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क्या होती है रेटिंग एजेंसी, और वित्तीय कारोबार के लिए यह क्यों अहम?

एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (CRA) देनदार की समय पर मूलधन और ब्याज भुगतान और डिफॉल्ट की संभावना बनाकर लोन का भुगतान करने की क्षमता को आंकती है.

मौजूदा समय में भारत में 4 क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां मौजूदा समय में भारत में 4 क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:50 AM IST

  • एजेंसियां बताती हैं कि देश और संस्था आर्थिक रूप से कितना मजबूत
  •  रेटिंग की दुनिया में तीन स्टैंडर्ड एंड पूअर, मूडीज और फिच का नाम

एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (CRA) देनदार की समय पर मूलधन और ब्याज भुगतान और डिफॉल्ट की संभावना बनाकर लोन का भुगतान करने की क्षमता को आंकती है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां परोक्ष रूप से यह बताती हैं कि देश, संस्था या व्यक्ति आर्थिक रूप से कितना मजबूत है और उसको कितना कर्ज देना खतरनाक है या नहीं. यानी वह कितना कर्ज चुकाने की क्षमता रखता है.

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यह मूल रूप से निवेशकों को बताता है कि एक फर्म का एक ट्रैक रिकॉर्ड है और यह दर्शाता है कि पैसे वापस करने में सक्षम होने की कितनी संभावना है. इस समय रेटिंग की दुनिया में तीन स्टैंडर्ड एंड पूअर, मूडीज और फिच का नाम है. लगभग 95 प्रतिशत बाजार पर इनका कब्जा है.

हालांकि मौजूदा समय में भारत में 4 क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां काम कर रही हैं.

1. क्रिसिल (CRISIL)

यह भारत की सबसे बड़ी रेटिंग एजेंसी है, जिसमें 65 फीसदी से अधिक भारतीय बाजार हिस्सेदारी है. यह विनिर्माण, सेवा, वित्तीय और एसएमई क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहा है. स्टैंडर्ड एंड पूअर्स के पास अब क्रिसिल में बहुमत हिस्सेदारी है. क्रिसिल रेटिंग एजेंसी की स्थापना 1987 में हुई.

2. इक्रा (ICRA)

मूडीज समर्थित आईसीआरए एक प्रमुख रेटिंग एजेंसी है. म्यूचुअल फंड्स, अस्पतालों, बुनियादी ढांचे के विकास और निर्माण और रियल एस्टेट कंपनियों के लिए रेटिंग जारी करती है.

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3. केअर (CARE)

केयर ओर से वित्तीय संगठन, राज्य सरकारें और नगरपालिका संस्थाएं और सार्वजनिक उपयोगिताओं की रेटिंग की जाती है. 1993 में स्थापित यह एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है, जिसे IDBI, UTI, Canara Bank और अन्य वित्तीय संस्थानों और NBFC द्वारा प्रचारित और समर्थित किया जाता है.  

4. भारत में ONICRA एक अहम रेटिंग एजेंसी मानी जाती है. ONICRA एक निजी रेटिंग एजेंसी है, जो सोनू मीरचंदानी द्वारा स्थापित की गई है, यह डेटा का विश्लेषण करती है और व्यक्तियों और लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमई) के लिए रेटिंग समाधान प्रदान करती है.

अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की बात की जाये तो इस समय रेटिंग की दुनिया में तीन बड़े नाम हैं.

1. स्टैण्डर्ड एंड पूअर: इस रेटिंग एजेंसी की नींव 1860 में हेनरी पूअर ने रखी थी. यह सबसे पुरानी एजेंसी है. आज दुनिया के रेटिंग व्यवसाय का क़रीब 40% कारोबार स्टैण्डर्ड एंड पूअर और मूडीज के कब्जे में है.

2. मूडीज: मूडीज की स्थापना, वर्ष 1909 में जॉन मूडी नाम के व्यक्ति ने की थी.

3. फिच: तीसरी प्रसिद्द रेटिंग एजेंसी है फिच; जो कि स्टैण्डर्ड एंड पूअर और मूडीज का छोटा रूप है.

रेटिंग और उसके मायने

AAA (Highest safety): देश, कंपनी या व्यक्ति निवेश करना सबसे सुरक्षित और लाभदायक.

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AA (High safety): देश, कंपनी या व्यक्ति में अपने वादों को पूरा करने की काफी क्षमता है.

A (Adequate Safety): देश, कंपनी या व्यक्ति के पास अपने वादों को पूरा करने की क्षमता पर बदली विपरीत परिस्थितियों का असर पड़ सकता है.

BBB (Moderate safety): देश, कंपनी या व्यक्ति में अपने वादों को पूरा करने की क्षमता लेकिन विपरीत आर्थिक हालात से प्रभावित होनी की ज्यादा गुंजाइश.

CC: देश, कंपनी या व्यक्ति वर्तमान में बहुत कमजोर.

D (Default): देश, कंपनी या व्यक्ति उधार लौटाने में असफल.

दरअसल अगर किसी कंपनी की रेटिंग, एजेंसियों द्वारा अच्छी कर दी जाती है तो उस कंपनी को बाजार से पैसे उधार लेने में परेशानी नहीं होती है. साथ ही बाजार में अच्छी छवि के कारण इसके शेयर में तेजी देखने को मिलती है. इसलिए देश, कंपनी औए व्यक्ति हमेशा अच्छी रेटिंग की खोज में रहते हैं.

रेटिंग एजेंसी क्यों आवश्यक है?

गौरतलब है कि 1980 के दशक के बाद से देश में वित्तीय प्रणाली अधिक नियंत्रण-मुक्त हो गई और भारतीय कंपनियां वैश्विक ऋण बाज़ारों से अधिकाधिक ऋण लेने लगी. यही वज़ह थी कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की राय या अनुमान अधिकाधिक प्रासंगिक और महत्त्वपूर्ण होते गए.

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