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137 साल में पहली बार दार्जिलिंग टॉय ट्रेन में लगेंगे एसी कोच

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने कहा कि टॉय ट्रेन में नई वातानुकूलित बोगियां जोड़ी जाएंगी. यह टॉय ट्रेन न्यू जलपाईगुड़ी के मैदानों से 2,000 मीटर की चढ़ाई करती है.

दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे
अभि‍षेक आनंद
  • नई दिल्ली,
  • 21 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 5:17 PM IST

रेलवे एक सदी पुरानी दार्जिलिंग टॉय ट्रेन की भव्य विरासत में और चार चांद लगाने की तैयारी में है. ऐसा 137 सालों में पहली बार हो रहा है. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने कहा कि टॉय ट्रेन में नई वातानुकूलित बोगियां जोड़ी जाएंगी. यह टॉय ट्रेन न्यू जलपाईगुड़ी के मैदानों से 2,000 मीटर की चढ़ाई करती है.

लोहानी ने संवाददाताओं से कहा, ‘दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचआर) हमारे लिए महत्वपूर्ण लाइन है. यह विश्व धरोहर है. हम इसकी महत्ता जानते हैं. यह दुनियाभर के पर्यटकों में मशहूर है.’ रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने पिछले साल गोरखालैंड आंदोलन के दौरान सोनादा और गयाबाड़ी स्टेशनों को पहुंचे नुकसान के बारे में कहा कि वह इनका निरीक्षण करेंगे.

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उन्होंने कहा कि भारत में सबसे पहले डीएचआर को विश्व धरोहर का तमगा मिला था. उन्होंने कहा, ‘‘हम टॉय ट्रेन की भव्य विरासत को और बढ़ाएंगे. हम यह भी अध्ययन करेंगे कि इस लाइन में क्या कमी है और हम उसे सुधारने की कोशिश करेंगे.’

यूनेस्को ने वर्ष 1999 में डीएचआर को विश्व धरोहर का दर्जा दिया था. लोहानी ने कहा कि रेलवे भाप के इंजनों के पुनर्निर्माण पर जोर देगा जो पर्यटकों के बीच बहुत मशहूर थे. उन्होंने मीडिया को बताया कि टॉय ट्रेन सेवा के लिए पैकेज लाए जाएंगे और लोग ट्रेन को किराये पर भी ले सकते हैं. डीएचआर का निर्माण वर्ष 1879 से 1881 के बीच किया गया और यह करीब 88 किलोमीटर लंबा है.

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