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मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा पर बने ओंकारेश्वर बांध में इस वर्ष 193 मीटर तक पानी भरने से सहायक नदियां कावेरी एवं अजनार के पानी से बने टापू पर बसे ग्राम जिरोठ के डूब जाने की आशंका है.
वर्तमान में इसमें 113 आदिवासी परिवार रहते हैं, जिरोठ के तीन तरफ पानी है तथा एक ओर पहाड़ी है.
खंडवा के आरटीआई एवं सामाजिक कार्यकर्ता धर्मराज जैन ने बताया कि जिरोठ में बिजली नहीं होने से यहां के बाशिंदे लालटेन की रोशनी में सुबह होने का इंतजार करते हैं. दूरस्थ अंचल में बड़वाह एवं खंडवा से 70 किलोमीटर दूर यह गांव मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित है. पीने के पानी के लिए नदी के किनारे रेतीली जमीन में गड्ढा :झिरी: खोदकर पानी जिरोठवासी इकट्ठा करते हैं.
खेती करके पेट की आग बुझाने के लिए सरकार ने छोटे-छोटे जमीन के टुकड़े पट्टे पर दिए हैं. गांव में स्कूल एवं अस्पताल भी नहीं हैं. नदियों से घिरे इस गांव के लोगों को राजमर्रा की जरूरत के लिए नाव से आना-जाना पड़ता है.
सरकार से अपना हक मांगने के लिए जिरोठ के लोग मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की शरण में गए तो न्यायालय ने इन परिवारों के दर्द को समझा और उन्हें राहत देते हुए कहा कि आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को कुचलना अनुचित है. नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) एवं बिजली बनाने वाली कंपनी नर्मदा हायड्रो इलेक्ट्रिक डेवलपमेंट कापरेरेशन लिमिटेड के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जिरोठ के डूब प्रभावितों के प्रत्येक परिवार को विशेष पुनर्वास एवं मुआवजा राशि करीब ग्यारह लाख रुपए प्रति परिवार प्रदान कर उन्हें शीघ्र डूब क्षेत्र से हटाने का प्रयास किया जा रहा है.
उधर, नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा डूब प्रभावितों को सरकार से हक दिलाने के लिए एक जुलाई को ओंकारेश्वर में संकल्प रैली निकालने का ऐलान किया गया है. आंदोलन के नेता आलोक अग्रवाल ने दावा किया कि रैली में हजारों डूब प्रभावित शामिल होंगे. सूत्रों के अनुसार, ओंकारेश्वर बांध से प्रभावित 11 गांवों के 4300 परिवारों का पुनर्वास शेष है. जमीन के बदले अच्छी सिंचित जमीन की मांग की जा रही है.