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लाकडाउन में ‘अनलॉक’ हुए साइबर अपराध

लॉकडाउन में भले ही चोरी, लूट, छिनैती, छेड़छाड़ व मारपीट जैसी वारदातें थम गई हों, लेकिन साइबर अपराधी ऑनलाइन ठगी कर रुपये समेटने में जुटे हुए हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
आशीष मिश्र
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  • 24 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 1:10 PM IST

हैलो, मैं विकास भवन से बोल रहा हूं. आपकी ऑनलाइन पे-स्लिप बननी है. जल्दी से अपने खाते की डिटेल व जन्मतिथि बताएं, वरना आगामी महीनों का वेतन फंस जाएगा. वेतन रुकने की बात सुनकर कर्मचारी बिना कुछ सोचे समझे अपने खाते की गोपनीय जानकारी बता देते हैं और ठग उनके खाते से रुपये गायब कर दे रहे हैं. लॉकडाउन होने के बाद से साइबर ठगों ने कुछ ऐसे हथकण्डे अख्तियार किए हैं, जिसमें लोग आसानी से फंसकर जमा पूंजी गंवाए दे रहे हैं.

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पिछले दिनों साइबर अपराधियों ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर के निदेशक डॉ. अभय करंदीकर का फर्जी फेसबुक अकाउंट और राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन की फर्जी ईमेल आइडी बना ली थी. इसके बाद उनके परिचितों को मैसेज भेजकर रकम मांगी थी. यही नहीं, आइआइटी के कई प्रोफेसरों की भी फर्जी ईमेल आइडी बनाकर दूसरों को मैसेज भेजे थे. कानपुर पुलिस अब तक न तो इन अपराधियों का पता लगा सकी और न ही उनकी करतूतों पर लगाम।

लॉकडाउन में भले ही चोरी, लूट, छिनैती, छेड़छाड़ व मारपीट जैसी वारदातें थम गई हों, लेकिन साइबर अपराधी ऑनलाइन ठगी कर रुपये समेटने में जुटे हुए हैं. कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में अधिकांश सरकारी व निजी कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम व्यवस्था लागू कर दी है, जिसके तहत कर्मचारी घर से ही काम कर रहे हैं. इन कर्मचारियों से खाते की जानकारी हासिल करने के लिए ठगों ने ऑनलाइन पे-स्लिप का तरीका इजात किया है.

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लखनऊ में चिनहट की गौरव विहार कालोनी में रहने वाले सतीश कुमार के पास 28 मार्च को इसी तरह की कॉल आई. आरोपी ने खुद को जवाहर भवन स्थित ट्रेजरी का कर्मचारी बताकर उनकी ऑनलाइन पे-स्लिप बनाने के लिए खाते की डिटेल हासिल की. इसके बाद उनके एसबीआई के सैलरी अकाउंट से 55 हजार रुपये उड़ा लिए. लखनऊ साइबर क्राइम सेल के पास इस तरह से ठगी की तीन दर्जन से अधिक शिकायतें आ चुकी हैं.

लॉकडाउन के चलते जीवन यापन की मुश्किलें झेल रहे श्रमिक, आढ़ती, पल्लेदार व बुजुर्ग समेत अन्य लोग भी साइबर ठगों के रडार पर हैं. इन्हें ठगने के लिए खाते में सहायता राशि भेजने का जाल फेंका जा रहा है.

लखनऊ के गोमतीनगर के खरगापुर निवासी बुजुर्ग राम सुमिरन मौर्या का पंजाब नेशनल बैंक में बचत खाता है. 2 अप्रैल को ठग ने खुद को कलेक्ट्रेट का कर्मचारी बताकर उन्हें फोन किया और सहायता राशि भेजने की बात कहकर उनसे खाते की डिटेल प्राप्त कर ली. इसके बाद आरोपी ने उनके खाते से छह बार में 89 हजार रुपये उड़ा लिए. इस तरह से ठगी के २० मामले लखनऊ साइबर क्राइम सेल के पास आए हैं.

लखनऊ साइबर क्राइम सेल के प्रभारी राहुल सिंह बताते हैं कि जालसाज पीड़ितों के खाते से रुपये ई-वॉलेट में ट्रांसफर करके हड़प रहे हैं. उन्होंने बताया कि न तो सरकार की तरफ से किसी की ऑनलाइन पे-स्लिप बनवाई जा रही है और न ही खातों में सहायता राशि भेजने के लिए फोन पर डिटेल पूछी जा रही है. राहुल ने बताया कि बैंक या फाइनेंस कंपनियों द्वारा कभी खाते की डिटेल नहीं पूछी जाती है. लिहाजा किसी से भी अपने खाते की जानकारी व ओटीपी साझा न करें. फोन पर किसी भी व्यक्ति द्वारा भेजा गया लिंक न खोले.

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जानकारी के मुताबिक जल्द ही सरकार इससे निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर टास्क फोर्स का गठन कर सकती है. बड़े पैमाने पर कोरोना और उससे मिलते-जुलते नामों से रजिस्टर्ड डोमेन के जरिए लोगों को आर्थिक तौर पर चूना लगाने का काम साइबर चोर लगातार करते जा रहे हैं.

इस खतरे को लेकर सरकार अब और गंभीर हो गई है. राहुल सिंह बताते हैँ कि साइबर चोर मिलते जुलते नामों से असली वेबसाइट की कॉपी तैयार कर लेते हैं और उन्हीं के जरिये लोगों को ठगने के लिए लिंक भेजते हैं. सरकार तो अपने स्तर पर तमाम ऐसे प्रयास कर रही है जिससे आम लोगों को होने वाला नुकसान रोका जा सके. लेकिन यदि लोग खुद ही जागरूक हो जाएं और किसी तरह के ऐसे अनजान और गैर जरूरी लिंक को ना खोलें और ना ही ऐसे फोन कॉल पर अपनी जरूरी जन्मतिथि, एटीएमपिन, पैन नंबर जैसी जानकारियां लोगों को बताएं, तो बड़े स्तर पर फ्रॉड से बचा जा सकता है.

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