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दादरी कांड: हिरासत में लिए गए 11 में से 8 आरोपी BJP कार्यकर्ता के रिश्तेदार निकले

दादरी हत्या मामले में सियासत में अपने चरम पर है. मुआवजे के मरहम का ऐलान हो गया है, वहीं सत्ता से लेकर विपक्ष तक सामाजिक समरसता की बात कर रही है. लेकिन इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की एक सच्चाई यह भी है कि पुलिस की एफआईआर के बाद जिन 10 युवकों को हिरासत में लिया गया है, उनमें से 7 बीजेपी कार्यकर्ता संजय राणा के रिश्तेदार हैं.

इखलाक के परिजन से मुलाकात के दौरान बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा इखलाक के परिजन से मुलाकात के दौरान बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2015,
  • अपडेटेड 2:13 PM IST

दादरी हत्या मामले में सियासत में अपने चरम पर है. मुआवजे के मरहम का ऐलान हो गया है, वहीं सत्ता से लेकर विपक्ष तक सामाजिक समरसता की बात कर रही है. लेकिन इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की एक सच्चाई यह भी है कि पुलिस की एफआईआर के बाद जिन 10 युवकों को हिरासत में लिया गया है, उनमें से 7 बीजेपी कार्यकर्ता संजय राणा के रिश्तेदार हैं.

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इतना ही नहीं, गोमांस की अफवाह मात्र पर पीट-पीटकर इखलाक की हत्या और उसके बेटे दानिश को गंभीर रूप से घायल करने के आरोपियों में संजय राणा के बेटे विशाल का भी नाम है. ये सभी युवक गौतम बुद्ध नगर के बिसेहड़ा गांव के रहने वाले हैं. सभी 10 युवकों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, जबकि उनकी उम्र 18 से 24 साल के बीच है.

अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक, मामले में हिरासत में लिया गया 11वां आरोपी विनय भी जिले के बीजेपी कार्यकर्ता संजय राणा का रिश्तेदार है. विनय होमगार्ड का जवान है. राणा ने इस बात की पुष्टि‍ की है कि बेटे विशाल के अलावा हिरासत में लिए गए सौरभ, गौरव, संदीप, शि‍वम, सचिन और विवेक उसके परिवार से हैं, जबकि रूपेंद्र, हरिओम और श्रीओम उसके पड़ोसी हैं. सचिन और हरिओम अभी फरार चल रहे हैं.

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'पुलिस से हुई कहासुनी, इसलिए फंसाया'
नोएडा के सर्किल अफसर अनुराग सिंह ने कहा, 'हिरासत में लिए गए 10 युवकों में भाइयों की तीन जोड़ी है. सौरव और गौरव, विवेक और सचिन, श्रीओम और हरिओम भाई हैं. रविवार को विशाल और शि‍वम को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. दोनों का नाम इखलाक के परिवार ने एफआईआर में दर्ज करवाया है.

हालांकि, इन सब के बीच संजय राणा ने यह दावा किया है कि मामले में उनके रिश्तेदारों का नाम इसलिए लिया गया है, क्योंकि पुलिस से उनकी कहासुनी हो चुकी है. राणा ने बताया कि पुलिस मौका-ए-वारदात पर देर से पहुंची थी, जिसके बाद उनकी पुलिसकर्मियों से बहस हुई थी. जबकि शिवम के पिता मुकेश कहते हैं, 'मुझे नहीं पता मेरे बेटे और भतीजे को क्यों हिरासत में लिया गया है.' बिसेहड़ा गांव के प्रधान संजीव राणा बताते हैं कि सभी 10 युवक 'ठाकुर समाज' से ताल्लुक रखते हैं और आस-पड़ोस में रहते हैं.

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