरे मोर्चे को सबसे ज्यादा प्रचार बीजेपी कर रही है. अब तक किसी भी नेता ने तीसरे मोर्चे के बारे में कुछ नहीं बोला है. सिर्फ बीजेपी को इसमें ज्यादा दिलचस्पी दिखाई दे रही है.
मोदी सरकार की सच्चाई सामने लाने की जरूरत
नीलोत्पल बसु के मुताबिक लेफ्ट तीसरे मोर्चे का हिस्सा बनेगा या नहीं यह काल्पनिक सवाल है. मौजूदा सवाल ये है कि सरकार गरीब मजदूरों और किसानों पर हमला बोल रही है. बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ रही है और सरकार चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है. फिलहाल लोगों को सरकार के खिलाफ लामबंद करना और उन्हें एकजुट करना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. सीपीएम नेता के मुताबिक इस सरकार को हटाने के लिए इसकी सच्चाई लोगों के सामने लाना जरूरी है.
संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता पर चोट
नीलोत्पल ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन नहीं कर रही है, संवैधानिक संस्थाओं की मर्यादा को ठेस पहुंचाया जा रहा है. इससे इन संस्थाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं.