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दिल्ली एनसीआर में इस साल दीवाली पर पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. अपने ताजा आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में सभी स्थायी और अस्थायी लाइसेंस 1 नवंबर तक निलंबित करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का मतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी में पटाखा कारोबारी एक नवंबर के बाद पटाखे बेच सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पटाखा कारोबारी बेहद निराश हैं.
सदर बाजार पटाखा एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र गुप्ता के मुताबिक, "सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से हम काफी निराश हैं. यह हमारे साथ अन्याय है. अगर पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह बैन करना ही था तो 12 सितंबर 2017 के आदेश में बैन को क्यों हटाया. अब हमने लाखों के माल भर लिए हैं. बिक्री नहीं होगी तो इसे लेकर अब कहां जाएं. हमारा तो लाखों का नुकसान हो जाएगा."
सुप्रीम कोर्ट का यू-टर्न
गौरतलब है कि पिछ्ले साल दीवाली के बाद बढ़े हुए प्रदूषण के मुद्दे पर एक याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखे की बिक्री पर बैन लगा दिया था. हालांकि 12 सितम्बर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर पाबंदी वाले आदेश में संशोधन कर दिया और कुछ शर्तों के साथ पटाखा विक्रेताओं के अस्थायी लाइसेंस की संख्या में 50 फीसदी कटौती करने का आदेश दिया था. साथ ही दिल्ली-एनसीआर में दूसरे राज्यों से पटाखे लाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एकबार फिर नवंबर 2016 के पुराने आदेश को बहाल करते हुए दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाने का आदेश दे दिया है.
कारोबारियों में नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश को देखते हुए सदर बाजार में सिर्फ 24 अस्थायी दुकानों को पटाखे बेचने का लाइसेंस दिया गया था. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद अस्थायी पटाखा व्यापारियों में नाराजगी है.
सदर बाजार में छाबड़ा जी पटाखा दुकान के हरजीत सिंह छाबड़ा के मुताबिक, "यह सरासर गलत है. हमें 15 मीटर की दूरी वाले क्लॉज पर अस्थायी लाइसेंस मिला था. करीब 24 कारोबारियों को 12 सितम्बर के आदेश के बाद अस्थायी लाइसेंस मिला था, जो 21 अक्टूबर तक वैध है. अब आज सुन रहे हैं कि बेच ही नहीं सकते. तो यह हमारे साथ अन्याय हुआ. अगर बैन करना ही था तो फिर हटाया क्यों था. हम लड़ियों की दुकान लगा लेते, कुछ और कर लेते, अब सारा पैसा फंस गया."
चुनिंदा कारोबारी ही नहीं हजारों हो जाएंगे बेरोजगार
पटाखा कारोबारियों की मानें तो पूरी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से न सिर्फ पटाखा कारोबारियों का नुकसान होगा, बल्कि हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे. कोर्ट के फैसले से निराश कारोबारियों ने कहा कि हम चाहते हैं कोर्ट कम से कम उन कारोबारियों को राहत दे, जिन्होंने 12 सितम्बर के आदेश के बाद अपनी दुकानों में पटाखों का स्टॉक भर लिया है. उन्हें पटाखे बेचने की परमिशन दी जाए."
कारोबारियों का कहना है कि एक नवम्बर के बाद सिर्फ वही लोग पटाखे खरीदते हैं, जिनके घर शादी या कोई समारोह हो. पटाखा कारोबारियों ने समाधान न निकलने की सूरत में विरोध-प्रदर्शन की भी चेतावनी दी है.
रीव्यू पेटिशन दायर करे सरकार : कैट
पटाखे बेचने पर प्रतिबंध को कारोबारियों के मौलिक अधिकार का हनन बताते हुए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि दिल्ली एनसीआर में इस दिवाली पटाखे बेचने पर प्रतिबंध एक तरह से व्यापारियों के व्यापार करने के संवैधानिक अधिकार का हनन है. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भारतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे बेचने पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन पटाखे छोड़ने पर नहीं और इसका लाभ उठाते हुए लोग दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों से पटाखे खरीदकर यहां आतिशबाजी कर सकते हैं. उनका कहना है कि यदि ऐसा होता है तो यह दिल्ली के व्यापारियों के साथ अन्याय होगा, क्योंकि उनका व्यापार अन्य राज्यों में चला जाएगा, जो न्याय की दृष्टि से उचित नहीं है.
पर्यावरण के लिए गैर-हानिकारक पटाखे भी नहीं छोड़े जा सकेंगे
कैट का कहना है कि दिल्ली एनसीआर में बड़ी मात्रा में पर्यावरण को हानि न पहुंचाने वाले पटाखे भी आते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के चलते ऐसे गैर-हानिकारक पटाखे भी नहीं बेचे जा सकेंगे. बहुत से व्यापारियों ने इस दिवाली के लिए पटाखों का स्टॉक अब तक मंगा लिया है, लेकिन अचानक प्रतिबंध लगने से उन व्यापारियों को बड़ी वित्तीय हानि होनी तय है.
कैट का कहना है कि पर्यावरण को नुकसान केवल पटाखों से ही नहीं, इसलिए पर्यावरण को लेकर एक नीति बनाई जानी चाहिए और सरकार को सुप्रीम कोर्ट में रीव्यू पेटिशन दाखिल कर कम से कम इस दिवाली के लिए प्रतिबंध वापस लेने का आग्रह करना चाहिए.