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बिहार के सियासी समीकरणों की पड़ताल: 'बिहार डायरी बिफोर इलेक्शन' पार्ट-4

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार की सियासी तस्‍वीर पल-पल बदलती जा रही है. ऐसे ही राजनीतिक समीकरणों के पीछे की थ्‍योरी तलाश रही है 'बिहार डायरी बिफोर इलेक्‍शन' की चौथी किस्‍त...

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aajtak.in
  • पटना,
  • 04 फरवरी 2014,
  • अपडेटेड 2:45 PM IST

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार की सियासी तस्‍वीर पल-पल बदलती जा रही है. ऐसे ही राजनीतिक समीकरणों के पीछे की थ्‍योरी तलाश रही है 'बिहार डायरी बिफोर इलेक्‍शन' की चौथी किस्‍त...

1. ''परवीन अमानुल्लाह की चोट सुशासन बाबू के लिए 'गहरी' है. किसी नजदीकी का सुशासन से भरोसा टूटा है, जो मियां-बीवी दोनों ने मिलकर जताया था. अब पाटलिपुत्र की गलियों में कानाफूसी है कि परवीन, बीजेपी का दामन थाम सकती हैं. उनके पति पहले ही सचिव बनकर केंद्र सरकार में जा चुके हैं. उनके पति अफजल अमानुल्लाह नीतीश के खास थे, इसीलिए बिहार के मुख्य सचिव थे.''

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''लगता है सत्ता की ऊंचाई से अमानुल्लाह दंपत्ति ने मौसम में हो रहे बदलाव का 'वास्तविक अनुभव' कर लिया है. वैसे भी दिल्ली में बेहतरीन विभाग का सचिव कौन नहीं बनना चाहता, जहां घास काटने का मंत्रालय भी कई राज्यों से ज्यादा बजट रखता है! वैशाली के मेरे एक साहित्यिक मित्र ने लिखा है कि चिडि़यों की चहचहाहट से ऐसा लगता है कि वसंत आ चुका है...''

2. ''सीमांचल में ऐसा लगता है कि बारह आना रिक्शावाले मुसलमान हैं. ये अपना 'एक्सक्लूसिव' सर्वे है. अररिया में एक मुसलमान रिक्शावाला काफी कुरेदने के बाद कहता है, 'नीतीश को नय देंगे इस बार'. वजह? 'पासवानजी जी आ जाएंगे तो, लालू पक्का जीतेगा, कांग्रेस आ ही रही है ...पासवान अभी भाव खा रहे हैं, लेकिन आएंगे.''

''कुछ ऐसा ही सुपौल में सब्जी बेजने वाला कुजरा मुसलमान बोला. उसका दर्द अलग था, बोला, 'नीतीश सरकार ने औरत सबको खुली आजादी दे दी है.' मैं ताज्जुब में हूं कि ये पॉलिटिक्स ससुरी चलती किस नियम से है? कोई बताएगा?''

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3. ''झंझारपुर से पिछली बार जेडीयू के मंगनीलाल मंडल जीते थे, पार्टी ने निलंबित कर दिया. अबकी लालू की पार्टी से लड़ने की संभावना है. जेडीयू से फिलहाल नीतीश के करीबी संजय झा ताल ठोक रहे हैं, जबकि बीजेपी से दो उम्मीदवारों की दावेदारी है- बेनीपट्टी के विधायक विनोद नारायण झा और विधान पार्षद बालेसर सिंह भारती. बीजेपी सन् 1991 के बाद पहली बार यहां से चुनाव लड़ेगी. परिसीमन के बाद झंझारपुर में कोइरी मतदाता ठीक-ठाक तादाद में हो गए हैं और बालेसर भारती की दावेदारी इसी वजह से है, यों वे पुराने संघी हैं.''

''झंझारपुर में यादव और ब्राह्मण बराबर संख्या में हैं, उसके बाद मुसलमान, क्योट-धानक और दलित समूह हैं. मंडल युग के बाद से यहां यादवों का इतिहास रहा है. मंगनीलाल मंडल (धानुक) इकलौते अपवाद हैं. परिसीमन के बाद से वैश्य समूह और कोइरी की आबादी बढ़ी है और बीजेपी का आत्मविश्वास उफान पर है. ऐसे में लड़ाई राजद और बीजेपी में होगी, क्योंकि थोक वोट राजद या बीजेपी के पास ही है.''

(यह विश्लेषण स्वतंत्र पत्रकार सुशांत झा ने लिखा है. वह इन दिनों 'बिहार डायरी बिफोर इलेक्शन' के नाम से एक सीरीज लिख रहे हैं.)

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