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पश्चिम बंगाल राज्य समिति में सीपीएम ने बड़ा बदलाव किया है. बंगाल में फिर से पार्टी को खड़ा करने की कवायद तेज हो गई है. इसलिए राज्य कमेटी में नए और युवा चेहरों को जगह दी गई है. इसके साथ ही पार्टी ने 20 दिग्गजों को कमेटी से बाहर कर दिया है. बता दें कि कोलकाता में माकपा की बंगाल कॉन्फ्रेंस हो रही है.
पूर्व सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य समेत ये दिग्गज कमेटी से बाहर
सीपीएम ने अपने संगठन में बदलाव के कदम उठाए हैं. पूर्व सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य, असीम दास गुप्ता और निरूपम सेन ने जहां अपने आपको अलग किया, वहीं पार्टी के कई सीनियर नेताओं को पश्चिम बंगाल ईकाई से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है.
तीन दिवसीय राज्य कॉन्फ्रेंस के बाद सीपीएम ने फैसला लिया है कि संगठन में युवाओं को ज्यादा से ज्यादा जगह और तरजीह दी जाए. इसी के मद्देनजर पार्टी की सीनियर नेताओं की संगठन से विदाई की गई है.
सीपीएम के तीनों नेता 2011 तक पश्चिम बंगाल की सत्ता में सबसे ताकतवर शख्सियत माने जाते रहे हैं. इन्हें अब राज्य में पार्टी की सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में जगह दी गई है. बताया जा रहा है कि बुद्धदेव भट्टाचार्य काफी समय से अपने स्वास्थ्य के चलते पार्टी शीर्ष नेतृत्व से उन्हें संगठन की जिम्मेदारियों से मुक्त करने का आग्रह कर रहे थे, लेकिन तब पार्टी के नेताओं ने उन्हें इसके लिए स्वीकृति नहीं दी थी.
हालांकि पूर्व सीएम अहम चुनावों में पार्टी के लिए स्टार प्रचारक का काम भी देखते आए हैं. अब नए फैसले के बाद सीपीएम की राज्य कार्यकारिणी के पुनर्गठन में बुद्धदेव भट्टाचार्य, असीम दासगुप्त, मदन घोष, श्यामल चक्रवर्ती, पूर्व मंत्री कांति गांगुली और पूर्व सांसद बासुदेब अाचार्य को भी जगह नहीं दी गई है.
इस बार राज्य समिति के सदस्यों के लिए अधिकतम आयु सीमा को 75 साल रखा गया है. अब सिर्फ सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य बिमान बोस ही इस उम्र सीमा से अधिक हैं जिनकी उम्र 77 साल है.
बता दें कि सीपीएम युवाओं को अपने साथ लाने के लिए राज्य में संघर्ष कर रही है. इसी मद्देनजर युवाओं को अपने पाले में लाने के लिए ही ज्यादा से ज्यादा युवाओं को संगठन में अहम स्थान देने की कवायद शुरू की है.
सीपीएम की नई राज्य कार्यकारिणी में कई नए चेहरे शामिल किए गए हैं. पार्टी की नई राज्य कार्यकारिणी में कुल 80 लोगों को शामिल किया गया है. इसमें 10 महिलाओं को भी जगह दी गई है.
त्रिपुरा की हार से सबक लेते हुए सीपीएम पश्चिम बंगाल में भी अपनी खोई हुई सियासी जमीन तलाशने में जुटे हुए हैं.